मुख्यमंत्री का समोसा किसने इधर-उधर किया? यह हिमाचल प्रदेश सीआईडी के लिए पहेली बना हुआ है। 21 अक्टूबर को सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए फाइव स्टार होटल में समोसा मंगाया गया, लेकिन वो उनके पास न पहुंचकर किसी ओर के प्लेट में पहुंच गया। इस घटना के बाद एक महिला इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। सुनने में हैरानी होगी, लेकिन मामला इतना गंभीर है कि इसके लिए सीआईडी जांच भी कराई गई। CID जांच में समोसे को लापरवाही से खाने को सरकार विरोधी कृत्य बताया गया। सीएम सुक्खू हाल ही में बीमारी से उबरे हैं और उन्हें मसालेदार, तला खाने से मना किया गया है। 

 

25 अक्टूबर को सौंपी गई जांच रिपोर्ट

सूत्रों के मुताबिक, 'कारण बताओ नोटिस पाने वाले पुलिसकर्मी अपना बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया में हैं। इस मामले की जांच डीएसपी रैंक के जांच अधिकारी विक्रम चौहान के नेतृत्व में किया जा रहा है। बता दें कि पांचों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। हालांकि, विक्रम ने 25 अक्टूबर को आईजी (CID) को जांच रिपोर्ट सौंपी है। 

 

सरकार विरोधी कृत्य

हिमाचल में इन दिनों समोसा विवाद न केवल अहम मुद्दा बना हुआ है बल्कि इसे 'सरकार विरोधी' लेबल भी दे डाला है। इस मामले पर अब भाजपा ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि राज्य की सरकार को लोगों की समस्याओं से ज्यादा मुख्यमंत्री के खाने की चिंता है। भाजपा विधायक और मीडिया प्रभारी रणधीर शर्मा ने कहा, 'ऐसा लगता है कि सरकार को किसी विकास कार्य में कोई दिलचस्पी नहीं है और सभी का ध्यान केवल खाने पर है।'

 

क्या है पूरा मामला?

21 अक्टूबर को सीएम सुक्खू साइबर विंग स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए सीआईडी ​​मुख्यालय पहुंचे थे। इस बीच एक आईजी स्तर के अधिकारी को पता नहीं था कि सीएम के पास समोसे नहीं हैं, तो उन्होंने एक सब-इंस्पेक्टर को होटल रेडिसन ब्लू से उनके लिए समोसे और केक के तीन डिब्बे लाने का निर्देश दिया। खाने-पीने की चीजें सीआईडी ​​मुख्यालय में लाए जाने के बाद, इन्हें सीएम के सुरक्षा कर्मचारियों को परोसा गया। उस समय सीआईडी ​​मुख्यालय में मौजूद लोगों की सूची काफी लंबी थी। पुलिस अधिकारियों में डीजीपी, सीआईडी, एसआर ओझा, आईजी संतोष पटियाल, डीआईजी (क्राइम) डीके चौधरी और डीआईजी (साइबर क्राइम) मोहित चावला समेत अन्य शामिल थे, जबकि सुक्खू के साथ स्थानीय विधायक हरीश जनार्था और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी थे।

 

कहां आई समस्या?

जिन पांच पुलिसकर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उनमें से कम से कम दो ने जांच अधिकारी को बताया कि जब उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पर्यटन विभाग के कर्मचारियों से पूछा कि क्या तीनों बॉक्स में रखे नाश्ते सीएम को परोसे जाने हैं, तो उन्हें बताया गया कि ये उनके मेनू में नहीं हैं। यहां से सारी कन्फ्यूजन शुरू हुई।  जांच से पता चला कि केवल सब-इंस्पेक्टर को ही पता था कि तीनों डिब्बे सुक्खू के लिए थे।

 

इसके बाद, जिस महिला इंस्पेक्टर को खाद्य सामग्री सौंपी गई थी, उसने किसी भी वरिष्ठ अधिकारी से सलाह किए बिना ही समोसे के बॉक्स को मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट सेक्शन को भेज दिया, जिसे जलपान की व्यवस्था करने का काम सौंपा गया था। इस दौरान तीनों डिब्बे कई लोगों में बांट दिए गए।