जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर एक साथ हमला बोला। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि सीएम नीतीश अब मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के लायक नहीं रह गए हैं। किशोर ने कहा कि बिहार में कोई भी पुलिस अधिकारी, डॉक्टर या अध्यापक कोई भी उनकी बात नहीं सुनता। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आरजेडी चीफ के इशारे पर कांग्रेस 20-25 सालों से बिहार में चल रही है।

 

प्रशांत किशोर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत करेंगे। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए किशोर ने नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए उन्हें शारीरिक रूप से थका हुआ और मानसिक रूप से रिटायर बताया। उन्होंने कहा कि नीतीश की सरकार रिटायर नौकरशाहों द्वारा चलाई जा रही है और मुख्यमंत्री उनके चंगुल में फंसे हुए हैं।

राहुल गांधी से पूछे सवाल

जन सुराज के संस्थापक ने आगे कांग्रेस नेता राहुल गांधी से सवाल किया कि क्या उन्होंने बिहार में कभी भी एक रात बिताई है? उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी दिल्ली में बैठकर बिहारियों का मजाक उड़ाते हैं और फिर यहां हमें उपदेश देने आते हैं। सीएम बनने के बाद रेवंत रेड्डी ने कहा कि मजदूर करना बिहारियों के डीएनए में है। वे कहते हैं कि बिहारी मजदूरी करने के लिए पैदा हुए हैं और फिर बिहार में उन्हें उपदेश देने आते हैं? राजीव गांधी ने 1989 में गांधी मैदान से घोषणा की थी कि वे बिहार के विकास के लिए 50,000 करोड़ रुपये देंगे, वह पैसा कहां गया? उसके बाद, कांग्रेस 15 साल तक केंद्र में सत्ता में रही। तब उन्होंने बिहार के लिए क्या किया?

लालू प्रसाद के इशारे पर चल रही कांग्रेस

बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 240 सीटों में से कितनी सीटें मिलेंगी के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा, 'जितना लालू जी कांग्रेस को भीख में देंगे, उतनी सीटें रहेंगी। बिहार में कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है। यह वो पार्टी है जो पिछले 25-30 सालों से लालू यादव के इशारे पर चल रही है। अगर राहुल गांधी में राजनीतिक हिम्मत है तो उन्हें बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। या फिर उन्हें लालू यादव से बराबर सीटें मांगनी चाहिए।'

 

 

किशोर ने कहा कि लालू यादव बिहार में कांग्रेस को चलाते हैं। जब सोनिया गांधी के विदेशी नागरिक होने का मुद्दा उठाया गया, तो लालू यादव गांधी परिवार की मदद के लिए आगे आए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उस अहसान का बदला चुका रही है, बिना इस बात की परवाह किए कि इस प्रक्रिया में वे बिहारियों का भविष्य बर्बाद कर देंगे।

तेजस्वी पर हमला

प्रशांत किशोर ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की भी आलोचना की। उन्होंने तेजस्वी की राजनीतिक सफर पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव की बदौलत राजनीति में हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के पास अपनी राजनीतिक पहचान और विश्वसनीयता का अभाव है। उन्होंने आगे कहा कि अपने पिता के नाम के बिना तेजस्वी की कोई पहचान नहीं होगी।

 

तेजस्वी पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने पूछा, 'तेजस्वी यादव लालू यादव के बेटे हैं। तेजस्वी जो भी हैं, वह लालू यादव की वजह से हैं। अगर लालू यादव का नाम नहीं है, तो आपके लिए उनकी पहचान क्या है?' किशोर ने तर्क दिया कि तेजस्वी की स्थिति केवल उनके वंश की वजह से है, न कि उनकी उपलब्धियों या योग्यता की वजह से। उन्होंने कहा कि यादव समाज में कई युवा नेता हैं जिनमें तेजस्वी से कहीं अधिक क्षमता है।

जाति के सवाल पर क्या बोले प्रशांत किशोर?

वहीं, प्रशांत किशोर ने जाति के सवाल पर कहा कि जाति समाज की एक सच्चाई है लेकिन यह एकमात्र सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा, 'भारत में जाति एक वास्तविकता है। यह समाज की वास्तविकता है। समाज की वास्तविकता राजनीति में भी दिखाई देगी। इसकी मात्रा अलग-अलग हो सकती है। अगर समाज में जाति है, तो राजनीति में भी जाति होगी। अगर समाज में भ्रष्टाचार है, तो राजनीति में भी भ्रष्टाचार होगा। अगर समाज में हिंदू-मुस्लिम भावना है, तो यह राजनीति में भी दिखाई देगी। इसलिए, ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ बिहार में ही है। ये कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और यूपी में भी है।'

 

पीएम मोदी का भी लिया नाम

प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी पर सवाल उठाने हुए आगे कहा, 'एक पूर्वधारणा है कि बिहारियों को बस 4 किलो अनाज चाहिए। बिहार में कारखाने नहीं लगाए जा रहे हैं क्योंकि गुजरात और तमिलनाडु में 10-12,000 रुपये में काम करने के लिए लोग मजदूर नहीं ढूंढ पाएंगे। बिहार और यूपी के कुछ इलाकों को इसी वजह से मजदूरों की फैक्ट्रियों में बदल दिया गया है। अगर आज खुद पीएम मोदी ऐसा कहते हैं, तो किस उद्योगपति में इतनी हिम्मत है कि वह बिहार में कारखाना न लगाए?'

 

उन्होंने कहा कि मैंने 2014 में पीएम मोदी का भाषण लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था, 'मैं यहां की चीनी मिल की चीनी से बनी चाय पीने के बाद ही वोट मांगने मोतिहारी आऊंगा।' मोतिहारी चीनी मिल की जमीन का हर टुकड़ा बेच दिया गया है, जिसमें से ज्यादातर जमीन बीजेपी नेताओं ने खरीद ली है लेकिन इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसका श्रेय बिहारियों को जाता है, मोतिहारी के लोगों को, जिन्होंने इसके बाद भी अगले तीन चुनावों में बीजेपी को वोट दिया और पार्टी को मोतिहारी से जिताया।'

 

बता दें कि बिहार में इस साल के अंत में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की उम्मीद है। हालांकि, चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर अभी तारीखों की घोषणा नहीं की है।