मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। राज्य में अस्थिरता फैलाने के लिए ड्रोन और बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। इसी कड़ी में 13 दिसंबर, 2024 को असम राइफल्स के जवानो ने इंफाल पूर्वी जिले में एक उग्रवादी ठिकाने से स्टारलिंक एंटीना और राउटर जैसे प्रतिबंधित हथियार बरामद किए थे।
हालांकि, ऐसा संदेह लगाया जा रहा है कि ऐसे हथियारों को म्यांमार से तस्करी कर लाया गया था। बीते दिनों सुरक्षा बलों ने म्यांमार में निर्मित की जाने वाली एमए 4 असॉल्ट राइफल भी बरामद की। बता दें कि इन हथियारों को खुद म्यांमार की सेना भी इस्तेमाल करती है।
5 से 6 महीनों के बीच इतने हथियार किए गए बरामद
जमीनी स्तर पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि पिछले पांच से छह महीनों के भीतर उन्होंने उग्रवादियों और उनके ठिकानों से म्यांमार निर्मित विभिन्न प्रकार के हथियार और अन्य उपकरण बरामद किए हैं। सुरक्षा बलों ने सीमा पार से तस्करी करके लाए गए म्यांमार निर्मित बुलेटप्रूफ जैकेट और सैन्य वर्दी भी बरामद की है।
'मेड इन बर्मा' ब्रांड के राइफलें और एके-47 भी जब्त
पिछले हफ्ते ही सुरक्षा बलों ने कम से कम सात पिस्तौलें बरामद कीं, जिन पर 'मेड इन बर्मा' लिखा था। वहीं, पांच म्यांमार निर्मित आर्मी एमए4 राइफलें और एक एके-47 भी जब्त किए गए। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'सुरक्षा बलों द्वारा बरामद की गई देसी पिस्तौलें भारत में निर्मित नहीं हैं।
आम नागरिक शायद उन्हें पहचान न पाए लेकिन चूंकि हम म्यांमार निर्मित पिस्तौलें बरामद करने के आदी हो चुके हैं, इसलिए हम उनमें अंतर कर सकते हैं। म्यांमार में बनी देसी पिस्तौलों की ग्रिप का आकार अलग होता है। कुछ पिस्तौलों पर 'मेड इन बर्मा' लिखा होता है। यहां हथियारों की कोई कमी नहीं है।'
19 महीनों में बरामद किए गए सैकड़ों बुलेटप्रूफ जैकेट और सैन्य वर्दी
बता दें कि स्टारलिंक एंटीना और राउटर बरामद होने से दो दिन पहले, सुरक्षा बलों ने राज्य के चंदेल जिले में घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान एक एके-47 राइफल भी जब्त की थी। मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से पिछले 19 महीनों में सुरक्षा बलों ने सैकड़ों बुलेटप्रूफ जैकेट और सैन्य वर्दी बरामद की है।
जानकारी के लिए बता दें कि म्यांमार भारत के साथ लगभग 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। जबकि सरकार ने पूरे हिस्से पर बाड़ लगाने की घोषणा की है। मणिपुर में केवल लगभग 30 किलोमीटर की बाड़ ही पूरी हो पाई है। जबकि विभिन्न स्थानों पर चेकपॉइंट और एकीकृत चेक पोस्ट हैं, तस्कर ऐसी वस्तुओं की तस्करी के लिए खुली सीमा का उपयोग करते हैं।