'लेपर्ड स्टेट' का दर्जा हासिल कर चुके मध्य प्रदेश में इस समय तेंदुओं की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इस साल के शुरुआती 10 महीनों में 81 तेंदुओं की मौत हो चुकी हैं। पिछले साल की तुलना में तेंदुओं की मौत में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस साल हुई 81 मौतों में से 26 तेंदुओं का शिकार हुआ है। 

 

तेंदुओं के लगातार हो रही मौतों के बीच एसटीएफ वाइल्ड लाइफ एमपी ने अलर्ट जारी करते हुए  राजस्व क्षेत्र, खेत, असंरक्षित वनों में गश्त बढ़ाने और कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके अलावा सभी टाइगर रिजर्व को भी सावधान कर दिया गया है। 

क्यों हो रहे इतने शिकार, तांत्रिक से क्या कनेक्शन?

तेंदुओं का शिकार करने वाले 100 आरोपियों को पिछले 8 महीने के भीतर पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ। पुलिस को शक है कि 80 फीसदी तेंदुओं का शिकार काले जादू और तांत्रिक क्रिया के लिए किया जाता है। तेंदुए का दांत और बाल बताकर लोगों को बेचा जा रहा है। ऐसे मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सभी की गिरफ्तारी कटनी, जबलपुर और डिंडोरी से पकड़ा गया था। 

 

पिछले 5 सालों में कितने तेंदुओं की हुई मौत

साल कुल मौत  कुल शिकार
2020 43 17
2021 46 16
2022 57 18
2023 60 21
2024 81 26

 

बता दें कि वर्ष 2022 के गणना में मध्य प्रदेश में तेंदुए की संख्या 3907 थी। वहीं, भारत में तेंदुए की संख्या 13874 है। पिछले 5 सालों में 287 तेंदुओं की मौत हो चुकी हैं।