'मेरी बहन रेणु लापता है।' यह अलफाज उस बेबस भाई के है जो महाकुंभ में अपनी बहन को ढूंढ रहे है। रात के लगभग 2 बजे जब मेले में भगदड़ मची तो हर जगह अफरा-तफरी मच गई। लोग मुर्दाघर के बाहर खड़े हैं और दिन चढ़ने के साथ उस भाई की चिंता बढ़ती जा रही है कि उसकी बहन जिंदा है भी की नहीं! लाचार भाई अजय कुमार यादव ने बताया कि वो दो बार अस्पताल गया, पुलिस से घोषणा करने को भी कहा लेकिन उसे बस कतार में इंतजार करने को कह दिया गया।
30 लोगों की मौत, मुर्दाघर के बाहर भीड़
मनीष पांडे भी अपनी बहन को ढूंढ रहे है। वो कहते है कि पुलिस ये नहीं बता रही कि उन्हें कितने शव मिले हैं। उनके पास क्या कोई डेटा नहीं है? दरअसल, बुधवार तड़के 2 बजे के करीब प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में भगदड़ की वजह से 30 लोगों की मौत हो गई है और 60 लोग घायल हुए हैं। यह हादसा मौनी अमावस्या के मौके पर हुआ। सुबह से रात के 9 बजे गए लेकिन अभी भी अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। दहशत और दुख लोगों की आंखों में साफ नजर आ रहा हैं। प्रयागराज में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मुर्दाघर के बाहर, रिश्तेदार अभी भी अपने प्रियजनों की तलाश कर रहे हैं जो लापता हो गए हैं।
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फटी हुई चप्पलें, कपड़े, बैग...
भगदड़ में फंसे लोगों की फटी हुई चप्पलें, कपड़े, बैग, पानी की बोतलें, निजी सामान पूरे मैदान में बिखरे हुए थे। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि संगम की ओर जाने वाले चार में से तीन गेट बंद थे, जिसके कारण भक्त केवल खुले हुए गेट के पास भीड़ लगा रहे थे। 60 वर्षीय बेरी देवी के पति लापता हैं। वो मेला अस्पताल से लेकर शवगृह की चक्कर लगा रही है लेकिन उन्हें अपने पति का कुछ पता नहीं चल पा रहा।
न कोई पुलिसकर्मी और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था
रात करीब 1-1:30 बजे भीड़ इधर से उधर भाग रही थी। न कोई पुलिसकर्मी और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से बासदेव शर्मा अपने परिवार के साथ आए थे। उन्होंने कहा कि वे अपने सामान और पैसे को सावधानी से छिपाकर नहाने के लिए गए थे। बासदेव ने कांपती आवाज में कहा, 'अचानक बहुत भीड़ हो गई। मेरे परिवार का एक सदस्य कुचल गया। हम नहाकर वापस आ रहे थे, तभी हमने देखा कि वह बेहोश पड़ी है। लोग बस उसके ऊपर से गुजर रहे थे। कोई भी उसे रोकने के लिए नहीं आया। उसके सीने और पैरों में कई चोटें आईं है। आस-पास भीड़ बढ़ने के कारण उनकी सांस फूल रही थी।'