कश्मीर घाटी जम्मू-कश्मीर में शराब प्रतिबंध को लेकर हाल ही में चर्चा तेज हो गई है। इस मांग को लेकर तीन विधेयक पेश किए गए हैं और एक सार्वजनिक अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके पीछे कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कारण हैं। शराबबंदी के उद्देश्य से तीन निजी विधेयक आगामी सत्र में पेश करने के लिए विधानसभा सचिवालय को सौंपे गए हैं।

 

इस विधेयक को सबसे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक फैयाज अहमज ने पेश किया। इसमें कश्मीर में शराब के ऐड, बिक्री और खरीद पर रोक लगाने की बात कही गई है। बता दें कि ये विधेयक जम्मू-कश्मीर में शराब के दुरुपयोग और नशे की लत के संकट के बीच आए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर 12 मिनट में एक नशेड़ी श्रीनगर के ओपीडी में भर्ती होता है। 

 

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शराब प्रतिबंध की मांग के पीछे कारण?

कश्मीर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस्लाम को मानता है, जिसमें शराब के सेवन पर बैन है। इस वजह से लंबे समय से यहां शराब पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठती रही है। कई धार्मिक संगठनों ने भी इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त की है। इसके अलावा शराब की उपलब्धता और खपत को कई सामाजिक बुराइयों से जोड़ा जाता है, जैसे कि घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाएं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि शराब पर प्रतिबंध लगाने से इन समस्याओं में कमी आ सकती है।


वहीं, कई स्थानीय संगठनों और राजनीतिक नेताओं का मानना है कि शराब का सेवन युवाओं को नशे की लत की ओर धकेल सकता है। घाटी में पहले से ही नशीली दवाओं की समस्या बढ़ रही है और शराब को प्रतिबंधित करने से इस संकट को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में शराब पर प्रतिबंध पहले से ही लागू है। कश्मीर में लोग इन राज्यों का ही हवाला देते है। 

 

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तीन विधेयक और सार्वजनिक अभियान

हाल ही में, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीन विधेयक पेश किए गए हैं, जो शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। इसके अलावा, कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने एक सार्वजनिक अभियान शुरू किया है, जिसमें लोगों से शराब का बहिष्कार करने की अपील की जा रही है। हालांकि, सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन इस पर चर्चा जारी है।