वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश किया और वो एक तरीके से बिहार के लिए 'बहार' लेकर आई। मखाना बोर्ड की स्थापना से लेकर ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के निर्माण तक, इस बजट में पूर्वी राज्य के लिए कई अहम घोषणाएं की गई। यह हर कोई समझ चुका हैं कि बजट में बिहार पर सबसे ज्यादा फोकस रखा गया। हालांकि, बजट पेश करने से पहले भी इसका एक प्रांरभिक संकेत तब देखने को मिला जब निर्मला सीतारमण मधुबनी कला प्रिंट वाली साड़ी पहनकर संसद में दाखिल हुईं। यह साड़ी पद्म पुरस्कार विजेता दुलारी देवी ने नवंबर 2024 में बिहार की अपनी यात्रा के दौरान सीतारमण को तोहफे में दिया था। 

 

9 महीने बाद बिहार में चुनाव होने वाले हैं और बजट में पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिए सरकार ने वित्तीय सहायता की मदद की घोषणा की है। इससे मिथिलांचल और कोसी क्षेत्रों को लाभ होगा। इससे यह धारणा तो बन चुकी है कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी ने 'डबल इंजन की सरकार' के माध्यम से राज्य का विकास किया है। बजट में मखाना बोर्ड स्थापित करने की घोषणा से आगामी विधानसभा चुनावों में मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों की 243 विधानसभा सीटों में से कम से कम 30 प्रतिशत पर चुनावी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

 

मोदी सरकार की 'मखाना राजनीति'

मखाना को 2022 में जीआई टैग मिला और भारत के कुल मखाना का 80 प्रतिशत बिहार में पैदा होता है। राज्य का मिथिलांचल क्षेत्र मखाना की खेती के लिए सबसे मशहूर है। सरकार के इस योजना से क्षेत्र के 5 लाख से अधिक किसानों को लाभ होने की संभावना है। इसमें खासकर दरभंगा, मधुबनी, सीतामढी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, सुपौल और मधेपुरा जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा। 

 

अब इसमें दिलचस्प बात यह है कि बिहार में मखाना उत्पादन वाले अधिकांश क्षेत्र एनडीए का गढ़ हैं और इनका प्रतिनिधित्व भाजपा और जेडी(यू) के सांसद करते हैं। राज्य में मखाना बोर्ड स्थापित करने के इस फैसले से आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए के वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में मिथिलांचल और सीमांचल से मौजूदा एनडीए सांसद कौन-कौन हैं, यहां देखें

 

मधुबनी से अशोक यादव (भाजपा), 

सीतामढ़ी से देवेश चंद्र ठाकुर (जदयू), 

सुपौल से दिलेश्वर कामत (जदयू),

मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव (जदयू),

दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर (भाजपा),

अररिया से प्रदीप सिंह (भाजपा)

झंझारपुर से रामप्रीत मंडल (जदयू)

 

जानकारी के लिए बता दें कि बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग 72 मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में आते हैं, इसलिए इस क्षेत्र के लोगों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है और खासकर उन लोगों के लिए जो मखाना की खेती का बिजनेस करते हैं। 

 

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ऐसे में यह 72 सीटे चुनावी नतीजों को कहीं न कहीं प्रभावित कर सकती हैं, जिसमें

  1. दरभंगा - 10 सीटें
  2. मधुबनी - 10 सीटें
  3. किशनगंज - 11 सीटें
  4. सीतामढ़ी - 8 सीटें
  5. सुपौल - 5 सीटें
  6. अररिया - 6 सीटें
  7. कटिहार - 7 सीटें
  8. मधेपुरा - 4 सीटें
  9. सहरसा - 4 सीटें
  10. पूर्णिया - 7 सीटें