उत्तर प्रदेश के कानपुर से लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है। लाला लाजपत राय अस्पताल (गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज) में मेडिकल टीम ने गलती से एक जिंदा मरीज को मृत घोषित कर दिया। इस मामले में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, एक स्टाफ नर्स और दो अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि जूनियर डॉक्टर ने मरीज की ठीक से जांच किए बिना ही उसे मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

 

मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कड़ी कार्रवाई की है। अस्पताल प्रशासन ने सभी संबंधित लोगों को सस्पेंड कर जांच के लिए एक टीम बनाई है। जांच पूरी होने के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।

 

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अस्पताल की ओर से मिली जानकारी

गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉक्टर संजय काला ने बताया कि यह मामला तब सामने आया जब पोस्टमार्टम के बाद पुलिसकर्मी शव को ले जाने के लिए मेडिसिन वार्ड में पहुंचे। जहां उन्हें पता चला कि आदमी जिंदा है और उसकी सांसे चल रही है। संजय काला ने PTI को बताया कि घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। 


समिति की अध्यक्षता उप-प्राचार्य डॉ.  ऋचा अग्रवाल कर रही है। इसमें अन्य सदस्य के तौर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सौरभ अग्रवाल और प्रभारी अधीक्षक राकेश सिंह शामिल हैं। समिति को अपनी रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर देनी है। जांच के बाद रिपोर्ट में जो कुछ सामने आएगा उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।  

हुआ क्या था?

संजय काला ने बताया कि मेडिसिन वार्ड नंबर 12 में दो मरीज अगल-बगल के बिस्तर पर भर्ती थे। उनमें से एक विनोद बेड नंबर 42 और लगभग 60 साल एक अज्ञात बुजुर्ग बेड नंबर 43 पर भर्ती था। शनिवार को इलाज के दौरान बुजुर्ग की मौत हो गई। जूनियर डॉक्टरों ने गलती से विनोद की फाइल भर दी और उसे आधिकारिक तौर  पर मृत घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि दस्तावेजों के आधार पर पोस्टमार्टम की प्रक्रियाओं के लिए थाने को सूचना भेजी गई। जब वे विनोद के शव को लेने पहुंचे तो विनोद को जिंदा देख कर हैरान रह गए। 

 

इस खुलासे के बाद पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारी वार्ड में पहुंचे। एक अधिकारी ने PTI को नाम न बताने की शर्त पर कहा कि गलती करने वाले जूनियर डॉक्टर हिंमाशू मौर्या ने  अपनी गलती मान कर माफी मांग ली है। उन्होंने यह भी बताया कि यह सब गलत दस्तावेजीकरण के कारण हुई है। इसमें जूनियर डॉक्टर समेत नर्सिंग स्टाफ सनी सोनकर, वार्ड आया रहनुमा और एक अन्य को संस्पेंड किया गया है। 

 

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जूनियर डॉक्टर से हुई लापरवाही

ऐसा बताया गया कि हिंमाशू ने गलती से गलत मरीज की फाइल भर दी। रिकॉर्ड को बाद में ठीक किया गया और उसे पुलिस को दोबारा भेज दिया गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मेडिकल रिकॉर्ड में दिए गए फोन नंबर के आधार पर विनोद के परिवार वालों से संपर्क कर उन्हें सूचना दी गई है। उनको अस्पताल पहुंचने के लिए कहा गया है। 

 

गोविंद नगर के थानाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने बताया कि एक अनजान बुजुर्ग आदमी करीब 5 दिन पहले बेहोश मिला था। पुलिस के जांच के बाद उसकी पहचान न हो पाने के बाद उसे लाला लाजपत राय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे उल्टी और दस्त हो रहे थे और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। राकेश सिंह ने बताया कि विनोद का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।