पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को कहा कि मोदी-योगी या किसी भी राज्य की बीजेपी सरकार ने मुसलमानों के विकास में कमी नहीं की है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने भले पार्टी को वोट देने में कंजूसी की हो। प्रयागराज के भदारी गांव में हर साल की तरह इस साल भी मुहर्रम कार्यक्रम में शामिल होने आए नकवी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'अब हमें (मुस्लिमों) बीजेपी से राजनीतिक दूरी को खत्म करना होगा।'

 

उन्होंने कहा, 'बीजेपी मुल्क की हकीकत है। इसे नजरअंदाज करना मुल्क और मुसलमानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। बीजेपी के प्रति पैदा किए गए भय-भ्रम के गटर पर भरोसे का शटर लगाना होगा।' नकवी ने कहा कि आजादी के बाद पहली गैर-कांग्रेस सरकार है जो एक परिवार के सहारे और कांग्रेस के रिमोट के बगैर सुशासन, सफलता के कीर्तिमान स्थापित करती हुई काम कर रही है।

 

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लीगल लाइसेंस चाहता है विपक्ष

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पर उन्होंने कहा कि जनगणना से पहले मतगणना पर सवाल और बवाल करने वाले समझ चुके हैं कि इस बार फिर उनका जुगाड़ का जमघट चारों खाने चित होने वाला है। वक्फ कानून को लेकर नकवी ने कहा कि वक्फ और अन्य सुधारों पर सांप्रदायिक हमला इस बात का सबूत है कि विपक्ष संवैधानिक कानून पर भ्रम के जरिए लूट पर छूट का लीगल लाइसेंस चाहता है। 

भारत ने सर्वधर्म समभाव का रास्ता चुना

उन्होंने कहा कि वक्फ कानून, धार्मिक आस्था के संवैधानिक संरक्षण, प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की गारंटी है। उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद जहां पाकिस्तान ने इस्लामी झंडा फहराया, वहीं भारत ने सर्वधर्म समभाव का रास्ता चुना, यह भारत के बहुसंख्यकों के संस्कार, संस्कृति व सोच का प्रमाण है। नकवी ने संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्द के उल्लेख को लेकर छिड़ी बहस पर भी प्रतिक्रिया दी।

 

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हिंदुस्तान हमेशा पंथनिरपेक्ष और समाजवादी रहा

उन्होंने कहा, 'संविधान के मूल ढांचे में न तो धर्मनिरपेक्षता और न ही समाजवाद शब्द थे। इसके बावजूद हिंदुस्तान हमेशा पंथनिरपेक्ष और समाजवादी रहा है। 1976 में आपातकाल के दौरान संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ कर धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को संविधान का हिस्सा बनाने के पीछे सियासी स्वार्थ था। धर्मनिरपेक्षता के राजनीतिक दुरुपयोग पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए।'