19 मई 2025 को सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और लखनऊ सुपर जाएंट्स (LSG) के बीच मुकाबला था। LSG के खिलाफ 206 रन का पीछा करते हुए SRH के लिए अभिषेक शर्मा ने ज़बरदस्त शुरुआत दिलाई, सिर्फ 20 गेंद पर 59 रन ठोक दिए, 7वां ओवर फेंकने आए रवि विश्नोई की गेंद पर अभिषेक ने लगातार चार छक्के जड़े। मगर अगले ही ओवर में दिग्वेश राठी ने उन्हें फंसा लिया और शार्दुल ठाकुर के हाथों कैच करवा दिया। फिर शुरू हुआ दिग्वेश राठी का सेलिब्रेशन और असली ड्रामा। अभिषेक को आउट करते ही दिग्वेश ने पहले तो उन्हें पवेलियन लौट जाने के लिए हाथ से इशारा किया, फिर अपना नोटबुक वाला सेलिब्रेशन किया। बस इतने में ही मामला बिगड़ गया। अंपायर कुछ सोच-समझ पाते तब तक दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे के सामने आकर खड़े हो गए, बहस इतनी ज़्यादा बढ़ गए कि जाते-आते अभिषेक शर्मा ने दिग्वेश को चोटी पकड़कर मारने जैसा इशारा कर दिया।
जब इस झगड़े की जड़ को बारीकी से देखा गया तो मालूम हुआ कि दिग्वेश ने ही इसकी शुरुआत की थी, यानी दिग्वेश ने आईसीसी के कोड ऑफ कंडक्ट के आर्टिकल 2.5 का उल्लंघन किया था। जिसके लिए उन्हें दो डीमेरिट प्वाइंट मिले और इस तरह से दिग्वेश के इसी IPL सीजन में कुल 5 डीमेरिट प्वाइंट्स हो गए। नतीजा हुआ कि उन पर एक मैच के लिए बैन लगा दिया गया, साथ ही मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना भी लगा।
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दिग्वेश को मिली इस सज़ा के बाद क्रिकेट फैंस के बीच ‘डीमेरिट’ टर्म चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर ये है क्या? 5 डीमेरिट प्वाइंट्स पर ही दिग्वेश को क्यों बैन किया गया? किन गलतियों के लिए दिग्वेश को 5 डीमेरिट प्वाइंट मिले थे? क्या डीमेरिट कोई आईसीसी या बीसीसीआई के नियमों का हिस्सा है? अगर हैं तो ये कौन सा रूल है? दिग्वेश से पहले भी डीमेरिट नियम के तहत पहले भी किसी खिलाड़ी को बैन किया जा चुका है? आइए सब विस्तार से समझते हैं।
दिग्वेश राठी को कब-कब मिले डीमेरिट प्वाइंट?
दिग्वेश को इससे पहले 4 अप्रैल 2025 को एक डीमेरिट प्वाइंट मिला था, जब लखनऊ और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला था, दिग्वेश ने नमन धीर को आउट करने के बाद नोटबुक सेलिब्रेशन किया था, इस बीच बहस बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी, जिसके बाद उनपर 50 फीसदी मैच फीस का जुर्माना लगा था और जो डीमेरिट प्वाइंट्स दिए गए थे। यह मैच लखनऊ ने 12 रन से जीत लिया था।
इससे भी पहले 1 अप्रैल को लखनऊ और पंजाब का मुकाबला हुआ था, तब दिग्वेश ने प्रियांश आर्या को आउट करने के बाद नोटबुक सेलीब्रेशन किया था, इस बार भी दिग्वेश का सेलिब्रेशन थोड़ा ओवर हो गया था क्योंकि दोनों के बीच बहुत हल्की हाथापाई भी हुई थी, इस बार भी उन्हें एक डीमेरिट प्वाइंट मिला और 25 फीसदी मैच फीस का जुर्माना।
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इस तरह से दिग्वेश के पास हो गए 5 डीमेरिट प्वाइंट्स और उन्हें 1 मैच के लिए बैन कर दिया गया। अब सवाल यह भी है कि कितने डीमेरिट प्वाइंट्स पर कितने मैच के लिए बैन किया जाता है? ICC के कोड ऑफ कंडक्ट के आर्टिकल 7.6 के मुताबिक इसके 4 लेवल होते हैं।
लेवल 1- 4-7 डीमेरिट प्वाइंट्स होने पर एक मैच का सस्पेंशन
लेवल 2- 8-11 डीमेरिट प्वाइंट्स होने पर दो मैच का सस्पेंशन
लेवल 3- 12 से 15 डीमेरिट प्वाइंट्स होने पर 3 मैच का सस्पेंशन
लेवल 4- 16 या उससे ज़्यादा डीमेरिट प्वाइंट्स होने पर पांच मैच का सस्पेंशन मिलता है।
अब सवाल यह कि एक डीमेरिट प्वाइंट कैसे तय होता है? किस एक्टिविटी को कौन से लेवल में रखा जाता है?
