वाल्मिकी रामायण, स्कंद पुराण से लेकर रामचरित मानस तक, भारतीय जनमानस में यह धारणा गहरे तक बैठ गई थी कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ है। यह भगवान राम के पूर्वज इक्ष्वाकु वंश के राजाओं की तपस्थली रही है। कुक्षि, दिलीप, रघु, अज और दशरथ जैसे प्रतापी राजाओं ने यहां शासन किया है। हजारों साल पहले की इस लोक आस्था पर साल 1528 से 1529 के बीच में मुगल सेना ने बड़ा प्रहार किया।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राम जन्मभूमि स्थल पर मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण करा दिया। 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद, संभल और पानीपत की मस्जिदों के साथ ही बनाई गई थी। राम मंदिर का संघर्ष करीब 500 साल पुराना है। हिंदू पक्ष मानता है कि एक वनवास भगवान राम को त्रेता में झेलना पड़ा था, दूसरा बाबर की वजह से झेलना पड़ा। 

अब जब वहां रामलला का भव्य मंदिर बन गया है, तब 500 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है कि रामलला गर्भगृह में हैं और दीपोत्सव मन रहा है। जब भगवान राम रावण का वध करके लंका से लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाई थी, अब एक बार फिर अयोध्यावासी दीपावली मना रहे हैं। 500 साल के बाद रामलला की अपने जन्मभूमि में वापसी हुई है। 



अयोध्या में क्या-क्या हैं इंतजाम?
अयोध्या के दीपोत्सव पर इस बार दुनियाभर की नजरें टिकी हैं। अयोध्या में जगह-जगह शोभा यात्रा निकाली जा रही है, रामलला और सीता के रंग में रंगे जगह-जगह लोग नजर आ रहे हैं। अयोध्या की रामलीला तो वैसे भी सुर्खियों में हैं।  अयोध्या में जमकर आतिशबाजी भी होगी। सरयू पुल पर लेज शो, फ्लेम शो और संगीतमय प्रस्तुति का दौर होगा। रामकथा पार्क में हेलीपैड पर भरत मिलाप कार्यक्रम होगा, जहां पुष्पक विमान से भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी आएंगी। हजारों लोग सरयू घाट पर आरती देखेंगे। 

गर्भगृह में विराजमान रामलला।
अयोध्या के मंदिर में रामलला विराजमान। (इमेज क्रेडिट- x.com/ShriRamTeerth)



अयोध्या में राम की पैड़ी पर भजन संध्या स्थल पर 28 लाख दीप जलाए जाएंगे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम भी इसकी मॉनिटरिंग करेगी। सरयू नदी के 55 घाट पर ड्रोन के जरिए मॉनिटरिंग की जाएगी। अलग-अलग घाट पर अलग-अलग तरह के दीये सजाए गए हैं। कहीं स्वास्तिक तो कहीं ओम आकार में दीयों को रखा गया है। 

अयोध्या में रामलीला में हिस्सा लेने म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, कंबोडिया और इंडोनेशिया के कलाकार आएंगे। अयोध्या नगरी को सुंदर लाइटों और फूलों से सजाया गया है।


क्या है 500 साल के संघर्ष की कहानी?
जब यह मस्जिद बनी थी, तब भी ऐसी जनश्रुतियां हैं कि लोगों ने संघर्ष किया था, हिंसा हुई थी। हिंदू पक्ष इस जमीन को रामलला की जन्मभूमि मानता आया है। राम जन्मभूमि पर पहला खूनी संघर्ष साल 1853 में हुआ था। तब से एक लंबी कानूनी प्रक्रिया चलती रही, मस्जिद में रामलला सरकार की मूर्तियां रखी गईं। साल 1984 के बाद राम मंदिर बनाने का अभियान जोर पकड़ने लगा। यह वही दौर था, जब राम मंदिर आंदोलन रफ्तार पकड़ने लगा था।

दीपमालाओं से सजी अयोध्या नगरी।
दीपोत्सव पर सजी अयोध्या नगरी। (इमेज क्रेडिट- x.com/soniya_hindu)

 

6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने इस मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया था। यह मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 22.77 एकड़ विवादित जमीन पर मंदिर बनाने के पक्ष में 9 नवंबर 2019 को एक फैसला सुनाया। मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन भी दी। 22 जनवरी 2024 को ही राम मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और भगवान राम की मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हुई। रामलला अपने भव्य गर्भगृह में विराजमान हैं और अयोध्या उनके आने की खुशी मना रही है।