पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसको लेकर राज्य में सियायी दांवपेंच शुरू हो गए हैं। इस समय बंगाल में हुमायूं कबीर और बाबरी मस्जिद ये दो नाम ऐसे हैं, जो चर्चा के केंद्र में हैं। हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निष्कासित विधायक हैं। उन्होंने राज्य के मुर्शिदाबाद जिले में अयोध्या की तर्ज पर बाबरी मस्जिद बनवाले का एलान करते हुए इसकी नींव रखी है। इस बीच राजधानी कोलकाता में पत्रकारों ने बाबरी मस्जिद को लेकर तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी से सवाल किया। उन्होंने कहा कि हूमायूं कबीर और बीजेपी की राजनीति में कोई फर्क नहीं है।
दरअसल, हुमायूं कबीर काफी समय से बंगाल में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक नई मस्जिद बनाने की बात कर रहे थे। इसको लेकर बीजेपी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी के ऊपर हमलावर थी। टीएमसी के ऊपर ध्रुवीकरण के आरोप लग रहे थे, जिसके बाद कबीर को सीएम ममला बनर्जी ने पार्टी से बाहर निकाल दिया। इसके बाद कबीर ने जन उन्नयन पार्टी नाम से नई पार्टी बनाई।
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अभिषेक बनर्जी ने क्या कहा?
ऐसे में जब टीएमसी के नेशनल जनरल सेक्रेटरी और सांसद अभिषेक बनर्जी जब इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'यह (बाबरी मस्जिद) कहां बन रही है? मुझे कोई कंस्ट्रक्शन शुरू होता नहीं दिख रहा है। जब यह बननी शुरू होगी तो सवाल पूछिएगा। अगर हुमायूं कबीर मंदिर और मस्जिद के मुद्दे पर राजनीति करना चाहते हैं, तो उनमें और बीजेपी में क्या फर्क है? बीजेपी ने मंदिर बनाने की राजनीति की है, और वे मस्जिद बनाने की राजनीति कर रहे हैं। हुमायूं कबीर बीजेपी के पुराने आदमी हैं। वह बीजेपी से टिकट मांगने दिल्ली गए थे।'
'हुमायूं कबीर बीजेपी के पुराने प्रत्याशी'
उन्होंने आगे कहा, 'हुमायूं कबीर बीजेपी के पुराने प्रत्याशी हैं। बाबरी मस्जिद का मामला 1992 में हुआ था, लेकिन कबीर को 27 साल तक यह याद नहीं आया, जिस पार्टी ने बाबरी मस्जिद तोड़ी थी। वह उस पार्टी में शामिल होकर दिल्ली टिकट मांगने गए... तब उन्हें याद नहीं आया, लेकिन अब उन्हें मस्जिद की आद आ रही है। हर किसी को मंदिर-मस्जिद बनाने का हक है, लेकिन उन्हें इसमें राजनीति नहीं लानी चाहिए। अगर आप गुरुद्वारा और चर्च बनाते हैं तो राजनीति छोड़ दीजिए... मगर आप राजनीति में हैं तो हॉस्पिटल और स्कूल बनाकर जनता की सेवा कीजिए।'
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चुनाव आयोग से सवाल
इस दौरान अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को पश्चिम बंगाल में जारी SIR के तहत मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद हटाए गए 58.20 लाख नामों में से अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की संख्या बतानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि 2021 में राज्य में तृणमूल कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से केंद्र द्वारा बंगाल को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार का एजेंडा बंगाल राज्य के लोगों को परेशान करना है।
