उत्तराखंड में फर्जी बाबा बनकर धर्म को बदनाम करने वाले लोगों के खिलाफ ऑपरेशन कालनेमि चलाया जा रहा है। इस ऑपरेशन के तहत लगातार कार्रवाई हो रही हैं और पुलिस गिरफ्तारियां कर रही है। धर्म और आस्था की आड़ में पाखंड की और ठगी जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को इस ऑपरेशन के तहत पकड़ा जा रहा है। इसके तहत अब तक केलव तीन जिलों में  19 बांग्लादेशियों समेत 511 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस संबंध में सरकार ने प्रेस रिलीज करके पूरी जानकारी शेयर की है।

 

उत्तराखंड सरकार के अनुसार, इस साल 10 जुलाई से शुरू किए गए इस अभियान के तहत हरिद्वार, देहरादून एवं ऊधमसिंहनगर जिलों में 4,802 से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन किया गया जिनमें से 511 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस अभियान में अवैध रूप से रह रहे 19 बांग्लादेशी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है। जानकारी के अनुसार, 19 बांग्लादेशी नागरिकों में से 10 को वापस बांग्लादेश भेज दिया गया है, जबकि नौ अन्य बांग्लादेश के नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया जारी है। 

 

यह भी पढ़ें: मुंगेर में अवैध कट्टों के बाद बन रही नकली सिगरेट, कहां से आ रहा चोरी का माल?

कार्रवाई पर क्या बोले सीएम?

ऑपरेशन कालनेमि के तहत की जा रही कार्रवाई के संबंध में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह अभियान किसी वर्ग या समुदाय के खिलाफ नहीं बल्कि कानून- व्यवस्था और देवभूमि की गरिमा की रक्षा के लिए है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया कि आस्था का सम्मान किया जाएगा लेकिन उसकी आड़ में अपराध, पाखंड और धोखाधड़ी को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीएम ने अधिकारियों को इस प्रकार की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रखने और प्रदेश की छवि के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कठोक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। 

क्या है ऑपरेशन कालनेमि?

उत्तराखंड में 'ऑपरेशन कालनेमि' राज्य सरकार का एक खास अभियान है। इस अभियान के तहत साधु-संतों का वेश धारण कर लोगों को ठगने वाले फर्जी बाबाओं और ढोंगियों का पर्दाफाश करना और उन पर कानूनी कार्रवाई करना है। इस अभियान का नाम रामायण के कालनेमि राक्षस के नाम पर रखा गया है। कालनेमि ने हनुमान के साथ छल करके उनको भटकाने का काम किया था। इसी तरह छल करके लोगों की आस्था के साथ खेलने वाले बाबाओं पर नकेल कसने के लिए यह ऑपरेशन शुरू किया गया है। इस ऑपरेशन के तहत कई फर्जी बाबाओं पर कार्रवाई की गई है और उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर किसी भी तरह के धोखे और पाखंड को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं।