विश्व स्तर पर जहां महाकुंभ अपनी धार्मिक आध्यात्मिक और सनातन संस्कृति को लेकर चर्चा में है, वहीं व्यावसायिक मामले में भी बेहतर परिणाम आ रहा है। जानकारी के मुताबिक, महाकुंभ में सबसे ज्यादा फायदा उन छोटे-छोटे उत्पाद बेचने वालों को है जिन्होंने मेला क्षेत्र में स्टाल लगाकर अपना प्रोडक्ट बेच रहे हैं। इसके साथ ही महाकुंभ 2025 की आयोजन के बाद उत्तर प्रदेश की डीजीपी में भी उछाल आने का अनुमान है।
महाकुंभ में वोकल फॉर लोकल को लेकर करीब 6 हजार वर्गमीटर में एक जिला एक उत्पाद की प्रदर्शनी लगी है। जहां यूपी की खूबी और जियोग्राफिकल इंडिकेशन वाले उत्पाद लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अगर आपका मन करे तो काशी की ठंडई लीजिए या लालपेड़ा, सुर्खा अमरूद भी मिल जाएगा। महिलाओं की पहली पसंद प्रसिद्ध बनारसी साड़ियों, लकड़ी के खिलौनों, ब्रोकेड मेटल से बने समानों का स्टॉल भी है।
गोरखपुर के टेराकोटा, मिर्जापुर के पीतल के बर्तन और प्रतापगढ़ के आंवले के ढेर सारे उत्पादों की बड़ी रेंज लगी है। इन सबको जीआई मिल चुकी है। अगर आप सिद्धार्थनगर का कालानमक चावल, गोरखपुर के टेराकोटा उत्पाद, कुशीनगर का केला और उससे बने उत्पाद, मुजफ्फरनगर के गुड़ और उससे बनने वाले अन्य उत्पादों का जिसका क्रेज तेजी से बढ़ा है खोज रहे है तो प्रदर्शनी में उसका भी स्टॉल लगा है।
प्रदर्शनी में काशी
वाराणसी के कारीगरों ने लकड़ी के खिलौने, बनारसी ब्रोकेड, मेटल रिपॉसे और मेटल कास्टिंग सहित उत्पाद प्रस्तुत किए हैं। वहीं प्रदर्शनी में कुशीनगर के कालीन, फिरोजाबाद के कांच के खिलौने और बर्तन भी प्रमुख आकर्षण हैं। वहीं, बनारसी ठंडई, लाल पेड़ा, बनारसी तबला और दीवार पेंटिंग जैसी अनूठी कृतियों को वैश्विक ध्यान में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के 75 जीआई उत्पादों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बारे में डॉ. रजनीकांत ने बताया कि ओडीओपी योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 75 जीआई उत्पादों का प्रदर्शन किया जा रहा है, जिनमें से 34 उत्पाद काशी क्षेत्र के ही हैं। आपको बता दें कि भौगोलिक संकेतक- जीआई का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। एक जिला एक उत्पाद के कई उत्पादों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन भी मिला है इसलिए इसमें विशिष्ट भौगोलिक पहचान वाले ये उत्पाद भी शामिल हैं।
वोकल फॉर लोकल की पहचान को और मजबूत बनाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश के हर जिले के कुछ खास उत्पादों को जीआई- जियोग्राफिकल इंडिकेशन भौगोलिक पहचान दिलवाने की योजना बनाई। आज लगभग हर जिले के किसी एक या एक से अधिक खास उत्पाद को जीआई मिल चुकी है।
कितना खर्च रही हैं कंपनियां?
बता दें कि महाकुंभ से ब्रांड यूपी देश और दुनिया में और सशक्त होगा क्योंकि देशभर की अधिकतर नामचीन कंपनी महाकुंभ में किसी न किसी रूप में खुद की ब्रांडिंग कर रही है। महाकुंभ से जुड़ी कंपनियां मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर लगभग 30 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं। जिससे उत्तर प्रदेश ही नहीं, ब्रांड इंडिया को भी वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिलेगी।
वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन की ब्रांड प्रयागराज भी स्थापित होगा। भारत और स्थानीय उत्पादों को बड़ा बाजार मिलने का मतलब मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल की ओर एक और मजबूत कदम होगा। यह सब महाकुंभ 2025 में संभव दिख रहा है।
वर्ष 2018 में प्रदेश के पहले स्थापना दिवस पर एक जिला, एक उत्पाद योजना यानि वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लागू किया था। जोकि सरकार की सबसे सफलतम योजनाओं में से एक है। इस योजना के जरिए हर जिले के कुछ खास उत्पादों के देश और दुनिया में नई पहचान मिली है। सरकार की मदद और ब्रांडिंग से इनसे जुड़े हजारों हस्तशिल्पियों और उनके परिवारों का जीवन बदला है। वोकल फॉर लोकल की पहचान को और मजबूत बनाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश के हर जिले के कुछ खास उत्पादों को जीआई-जियोग्राफिकल इंडिकेशन भौगोलिक पहचान दिलवाने की योजना बनाई। आज लगभग हर जिले के किसी एक या एक से अधिक खास उत्पाद को जीआई मिल चुकी है।
फिरहाल एमएसएमई विभाग के अनुसार कुल मिलाकर महाकुंभ के दौरान लगभग 35 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। जुड़े अधिकांश लोग हस्तशिल्प से जुड़े हैं। इसलिए लाभ का अधिकांश हिस्सा भी इनके ही पास जाएगा। इसके अलावा उत्पाद को विस्तार मिलने के साथ इसकी ब्रांडिंग और मांग बढ़ेगी। इसका इनसे जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को भविष्य में और लाभ होगा। प्रयागराज मंडल के संयुक्त उद्योग आयुक्त शरद टंडन ने कहा कि 2019 में कुंभ मेले ने 4.30 करोड़ रुपए का कारोबार किया और इस बार बिजनेस 35 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है।
साथ ही देश के बाकी राज्यों को भी अपनी बहुरंगी विविधता, विरासत, संस्कृति, लोक परंपरा ,खान-पान, वेषभूषा आदि दिखाने के लिए भी महाकुंभ के रूप में बड़ा प्लेटफॉर्म मिला है। देश के अधिकांश राज्य अपने राज्यों के राज्य मंडपम में इसे दिखा रहे है। इसमें गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, दादरा नगर हवेली, नागालैंड, लेह आदि प्रमुख हैं। जोकि बहुत खूबसूरती से आकर्षक ढंग से बने हैं।