मध्य प्रदेश के एक सरकारी स्कूल की दीवारों पर किए गए पेंट का एक बिल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बिल में कुछ ऐसा है कि हर कोई देखकर अपना माथा पकड़ ले रहा है और कह रहा है कि यह तो अलग ही फ्रॉड चल रहा है। शहडोल में एक सरकारी हाई स्कूल की दीवार रंगने के लिए 4 लीटर पेंट लगा। यहां तक सब ठीक था लेकिन जब बिल में 168 मजदूर और 65 मिस्त्री का खर्चा दिखाया गया तो सब हैरान रह गए। 4 लीटर पेंट से पुताई के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री लगाए गए और फिर जाकर स्कूल की दीवार पेंट हुई।
लोग इसे ऐतिहासिक पुताई कह रहे हैं। क्योंकि एक स्कूल की दीवारों की पुताई के लिए 233 लोगों की मेहनत और 4 लीटर पेंट लगा। अब इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग के जिलाधिकारी ने इस बिल को मंजूर भी कर दिया। अब सवाल यह है कि चार लीटर पेंट में ऐसा क्या था कि उसकी पुताई के लिए इतने लोगों की जरूरत पड़ गई? अभी तो सभी को यह मामला साफ घोटाले का लग रहा है।
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कितना मंहगा हुआ पेंट?
स्कूल की दीवारों की पुताई का जो बिल वायरल हो रहा है इसमें कुल खर्च 1,06,984 रुपये दिखाया गया है। इसमें लेबर को की गई पेमेन्ट की 67,200 है जिसमें 168 लेबर दिखाई गई हैं। 65 मिस्त्री को 600 रुपयें के हिसाब से 39,000 रुपये दिए गए। दीवारों की पुताई की लिए 4 लीटर पेंट लाया गया जिसकी कीमत 784 रुपये दिखाई गई है।
इस बिल पर स्कूल के प्रिसिंपल के सिग्नेचर भी हैं। बिल को जिला शिक्षा अधिकारी से भी मंजूरी मिल गई। अब लोगों को पुताई पर इतना ज्यादा खर्च ठीक नहीं लग रहा। 4 लीटर पेंट पर इतनी लेबर और मिस्त्री की क्या जरूरत पड़ गई थी।
क्यो बोले जिला शिक्षा अधिकारी?
सोशल मीडिया पर यह बिल वायरल होने के बाद मामला जिला शिक्षा अधिकारी तक पहुंचा। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची ने कहा, 'सोशल मीडिया से इस बारे में पता चला है। हम इसकी जांच करवाएंगे।'
अब जब जांच होगी तब पता चलेगा कि 4 लीटर पेंट के लिए 168 मजदूर और 65 कैसे लगे? क्या इस बिल के पीछे कोई बड़ा घोटाला है या फिर कोई और वजह? लेकिन अभी तो हर जगह इस बिल की चर्चा है।