भारत में जैसे इंसानों की गिनती के लिए जनगणना होती है वैसे ही अब देश में जानवरों की भी गिनती शुरू हो गई है। यह गणना 25 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में शुरू हुई है। केंद्र सरकार ने इस काम को 5 साल के अंदर पूरा करने के लिए बजट भी तैयार कर लिया है। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन के नेतृत्व में पशुधन की गणना की शुरुआत हुई है। देश में 21वीं बार जानवरों की गणना हो रही है। 

 

क्या है सरकार का लक्ष्य?

सरकार का फरवरी 2025 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही सरकार को बड़े स्तर पर रोजगार बढ़ाने का भी अवसर मिलेगा। बता दें कि सरकार ने भेड़-बकरी, गाय-भैंस जैसे पशुधन की गिनती के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है। इस दौरान जो भी डेटा तैयार किया जाएगा उससे सरकार बड़ी आसानी से पशुधन की संख्या, उनके स्वास्थ्य समेत कई अन्य बातों की जानकारी हासिल कर सकती है। 

 

पैनडेमिक फंड प्रोजक्ट हुआ लॉन्च

पशुओं के बीच फैलने वाली बीमारी से बचाव और उनके स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन ने पैनडेमिक फंड प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। यह फंड 2.5 के करीब है। 

 

कौन से जानवरों की होगी गिनती?

पशुधन गणना के दौरान 16 प्रजाति के जानवरों की 219 स्थानीय नस्ल की गिनती की जाएगी। 

गाय-भैंस से लेकर भेड़-बकरी और मुर्गियों के अलग-अलग प्रजाति और नस्ल की गणना की जाएगी।

चरवाहों का भी डेटा तैयार किया जाएगा।

 

रोजगार के मिलेंगे अवसर

देश में हो रहे 21वीं पशुधन गणना को अखिल भारतीय स्तर पर किया जा रहा है। ऐसे में फील्ड सर्वे से लेकर डेटा कलेक्शन को लिए स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इनकी संख्या 1 लाख के करीब भी हो सकती है। इसमें गणनाकर्ता मवेशियों और मुर्गियों सहित विभिन्न पशुधन की गिनती करेंगे, साथ ही पशुपालन योजनाओं के तहत मालिकों को प्रदान की गई मशीनरी का भी रिकॉर्ड रखेंगे। प्रकाशम जिले में 56,332 सफेद मवेशी, 6,71,812 काले मवेशी, 15,67,122 भेड़ें और 4,17,589 बकरियां हैं, जिनकी संख्या नवीनतम जनगणना में बढ़ने की उम्मीद है।