उत्तर प्रदेश की श्रावस्ती जिला पुलिस और पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया (IPS) के नेतृत्व में संचालित 'श्रावस्ती 2024 डीपफेक डिटेक्शन अभियान' को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त पोलारिस पुरस्कार प्रदान किया गया है। 16 जून 2025 को लंदन में आयोजित समारोह में 'डिसइन्फॉर्मेशन विरोधी कैटगरी' के अंतर्गत यह पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के को-फाउंडर सागर विश्नोई ने ग्रहण किया। यह अभियान नेतृत्वशाला और इनक्लूसिव एआई द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया गया था, जिसमें फ्यूचर शिफ्ट लैब्स का सहयोग रहा।
पोलारिस पुरस्कार विश्व स्तर पर संचार और जनहित अभियानों में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाते हैं। यह सम्मान उन पहलों को मान्यता देता है, जो नवाचार, सामाजिक जागरूकता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा को समर्पित हों। इसी क्रम में डीपफेक तकनीक के संभावित दुष्प्रभावों को रोकने के लिए, किए गए श्रावस्ती पुलिस की ओर से किए गए प्रयासों को पुरस्कृत कर, पोलारिस ने अंतरराष्ट्रीय पहचान प्रदान की है।
श्रावस्ती और अभियान की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती जिला, जो देश के सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार श्रावस्ती की साक्षरता दर महज 49 प्रतिशत है। साथ ही, यहां इंटरनेट की पहुंच भी महज 50 प्रतिशत आबादी तक ही है। इस तरह यह जिला सूचना के दुरुपयोग और डीपफेक तकनीक के दुष्प्रभावों के लिए जोखिम भरा साबित हो जाता है। इधर, भारत के आम चुनाव 2024 के दौरान डीपफेक वीडियो और ऑडियो क्लिप के माध्यम से मतदाताओं को भ्रमित करने की घटनाएं एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आईं।
इन खतरों को दृष्टिगत रखते हुए, पुलिस अधीक्षक श्री घनश्याम चौरसिया द्वारा जिला स्तरीय डीपफेक रोकथाम अभियान की शुरुआत की गई, जो मार्च से जून 2024 तक चला, जिसमें पुलिस को सीमित संसाधनों के बावजूद उल्लेखनीय सफलता मिली।
अभियान की मुख्य विशेषताएं
अभियान के अंतर्गत कुल 1,000 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें 300 पुलिस अधिकारी (साइबर अपराध एवं चुनाव सुरक्षा से संबद्ध) शामिल थे। अभियान के तहत 50 से अधिक पुलिस, प्रशासनिक और न्यायिक सेवा के अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया गया।
इसके साथ ही 50 मीडिया प्रतिनिधियों, फैक्ट चेकर्स और 600 नागरिक प्रतिनिधियों को अभियान में शामिल किया गया। श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक घनश्याम सिंह चौरसिया ने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य डीपफेक पहचान, त्वरित रिपोर्टिंग और इसके खतरों के प्रति सामुदायिक जागरूकता पैदा करना था। प्रशिक्षण स्थानीय भाषाओं में आयोजित किया गया, जिसमें डिजिटल उपकरणों जैसे डीपवेयर स्कैनर और सेंटिनल, लिप-सिंक विसंगतियां और विजुल्स गड़बड़ियों के माध्यम से डीपफेक की पहचान करना शामिल था। इस दौरान विशेष रूप से गठित त्वरित प्रतिक्रिया इकाई (Rapid Response Task Force) ने पुलिस, प्रशासन और मीडिया को डीपफेक की त्वरित पहचान और निराकरण के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान युवाओं का ध्यान में रखते हुए, विभिन्न प्रसारण माध्यम से वीडियो जारी किए गए जबकि वरिष्ठ नागरिकों तक पहुंच के लिए बाजारों, विद्यालयों और सामुदायिक स्थलों पर मुद्रित सामग्री वितरित की गई।
तकनीकी एवं सहयोगी भागीदारी
इस अभियान में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का योगदान उल्लेखनीय रहाः
- प्रणव द्विवेदी (इनक्लूसिव एआई) - अभियान समन्वय
- सागर विश्नोई (फ्यूचर शिफ्ट लैब्स), अमिय उपाध्याय, प्रांजल द्विवेदी, प्रथम मेहरोत्रा, दीपक - रणनीति और क्रियान्वयन सहयोग
- कायरा राउशेनबाख (रियलिटी डिफेंडर) ने वैश्विक स्तर के तकनीकी उपकरण प्रदान किए
- शुभम सिंह (साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ, मुंबई) और आस्था (कानूनी विशेषज्ञ) – साइबर संरक्षण और कानूनी प्रक्रिया में सहयोग
कमज़ोर इंटरनेट कनेक्टिविटी को देखते हुए अभियान में ऑफलाइन टूल्स और क्लाउड-आधारित डैशबोर्ड का उपयोग किया गया, जिससे रियल-टाइम निगरानी संभव हुई।
इस मौके पर श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक धनश्याम सिंह चौरसिया ने कहा, 'यह सम्मान श्रावस्ती जैसे सीमित संसाधनों वाले जिले की लोकतंत्र की रक्षा हेतु की गई प्रतिबद्धता का प्रमाण है।' वहीं, इनक्लूसिव AI के फाउंडर प्रणव द्विवेदी ने कहा, 'यह अभियान दर्शाता है कि जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को लोकहित, स्थानीय सहभागिता और रणनीतिक साझेदारी के साथ जोड़ा जाए तो यह सामाजिक कल्याण और लोकतंत्र की सुरक्षा का सशक्त माध्यम बन सकती है। श्रावस्ती पुलिस द्वारा जनहित में AI का इतना प्रभावशाली उपयोग 'Al for All' की सोच और 'विकसित भारत' की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक प्रेरक उदाहरण है।'
फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के कोफाउंडर सागर विश्नोई ने इस पर कहा, 'वर्कशॉप का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों, विशेष रूप से जिला पुलिस को डीपफेक टेक्नोलॉजी के उभरते खतरों को समझाने और उसका मुकाबला करने के लिए शिक्षित और सशक्त बनाना है। साथ ही जमीनी स्तर पर AI और डीपफेक के क्षेत्र में संस्थागत सुधार, लोक प्रशिक्षण के साथ एथिकल AI फ्रेमवर्क का निर्माण करना भी है।'