उत्तराखंड के हरिद्वार में अचानक मची भगदड़ में कम से कम 8 लोगों की मौत हुई है, वहीं 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। उत्तराखंड पुलिस ने कहा है कि मंदिर में अचानक लोगों की भीड़ बढ़ गई, जिसके बाद पूरे परिसर में भगदड़ की स्थिति बन गई। लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। मंदिर पर एक बिजली का हाई वोल्टेज तार गिरा, जिसके बाद लोग डर गए और इधर-उधर भागने लगे। हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल ने कहा है कि मंदिर मार्ग में भगदड़ मचने से छह लोगों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि 35 से अधिक घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है, उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया गया है।
हरिद्वार पुलिस ने कहा है कि करंट फैलने की अफवाह फैली, जिसके बाद भगदड़ मची। यह घटना मनसा देवी मंदिर के सीढ़ी वाले रास्ते पर सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुई। मौके पर एडीआरएफ और पुलिस बल पहुंचे हैं। घायलों का इलाज चल रहा है। मृतकों की पहचान अभी तक सामने नहीं आई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
क्यों मची भगदड़?
पुलिस और स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि अफवाह की वजह से भगदड़ मची। हरिद्वार के जिला अधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा, 'यह अफवाह फैली कि एक बिजली का तार टूट गया है। इलाके में करंट दौड़ रहा है। इस अफवाह से मंदिर की ओर जाने वाली खड़ी सीढ़ियों पर मौजूद भक्त डर गए। अचानक भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई।
हादसे में बचे लोगों ने क्या कहा?
हादसे में बचे एक शख्स ने कहा, 'अचानक से बहुत भीड़ बढ़ गई थी। कई लोग नीचे गिर गए। भागते वक्त हर कोई एक-दूसरे पर गिरता चला गया। कई लोगों की मौतें हुई हैं।'
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने X पर लिखा, 'हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग में भगदड़ मचने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ है। स्थानीय पुलिस तथा अन्य बचाव दल मौके पर पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। इस संबंध में निरंतर स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हूं और स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। माता रानी से सभी श्रद्धालुओं के सकुशल होने की प्रार्थना करता हूं।'
अगर आपके परिजन खो गए हैं तो यह है हेल्पलाइन नंबर
भगदड़ में खोए हुए लोगों की तलाश के लिए स्थानीय पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं-
कंट्रोल रूम हरिद्वार
+919411112973
+919520625934
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भगदड़ क्यों मचती है?
मनोविज्ञानिक और रिसर्चर ड्रिग हेल्बिंग ने अपने एक शोध में कहा था कि भगदड़ के वक्त लोग 'ब्लैक होल इफेक्ट' का शिकार हो जाते हैं। लोग हादसे वाली जगह पर ही खिंचते चले जाते हैं और मारे जाते हैं। ईटीएच ज्युरिख में कंपाउटेशनल सोशल साइंस के प्रोफेसर हैं। भगदड़ के वक्त भीड़ में मौजूद लोग सोचते हैं कि किसी तरह भागें। वह अनजाने में ही उसी भीड़ में शामिल हो जाते हैं जिनकी वजह से और लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं।
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कैसे रुक सकते हैं ऐसे हादसे?
- अफवाहों न फैलने दें
- भीड़ पर नियंत्रण रहे
- परिसर की क्षमता से ज्यादा भीड़ न जुटने पाए
- प्रति व्यक्ति इतना अंतराल ज्यादा हो
- भीड़ के आने और जाने के रास्ते अलग-अलग हों
- सुरक्षाकर्मियों जगह-जगह तैनात हों
- कंट्रोल रूम हो, जिससे भीड़ पर नजर रखी जा सके
क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें
- अगर भगदड़ मची है तो सुरक्षित जगह भागें
- जिधर भीड़ भाग रही है, उधर मत भागें
- अफवाहों से बचें और अफवाहें न फैलने दें
हर साल भगदड़ में कितने लोग मारे जाते हैं?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बाते हैं कि हर साल भगदड़ से मौतें होती हैं। साल 2008 में भगदड़ के 105 मामले सामने आए थे। साल 2009 में देश में भगदड़ के 1532 केस सामने आए। साल 2010 में 107, 2011 में 314, 2012 में 62, 2013 में 557, 2014 में 139, 2015 में 424, 2016 में 31, 2017 में 26, 2018 में 5, 2019 में 14, 2020 में 16, 2021 में 25 केस सामने आए थे।
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हर साल भगदड़ की वजह से कितनी मौतें?
NCRB के ही आंकड़े बताते हैं कि साल 2001 से 2022 तक भगदड़ की वजह से कितनी मौतें हुई हैं। साल 2001 से 2022 के बीच भगदड़ की वजह से 3074 लोगों की मौत हुई है। साल 2008 में 43, 2009 में 110, 2010 में 113, 2011 में 489, साल 2012 में 70, 2013 में 400, 2014 में 178, 2015 में 480, 2016 में 45, 2017 में 49, 2018 में 6, 2019 में 12, 2020 में 14, 2021 में 23, 2022 में 22 लोगों ने भगदड़ में अपनी जानें गंवाई हैं।
