पिछले कुछ सालों में तलाक के मामले खूब चर्चा में आए हैं। अलग-अलग कारणों से होने वाले तलाक में मेंटेनेंस यानी गुजारा भत्ता भी चर्चा और बहस की वजह बना है। अब ऐसा ही एक मामला चंडीगढ़ हाई कोर्ट से आया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें महिला को गुजारा भत्ता दिलाए जाने की अपील की गई है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि महिला के खिलाफ व्यभिचार के आरोपों की पुष्टि हुई है, ऐसे में वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं हैं। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि व्यभिचार की वजह से तलाक होने पर गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता।
इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट से पहले रायपुर फैमिली कोर्ट में हुई थी। फैमिली कोर्ट ने फैसला दिया था कि महिला का पूर्व पति अब उन्हें 4000 रुपये महीने का गुजारा भत्ता दे। महिला इस फैसले से संतुष्ट नहीं थीं। उन्होंने मांग उठाई कि उन्हें हर महीने 20 हजार रुपये का भत्ता मिले। महिला के पूर्व पति ने भत्ता दिए जाने के फैसले को ही चुनौती दी और कहा कि उनकी पूर्व पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार ही नहीं हैं।
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क्यों नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता?
रिपोर्ट के मुताबिक, महिला के पूर्व पति के वकील ने तर्क दिया कि 8 सितंबर 2023 को ही फैमिली कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी है। साथ ही, यह भी बताया कि यह तलाक महिला को व्यभिचार का दोषी पाए जाने के आधार पर दिया गया था। महिला का अफेयर अपने ही पूर्व पति के भाई के साथ था।
महिला के पूर्व पति के वकील ने कोर्ट में यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में नहीं रखा और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की धारा 125 (4) को नजरअंदाज कर दिया। यह धारा कहती है कि अगर महिला व्यभिचार की दोषी पाई जाती है या उसने बिना किसी ठोस वजह के ही अपने पति को छोड़ दिया तो वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।
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महिला का क्या तर्क है?
इसके जवाब में महिला के वकील ने कहा कि जब मेंटेनेंस की अपील दाखिल की गई थी तब महिला किसी भी तरह के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में नहीं थी। महिला के वकील का कहना है कि अब वह अपने भाई और भाभी के साथ रही हैं। इसी के आधार पर महिला ने मांग की थी उनके गुजारे के लिए और पैसे दिए जाएं।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने इस बात को स्वीकार किया कि महिला व्यभिचार की दोषी हैं और वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं हैं। हाई कोर्ट ने 'शांताकुमारी बनाम थिम्मेगौड़ा' केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया जिसमें यही कहा गया था कि व्यभिचार की दोषी होने की वजह से गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट ने महिला के पूर्व पति की याचिका के हिसाब से फैसला दिया है और किसी भी तरह का गुजारा भत्ता दिलाने से इनकार कर दिया है।