संजय सिंह। मकर संक्रांति के बाद नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोर शोर से हो रही है। चर्चा है कि जेडीयू से छह और बीजेपी कोटे से चार विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। इस बीच मंत्री बनने के लिए विधायक अपनी-अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि जेडीयू इस बात का इंतजार कर रही है कि दूसरे दल के विधायक टूटकर उनके पाले में आ सकते हैं।
जेडीयू के शीर्ष नेताओं को इस बात की उम्मीद है कि कांग्रेस से कुछ विधायक उनके पाले में आ सकते हैं। कांग्रेस में अबतक विधायक दल के नेता का चुनाव नही हो पाया है। पार्टी में अंदरूनी कलह जगजाहिर है। पिछली बार की तरह एआईएमआईएम के विधायकों के टूटने की भी उम्मीद जेडीयू लगाए बैठी है। हालांकि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान का कहना है कि उनके विधायक पूरी तरह एकजुट हैं। पिछली बार दो विधायक प्रलोभन में आकर आरजेडी में चले गए थे। जनता उन्हें सबक सिखा चुकी है। अब कोई दुबारा ऐसी गलती करने का हिम्मत नही करेगा।
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कौन बन सकता है मंत्री?
जेडीयू कोटे से मंत्री बनने में शीला मंडल, श्याम रजक और बुलो मंडल का नाम सबसे आगे है। बुलो मंडल पूर्व सांसद रहे हैं। उनका केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के साथ बेहतर संबंध है। गंगोता जाति से होने के कारण मंडल की दावेदारी मजबूत है। मुंगेर से झारखंड के साहबगंज तक गंगा किनारे गंगोता जाति की बड़ी आबादी रहती है।
बीजेपी में पुराने चेहरे की चर्चा
बीजेपी में मंत्री बनने वालों की संख्या ज्यादा है। बीजेपी के विधायक नितिन नबीन को जिस तरह पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, उससे इस बात की चर्चा होने लगी कि पार्टी कहीं पुराने चेहरे की बजाय नए चेहरों पर दांव लगाना ना शुरू कर दे। बीजेपी कोटे से चार विधायकों को ही मंत्री बनाए जाने की गुंजाइश बची है। कोशी की राजनीति में छातापुर के विधायक नीरज बबलू बीजेपी का बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं। सहरसा सीट से बीजेपी उम्मीदवार आलोक झा के हारने के बाद बबलू ही कोशी में बीजेपी के खेवनहार बचे हैं।
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उधर मिथिलांचल की राजनीति में नीतीश मिश्रा का कद बढ़ा है। वे पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे हैं। वह पहले भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनका भी दावा मजबूत है। मिथिलांचल से दूसरा नाम जीवेश मिश्रा का लिया जा रहा है। जीवेश पिछली सरकार में भी मंत्री थे। इनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। सीमांचल के लोग पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का भी नाम उछाल रहे हैं।
सीमांचल से ही दिलीप जायसवाल को मंत्री बनाया गया है। तारकिशोर और जायसवाल दोनो वैश्य समुदाय से आते हैं। जातीय समीकरण के आधार पर तारकिशोर की दावेदारी कमजोर पड़ती दिखती है। भागलपुर के बिहपुर विधानसभा क्षेत्र से इंजीनियर शैलेन्द्र की भी दावेदारी मजबूत है। वे चौथी बार विधायक बने हैं। भागलपुर से अबतक किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है। परिणामस्वरूप इनके समर्थकों को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद है।
कितना सच है आरजेडी में टूट का दावा?
बीजेपी और जेडीयू दोनों दावा कर रही हैं कि आरजेडी टूट के कगार पर है। कल कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने यह दावा किया था कि आरजेडी के अधिकांश विधायक उनके संपर्क में हैं। रामकृपाल यादव से पहले पूर्व विधायक नीरज बबलू भी ऐसा ही दावा कर चुके हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरजेडी में टूट फिलहाल संभव नहीं है। जेडीयू और बीजेपी मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए ऐसा कह रही हैं।
