महाराष्ट्र सरकार ने जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए इस पर कानून बनाने के लिए एक 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है। दरअसल, यह समिति राज्य में ऐसे मामलों की समीक्षा करेगी और एक प्रभावी कानूनी मसौदा तैयार करने की सिफारिश करेगी। समिति की अध्यक्षता राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) करेंगे और इसमें विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। इस कानून को लाने का मकसद समाज में जबरन, धोखाधड़ी या प्रलोभन देकर किए जाने वाले धर्मांतरण को रोकना है, ताकि सभी धर्मों के लोग अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मानपूर्वक पालन कर सकें। 

 

बता दें कि भारत में 'लव जिहाद' और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कई राज्यों ने कानून बनाए हैं या इस दिशा में कदम उठाए हैं। इस कानून का उद्देश्य धोखाधड़ी, बलपूर्वक या लालच देकर किए जाने वाले धर्मांतरण को रोकना है। देश के लगभग 9 राज्य ऐसे है जहां लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाए गए है। इसमें, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ शामिल है। क्या है इन राज्यों में लव जिहाद को लेकर कानून, आइये जानें

 

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2020' पारित किया है, जो जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकता है।

 

मध्य प्रदेश

यहां 'मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021' लागू है, जो अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सख्त प्रावधान करता है।

 

उत्तराखंड

'उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018' जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाया गया है।

 

हिमाचल प्रदेश

'हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2019' के माध्यम से राज्य में अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाई गई है।

 

झारखंड

'झारखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2017' जबरन धर्मांतरण के मामलों से निपटने के लिए लागू किया गया है।

 

गुजरात

'गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021' के तहत जबरन धर्मांतरण पर सख्त प्रावधान हैं।

 

यह भी पढ़ें:  'कोई सुन ही नहीं रहा था...', वायुसेना के जवान ने बताया कैसे मची भगदड़

 

कर्नाटक

'कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2021' जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए लागू किया गया है।

 

ओडिशा

'ओडिशा धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1967' देश में सबसे पहले लागू होने वाले धर्मांतरण विरोधी कानूनों में से एक है।

 

छत्तीसगढ़

'छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968' के माध्यम से राज्य में अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाई गई है।

 

भारत में कहां सबसे सख्त 'लव जिहाद' कानून?

भारत में 'लव जिहाद' और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कई राज्यों ने कानून बनाए हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से सख्त माने जाते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कानून प्रमुख हैं।

 

उत्तर प्रदेश


उत्तर प्रदेश सरकार ने 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024' पारित किया है, जो जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण के मामलों में कठोर दंड का प्रावधान करता है। इस संशोधित कानून के तहत, दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। पहले, यह सजा अधिकतम 10 वर्ष तक थी, जिसे अब बढ़ाकर आजीवन कर दिया गया है। साथ ही, जुर्माने की राशि भी बढ़ाई गई है, जो पीड़ित के मेडिकल खर्च में मदद पहुंचाती है।

 

यह भी पढ़ें: बाराबंकी: सड़क पर खड़ी बस से भिड़ा ट्रैवलर टेम्पो, कई लोगों की मौत

 

मध्य प्रदेश


मध्य प्रदेश में 'मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021' लागू है, जो जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त प्रावधान करता है। इस कानून के तहत, नाबालिगों, महिलाओं, या अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों का जबरन धर्मांतरण करने पर 10 वर्ष तक की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में, सजा 10 वर्ष तक और जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है।