बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। 22 नवंबर को मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। इससे पहले यहां नई सरकार का गठन हो जाएगा। बिहार में चुनाव से पहले नीतीश सरकार एक बड़ा कर्ज लेने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि बिहार सरकार 16 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है। इसके लिए सरकार ने RBI से गुहार लगाई है।

 

नीतीश सरकार के कर्ज लेने की टाइमिंग पर सवाल भी उठ रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि चुनावी वादे पूरा करने के लिए सरकार कर्ज मांग रही है। वहीं, सरकार का दावा है कि विकास के लिए कर्ज लेना जरूरी है।

 

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कर्ज क्यों लिया जा रहा है?

बिहार सरकार ने 16 हजार करोड़ रुपये के लोन के लिए RBI से ऐसे वक्त गुहार लगाई है, जब राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। 

 

ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए सरकार कई नई योजनाएं शुरू कर सकती है और इसके लिए पैसा चाहिए। ऐसे में कर्ज लेना जरूरी है। जानकारों का मानना है कि चुनाव को देखते हुए सरकार यह पैसा ऐसी जगह खर्च करेगी, जिससे सियासी फायदा हो।

 

हालांकि, सरकार इसे खारिज करती है। डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने मीडिया से कहा, '16 हजार करोड़ का कर्ज विकास के लिए लिया जा रहा है। चुनाव का समय होने के कारण लग रहा होगा कि कुछ अलग मामला है। ऐसा कुछ नहीं है। हम चुनाव के पहले तीन महीनों में विकास को पूरी तरह से ठप नहीं कर सकते न।'

 

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कितनी कर्जदार है बिहार सरकार?

बिहार उन राज्यों में शामिल है, जो कर्ज में अच्छे-खासे डूबे हैं। बिहार सरकार के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, 2024-25 तक सरकार पर 3.62 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इसमें से 44,608 करोड़ रुपये का कर्ज केंद्र सरकार का है।

 

बिहार सरकार तीन तरह से कर्ज लेती है। पहला- मार्केट से लोन लेती है। दूसरा- वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेती है। और तीसरा- केंद्र सरकार से मांगती है।

 

आर्थिक सर्वे बताता है कि एक साल में बिहार सरकार पर केंद्र सरकार का कर्ज दोगुना बढ़ गया है। 2022-23 में बिहार के कर्ज में केंद्र से मिलने वाले लोन या एडवांस की हिस्सेदारी 8% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 16% हो गई। अनुमान है कि 2024-25 तक बिहार की GDP 9.76 लाख करोड़ रुपये थी। इस हिसाब से बिहार पर अपनी GDP का कुल 37.1% कर्ज था। 

 

ज्यादा कर्ज के कारण सरकार के खर्च का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ इसका ब्याज चुकाने पर चला जाता है। 2025-26 के लिए बिहार सरकार ने 3.16 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है। इसमें से 22,820 करोड़ रुपये तो सिर्फ कर्ज पर ब्याज चुकाने में खर्च होगा। यानी, बिहार सरकार के कुल बजट का 7% से ज्यादा ब्याज चुकाने में खर्च होगा। इस हिसाब से देखें तो बिहार सरकार पूरे साल हर दिन लगभग 63 करोड़ और हर घंटे 2.60 करोड़ रुपये ब्याज के लिए चुका रही है।