यूपी की कौशांबी जेल में एक शख्स 1977 में गिरफ्तार हुआ था, पूरे 43 साल बाद जब वह जेल से रिहा हुआ तो उसकी उम्र 103 साल हो गई। शख्स का नाम लखन सिंह है। उसे हत्या के आरोप में सजा हुई थी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने उनकी रिहाई के लिए अर्जी दी थी, जिसके प्रयासों के बाद लखन सिंह, 43 बरस बाद जेल से बाह सका। जब उसके घरवालों ने उसे देखा तो सब रो पड़े।
लखन सिंह जेल से बाहर आकर अपना भरा-पूरा परिवार देख पाए। परिवार के कई सदस्यों से वह अनजान ही रहे। कई लोग मर गए, कई नए लोग परिवार में शामिल हुए। जब लखन सिंह अपने गांव में निकले तो उन्हें कुछ भी पहले जैसा नजर नहीं आया। 48 साल में उस गांव में बहुत कुछ बदल चुका था। लखन सिंह जेल से बाहर आकर भी मायूस रहे।
किस केस में लखन सिंह को जेल हुई थी
लखन सिंह पर 1977 में गांव के एक शख्स को डालने का आरोप लगा। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, जेल भेज दिया। कोर्ट में लंबी सुनवाई चली लेकिन आजीवन कारावास की सजा हो गई। कौशांबी जिला जेल में बंद लखन के परिजन 1977 से ही जमानत के लिए कोशिश कर रहे थे लेकिन जमानत मिल नहीं रही थी।
कैसे जेल से बाहर आए लखन सिंह?
लखन सिंह के घरवालों ने जेल अधीक्षक अजितेश कुमार से गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अब लखन सिंह की उम्र 103 साल हो गई है। मानवीय आधार पर उन्हें रिहा कर देना चाहिए। जेल अधीक्षक ने केस को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पास भेजा। प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में अपील की। सीएम योगी और कानून मंत्री को चिट्ठी लिखी।
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अपर जिला जज और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशांबी की सचिव पूर्णिमा प्रांजल ने कहा, 'अदालत के आदेश के बाद जिला जेल अधीक्षक के सहयोग से लखन को मंगलवार को कौशांबी जिला जेल से रिहा किया गया।'
किसकी हत्या का आरोप था?
16 अगस्त 1977 में प्रभु सरोज नाम के एक शख्स की हत्या हुई थी। दो समूहों की लड़ाई वह मारा गया था। लखन सिंह के अलावा 3 अन्य लोग भी गिरफ्तार हुए थे। प्रयागराज की जिला अदालत ने 1982 में आजीवन करावास की सजा सुनाई वह इलाहाबाद हाई कोर्ट गए। उन्हें कोर्ट ने 43 साल बाद 2 मई 2025 को रिहा कर दिया। लखन सिंह के 3 अन्य सह आरोपियों की मौत हो चुकी है।
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43 साल बाद बरी हो गए
लखन ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की और उनकी अपील पर 43 साल बाद उनके हक में फैसला आया। दो मई, 2025 को उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि लखन को शरीरा पुलिस थाना अंतर्गत उसकी बेटी के घर सुरक्षित पहुंचाया गया जहां अब वे रह रहे हैं।