ओडिशा वॉरियर्स ने महिला हॉकी इंडिया लीग के पहले एडिशन का खिताब जीत लिया है। रविवार (26 जनवरी) को रांची के मरांग गोमके जयपाल सिंह स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में ओडिशा वॉरियर्स ने JSW सूरमा हॉकी क्लब को 2-1 से हरा दिया। वॉरियर्स की ओर से ऋतुजा दादासो ने दो गोल दोगे। वहीं सूरमा के लिए एकमात्र गोल पेनी स्किब ने किया। 


ऋतुजा ने मैच के 20वें मिनट में वॉरियर्स को बढ़त दिलाई लेकिन पेनी स्क्विब (28वें मिनट) ने इसी क्वार्टर में गोल कर स्कोर बराबर कर दिया। मैच नियमित समय में बराबरी की तरफ बढ़ रहा था लेकिन ऋतुजा ने 56वें मिनट में अपना दूसरा गोल कर टीम को 2-1 से आगे कर दिया। वॉरियर्स की टीम इस बढ़त को आखिर तक बरकरार रखने में सफल रही।

 

बराबरी की रही टक्कर

 

यह मुकाबला शुरू से ही बराबरी का दिख रहा था। ओडिशा वॉरियर्स की फ्रीके मोइज ने सर्कल में पहुंच कर टीम को बढ़त दिलाने की कोशिश की लेकिन सूरमा के डिफेंस ने उनके प्रयास को विफल कर दिया। पहला क्वार्टर गोलरहित रहने के बाद वॉरियर्स ने गोल करने का मौका ढूंढना जारी रखा। विक्टोरिया साउज ने सूरमा के डिफेंस को छकाते हुए गोल करने का प्रयास किया लेकिन वह गेंद पर नियंत्रण नहीं रख सकीं। गेंद छिटक कर ऋतुजा के पास चली गयी और उन्होंने गोलकीपर सविता के ऊपर से गोल में डालकर वॉरियर्स को बढ़त दिला दी। 

 

सूरमा ने इसके बाद बराबरी करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया। टीम ने हाफ टाइम से दो मिनट पहले मैच का दूसरा पेनल्टी कॉर्नर हासिल किया। पेनी ने गेंद को वॉरियर्स की गोलकीपर जॉक्लिन बार्ट्राम के दायीं ओर से गोल पोस्ट में डाल कर स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया।

 

आखिरी क्षणों में ऋतुजा ने दागा विजयी गोल


सूरमा ने तीसरे क्वार्टर में बढ़त हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश की। चार्लोट एंगलबर्ट और ओलिविया शैनन के प्रयासों को बार्ट्राम ने कई बार विफल किया। मैच के आखिरी क्वार्टर में दोनों टीमों ने आक्रमण के साथ डिफेंस को भी मजबूत किया। वॉरियर्स को इस क्वार्टर का पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन कप्तान नेहा गोयल का शॉट गोल पोस्ट के दूर से निकल गया। अब मुकाबला पेनल्टी शूटआउट की ओर जा रहा था। 

 

हालांकि 56वें मिनट में ऋतुजा ने गेंद पर नियंत्रण बनाते हुए सर्कल में पहुंचने के बाद सूरमा की गोलकीपर को एक बार फिर छकाते हुए गोल दागकर वॉरियर्स को 2-1 से आगे कर दिया। वॉरियर्स ने इसके बाद सूरमा को वापसी करने का मौका नहीं दिया और महिला हॉकी इंडिया लीग के पहली चैंपियन टीम बनने का गौरव हासिल किया।