महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 500 मेडिकल ऑफिसर्स (ग्रुप-ए) की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। सरकार ने पाया कि ये 500 मेडिकल ऑफिसर्स अनिवार्य डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में फेल हो गए। इन डॉक्टरों में स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, एनेस्थेटिस्ट और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं, इन सभी को 31 जनवरी 2024 को शुरू की गई चयन प्रक्रिया के जरिए भर्ती किया गया था।
साथ ही सभी को 20 जून 2024 को ऑफर लेटर जारी कर दिए गए थे। ऑफर लेटर मिलने के बावजूद उन्होंने आवश्यक समय सीमा के भीतर नौकरी ज्वाइन नहीं की। अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्होंने ये नौकरी ज्वाइन करने के बजाय प्राइवेट प्रैक्टिस करने लगे या महाराष्ट्र से बाहर नौकरी करने लचे गए।
वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों का चयन करें
अब ये बात भी उठने लगी है कि राज्य सरकार खाली नियुक्तियों को भरने के लिए वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों का चयन करे। दरअसल, महाराष्ट्र में सरकारी अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। इसमें खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र प्रभावित हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'कई चयनित उम्मीदवार भारी कार्यभार, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में कम सैलरी की वजह से सरकारी नौकरी को ज्वाइन करने से कतराते हैं।'
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अस्पतालों में जरूरी उपकरणों का अभाव
मेडिकल एयोसिएशन का कहना है कि मेडिकल क्षेत्र में खराब सेवा स्थितियां डॉक्टरों में निराशा पैदा करती हैं। कई सरकारी अस्पतालों में जरूरी उपकरणों और सहायक कर्मचारियों की कमी है, जिससे विशेषज्ञों के लिए प्रभावी ढंग से मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। राज्य की ए ग्रेड की सरकारी नौकरी को अस्वीकार करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि हम बेहतर कार्य स्थितियों के बगैर मरीजों की बेहतर देखभाल कैसे कर सकते हैं?
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कितनी मिलती है सैलरी?
महाराष्ट्र में ग्रुप-ए के चिकित्सा अधिकारी को 56,100 रुपये से 1,77,500 रुपये प्रति माह मिलते हैं। इसके हिसाब से उन्हें हर महीनें औसतन 95,935 रुपये दिए जाते हैं। वहीं, प्राइवेट अस्पतालों में यही डॉक्टर्स हर महीने 1.53 लाख रुपये कमाते हैं। यह वजह है कि डॉक्टर्स प्राइवेट अस्पतालों का पुख कर रहे हैं।
इसके अलावा एक नौकरी छोड़ने वाले उम्मीदवार ने कहा कि सरकार की भर्ती प्रक्रिया को काफी लंबी है। सरकार जब तक नियुक्ति पत्र जारी करती है, तब तक हममें से कई लोग पहले ही प्राइवेट अस्पतालों में नौकरी करने लगते हैं।