संजय सिंह, पटना: बिहार में सड़कों पर पैदल चलना खतरे से खाली नही है। दुर्घटना में प्रतिदिन 10 पैदल चलने वाली लोगों की मौत हो जाती है। इस बात को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया है। पैदल चलने वालों के अलावा मोटरसाइकिल सवार और कार सवार भी हादसे के शिकार होते हैं।
रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सबसे ज्यादा हादसे नेशनल हाईवे पर हो रहे हैं। कुल दुर्घटनाओं में 40 फीसदी से अधिक हादसे नेशनल हाईवे पर हो रहे हैं। बाकी दुर्घटनाएं स्टेट हाईवे या फिर ग्रामीण सड़कों पर हो रही हैं। गांव की आबादी नेशनल हाइवे से सटी रहती है। इस कारण ज्यादा दुर्घटनाएं होती है। लोग बिना सोचे समझे सड़क से इस पार से उस पार करने लगते हैं। इसी चक्कर में अधिकांश दुर्घटनाएं होती रहती है। वाहन चालक भी नेशनल हाईवे पर तेजी से अपने वाहनों को दौड़ाते हैं। वे चाहकर भी दुर्घटनाओं को टाल नहीं सकते।
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आंकड़ों में हादसे
पिछले वर्ष के विश्लेषण के आधार पर एक साल में 4143 सड़क हादसे हुए। इनमें से 3462 लोगों की मौत हुई। जबकि 1524 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। पैदल चलने वालों के बाद बाइक सवार सबसे अधिक हादसे के शिकार हुए। एक साल में बाइक से 3890 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 3203 लोगों की मौतें हुई, 2247 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। साइकिल की सवारी करने वाले 599 लोग भी दुर्घटना के शिकार हुए, जिनमें 506 लोगों की मौत हो गई। ऑटो दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण भी 528 लोगों की मौत हुई, जबकि 520 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
कार से हुए 805 हादसे
वहीं कार से सफर के दौरान 805 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 571 लोगों की मौत हो गई। 644 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। ट्रक दुर्घटना में भी 236 लोग दुर्घटना के शिकार हुए, 130 लोगों की मौत हुई। ई रिक्शा से भी 134 हादसे हुए जिसमें 109 लोगों की मौत हुई और 126 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
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सुधार के आदेश
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने सभी जिले के पुलिस अधीक्षकों को ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने का आदेश दिया है। इसके लिए तीन माह की समय सीमा निर्धारित की गई है। ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के पहले चरण में सड़क किनारे अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। ट्रैफिक डीएसपी को भी समय समय पर वाहनों की जांच करने का आदेश दिया गया है। ओवरलोडिंग पर विशेष नजर रहेगी।