पहले लेवल 1 वाले समझिए-
- ज़रूरत से ज़्यादा अपील करना या बार-बार चिल्लाकर अंपायर पर दबाव बनाना
- क्रिकेट इक्यूपमेंट्स, जैसे बॉल, बैट, स्टंप्स या मैदान के अन्य सामान को ग़लत तरीके से इस्तेमाल करना या नुकसान पहुंचाना
- सार्वजनिक रूप से गाली देना या अपशब्द कहना
- बल्लेबाज़ के आउट होने पर ऐसी भाषा बोलना या इशारा करना, जिससे वह गुस्सा हो जाए, या अपमानजनक महसूस करे
- खेल के दौरान ऐसा इशारा करना जो अपमानजनक या अशोभनीय हो
जो लेवल 1 या 2 दोनों हो सकता है
- मैच के दौरान हुई किसी घटना पर गलत या अनुचित टिप्पणी करना
- अंपायर के फैसले पर खुलकर नाराज़गी दिखाना या उसका विरोध करना
- किसी खिलाड़ी या सपोर्ट स्टाफ को गलत तरीके से स्पर्श करना। जैसे धक्का देना या हाथ पैर के ज़रिए उसे नीचा दिखाना
लेवल 3 क्या होता है?
बॉल को ग़लत तरीके से बदलना या उससे छेड़छाड़ करना, जैसे उसे खरोचना या रगड़ना ताकी उसका स्विंग बदल जाए
जो लेवल 3 और 4 दोनों में हो सकता है
- किसी खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, मैच ऑफिशियल जैसे अंपायर या रेफरी या दर्शक को मारने या हमला करने की धमकी देना
- किसी खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, मैच ऑफिशियल या दर्शक पर शारीरिक हमला करना, जैसे मारपीट करना
जो लेवल 1,2,3,4 सबमें आता है-
- ऐसा कुछ करना जो क्रिकेट की भावना के खिलाफ हो, जैसे अनुचित व्यवहार, धोखा देना या खेल को बदनाम करना। यह अपराध की गंभीरता के आधार पर किसी भी लेवल में आ सकता है
यहां एक चीज़ और जाननी ज़रूरी है कि ICC में नियम के अनुसार ये डीमेरिट प्वाइंट्स 5 सालों तक रहते हैं जबकि BCCI में ये 3 साल यानी 36 महीने तक रहते हैं। उदाहरण के तौर पर 22 मार्च को जब आईपीएल शुरू हुआ और इसी दिन दिग्वेश ने अपना पहला मैच खेला और पहले ही मैच में उन्हें डीमेरिट मिल गया तो वह 36 महीने तक मान्य रहेगा, माने 36 महीने के भीतर जब भी वह किसी लेवल में एंट्री कर जाते हैं तो उन्हें उसी के मुताबिक सज़ा मिलेगी।
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BCCI के अनुसार, ज़्यादातर मामलों में फील्ड अंपायर ही तय कर देता है कि किस खिलाड़ियों को किस लेवल में रखा जाएगा, वरना मुख्य रूप से यह काम मैच रेफरी या ऑम्बड्समैन का होता है। ऑम्बड्समैन किसी भी क्रिकेट में वह टीम होती है, जो मैच के किसी भी विवाद या शिकायत को सुलझाने में मदद करती है और तय करती है कि यह अपराध किस श्रेणी का होता है।
खिलाड़ी बोल सकता है या नहीं?
ऐसा नहीं कि इसमें खिलाड़ियों को बोलने का मौका नहीं दिया जाता, अगर किसी खिलाड़ी को लगता है कि ग़लती उसकी नहीं थी, फिर भी उसे सज़ा मिल रही है, तो वह अपील भी कर सकता है लेकिन इसके लिए उसे 90 लाख रुपये की अपील फीस देनी होती है। बीसीसीआई के मुताबिक, लेवल 2 या 3 के अपराध की सज़ा के खिलाफ BCCI ऑम्ब्डसमैन के सामने अपील की जा सकती है लेकिन अपील के लिए खिलाड़ी को या फ्रेंचाइज़ी को 90 लाख रुपये की फीस देनी होगी। फीस तभी वापस होगी जब खिलाड़ी की अपील पूरी तरह से कामयाब हो।
वैसे दिग्वेश राठी पहले खिलाड़ी नहीं है, जिन्हें BCCI के इस नियम के तहत सज़ा मिली है। आपको याद होगा आईपीएल 2025 में मुंबई इंडियंस का पहला मैच, जिसमें हार्दिक पांड्या नहीं खेले थे। दरअसल, उन्होंने भी 4 डीमेरिट प्वाइंड्य बटोर रखे थे, जो पिछले आईपीएल के थे, जब उनकी कप्तानी में मुंबई इंडियंस ने तीन मैचों में स्लोओवर रेट से गेंदबाजी की थी, फिर जब आईपीएल का सीज़न 2025 शुरू हुआ तो उन्हें पहले मैच में बैन झेलना था। यहां भी आप उस उदाहरण को समझ सकते हैं कि अगर 2024 के बाद किसी भी कारण आईपीएल 36 महीने के बाद होता यानी 3 सालों बाद तो हार्दिक पांड्या को वह बैन नहीं झेलना पड़ता।