मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) यूनिवर्सिटी में हजारों छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन यूनिवर्सिटी में मंगलवार रात शुरू हुआ और बुधवार को भी हंगामा जारी रहा। छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर व्यवस्थाओं की अनदेखी का आरोप लगाया है, जिससे छात्र बीमार हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर यूनिवर्सिटी गार्ड्स ने कथित तौर पर मारपीट की, जिसके बाद छात्रों ने कैंपस में तोड़फोड़ और आगजनी की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कैंपस में पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात कर दिया गया है।
छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल में लंबे समय से गंदा पानी और खाने की खराब क्वालिटी के कारण कई छात्रों को पीलिया हो गया है। करीब 100 छात्र अस्पताल में भर्ती हैं। छात्रों ने कहा, 'हमने जब यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई तो गार्ड ने हमारे साथ मारपीट की। हमारे पास इसका वीडियो भी है।' विरोध कर रहे छात्रों के साथ जब मारपीट हुई तो अन्य छात्र भी उनके समर्थन में आ गए। यह मामला इतना बढ़ गया कि हजारों छात्रों ने कैंपस में कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फिलहाल कैंपस में 5 दिन की छुट्टी कर दी है।
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पूरा मामला समझिए
- यूनिवर्सिटी में कई छात्र लंबे समय से घटिया खाने और पानी को लेकर शिकायत कर रहे थे। छात्रों का आरोप है कि कई छात्रों को पीलिया हो गया और कई को तो अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। छात्रों ने बीमारी के चलते कुछ छात्रों की मौत का भी दावा किया। करीब 100 छात्र अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। हालांकि, इसकी जिला प्रशासन ने कोई पुष्टि नहीं की है।
- मंगलवार को जब छात्रों ने विरोध किया तो वार्डन ने कथित तौर पर गार्ड से उनकी पिटाई करवा दी। कुछ छात्रों ने इसका एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। बार-बार शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
- मंगलवार को 4,000 से ज्यादा छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ कैंपस में इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन करने लगे। देखते ही देखते प्रदर्शन उग्र हो गया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने एक बस, बाइक और एम्बुलेंस को तोड़ दिया। हॉस्टल की खिड़कियों के शीशे , कैंपस का अन्य सामान इस उग्र प्रदर्शन की भेंट चढ़ गया।
- मंगलवार रात को स्थिति खराब होने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही पांच थानों की पुलिस फोर्स कैंपस में पहुंच गई और स्थिति को कंट्रोल किया। पुलिस ने छात्रों से बातचीत कर उन्हें शांत करवाया। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से भी अधिकारियों ने छात्रों से बात की और उन्हें आश्वासन दिया।
- बुधवार सुबह एक बार फिर छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया। कुछ छात्रों ने कैंपस में आगजनी की और दूर से भी कैंपस में धुंए को देखा जा सकता था। आगजनी की सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची।
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- इस सब के बीच हजारों छात्र अपना सामान बांध कर यूनिवर्सिटी छोड़कर निकलने लगे। छात्रों ने बताया कि हंगामें के बाद देर रात यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को मेल भेजा कि कैंपस तुरंत खाली करें और कॉलेज 30 नवंबर तक बंद रहेगा। यूनिवर्सिटी ने कैंपसे के सभी 16,000 छात्रों को यह मेल भेजा, जिसके बाद कई छात्र कैंपस छोड़कर चले गए।
छात्रा की मौत का दावा
छात्रों ने कॉलेज प्रशासन पर बार-बार उनकी शिकायतों पर कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया। इसी कॉलेज की एक छात्रा 10 दिन से आईसीयू में बंद थी औ उसकी मौत 24 नवंबर को हो गई थी। इसके अलावा भी छात्रों ने बीमारी से जूझ रहे कुछ छात्रों की मौत का दावा किया है लेकिन इसी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं की गई है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों की मौत के दावों को भ्रामक बताया है। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार केके नायर ने कहा, 'तीन छात्रों की मौत का मामला भ्रामक है, जिसे सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जा रहा है। कुछ छात्रों में पीलिया के लक्षण पाए गए थे लेकिन सभी की स्थिति में सुधार है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सभी बीमार छात्रों को उचित इलाज दिया और डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें घर भेज दिया गया।'
उन्होंने दावा किया कि खाने और पानी की जांच कराई गई है और हर बार वे पूरी तरह सुरक्षित पाए गए हैं। उन्होंने कहा, 'हम सभी आरोपों का खंडन करते हैं। ये सभी आरोप जानूझकर यूनिवर्सिटी की छवि खराब करने के लिए लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे कुछ शरारत है और इस सब का उद्देश्य सिर्फ भ्रम फैलाना है।' हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में छात्रों ने दावा किया है कि वे बाहर से मिनरल वाटर खरीदकर पीने के लिए मजबूर हैं।
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लाखों फीस लेकिन जर्जर व्यवस्था
वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में करीब 16,000 छात्र पढ़ते हैं। इस यूनिवर्सिटी में छात्रों से लाखों रुपये फीस ली जाती है हॉस्टल और मेस के चार्ज भी अच्छे खासे हैं लेकिन इन सब के बावजूद यूनिवर्सिटी में छात्र खराब व्यवस्थाओं की शिकायत करते रहे हैं। दो साल पहले जून के महीने में छात्रों ने पानी के लिए प्रोटेस्ट किया था। छात्रों का आरोप था कि यूनिवर्सिटी में गर्मी के मौसम में भी ठंडा पानी नहीं मिलता है। इस प्रोटेस्ट के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस ने परीक्षाएं स्थगित कर दी थीं और छात्रों को घर भेज दिया था। अब इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे भ्रष्टाचार का नतीजा बताया है और सरकार पर हिटलर की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
