अहमदाबाद के VS हॉस्पिटल में एक बड़ा घोटाला पकड़ा गया है। इस अस्पताल को अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चलाता है। एक जांच कमेटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यहां गैरकानूनी तरीके से करीब 500 मरीजों पर दवाइयों के क्लिनिकल ट्रायल किए गए। ये ट्रायल प्राइवेट फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए थे और इसके लिए लाखों रुपये भी लिए गए।
डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर भरत परमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'वीएस अस्पताल में नए अधीक्षक की नियुक्ति के बाद अवैध क्लिनिकल ट्रायल के बारे में शिकायत दर्ज की गई थी। एएमसी कमिश्नर ने मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई। शुरुआती जांच में एक डॉक्टर को निलंबित किया गया है। कॉन्ट्रेक्ट पर काम कर रहे 6 अन्य डॉक्टरों पर भी शक है। दोषी लोगों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाएगा।'
यह भी पढ़ें: कैसे मिलेगा नया पोप? 4 भारतीय कार्डिनल जो पोप के चुनाव में करेंगे वोट
कैसे सामने आई धांधली?
अस्पताल में एक एथिकल कमेटी बनाई गई थी, जो ट्रायल्स को मंजूरी देती थी। लेकिन ये कमेटी गैरकानूनी थी, क्योंकि इसे बनाने के लिए जरूरी सरकारी मंजूरी नहीं ली गई थी। 2021 से अब तक कुल 57 ट्रायल्स हुए, लेकिन इनके लिए न तो हॉस्पिटल बोर्ड की इजाजत ली गई, न ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के नियमों का पालन हुआ। कोई रिकॉर्ड भी ठीक से नहीं रखा गया।
गैरकानूनी तरीके से मेडिकल ट्रायल
मरीजों पर किस तरह के टेस्ट किए गए, उसका नतीजा क्या निकला, कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया गया। यह सब गुपचुप और गैरकानूनी तरीके से हुआ। जब ये धांधली सामने आई तो क्लीनिकल ट्रायल में शामिल दवा कंपनियों के साइट मैनेजमेंट ऑफिसर से जानकारी हासिल की गई।
यह भी पढ़ें: कैमरलेंगो कौन हैं, जो पोप की मौत के बाद संभालेंगे वेटिकन का काम
अब क्या हुआ?
जब नए सुपरिंटेंडेंट आए, तो उन्होंने इसकी शिकायत की। फिर AMC ने एक जांच कमेटी बनाई। जांच में पता चला कि डॉ. देवांग राणा नाम के एक डॉक्टर की भूमिका इन मामलों में रही। उन्हें निलंबित कर दिया गया है। 6 और संविदा डॉक्टरों पर भी शक है। पुराने सुपरिंटेंडेंट पर भी आरोप है कि उन्होंने डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर के साइन लेकर ये गैरकानूनी काम करवाया। अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी चल रही है, और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।