14 अप्रैल को आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और साउथ सुपरस्टार पवन कल्याण की पत्नी अन्ना लेजनेवा ने तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में अपना सिर मुंडवाकर बाल भगवान को अर्पित किए। यह धार्मिक अनुष्ठान उन्होंने अपने बेटे मार्क शंकर की सलामती के लिए मांगी गई मन्नत पूरी होने पर किया। बेटे के स्वास्थ्य में सुधार होने पर 13 अप्रैल को अन्ना ने 'पद्मावती कल्याण कट्टा' में अपने बाल अर्पित किए और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। तिरुमाला में बाल दान की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। यह तिरुपति बालाजी मंदिर की सबसे प्रसिद्ध और विशेष धार्मिक परंपराओं में से एक मानी जाती है। यह परंपरा हिंदू धर्मी की मान्यताओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ी है।
केश दान करने के पीछे की कहानी क्या?
केश दान करने के पीछे एक पौराणिक कथा है जो माना जाता है कि भगवान को अपने बाल अर्पित करने वाली पहली भक्त नीला देवी थीं। भगवान श्रीनिवास ने उनके नाम पर इस पहाड़ी का नाम नीलाद्रि रखा। जब भगवान श्रीनिवास के सिर पर एक चरवाहे ने प्रहार किया, तो उनके सिर का एक छोटा हिस्सा गंजा हो गया। उस स्थान पर कोई बाल नहीं होने पर गंधर्व राजकुमारी नीलादेवी का ध्यान गया। उन्हें लगा कि ऐसे सुंदर चेहरे में कोई दोष नहीं होना चाहिए और उन्होंने तुरंत अपने बालों का एक हिस्सा काट लिया और अपनी शक्तियों से उसे भगवान के सिर पर लगा दिया। देखा जाए तो बालों को महिलाओं सौंदर्य रूप माना जाता है। भगवान श्रीनिवास ने उनके बलिदान को देखा और उन्होंने कहा कि तिरुमाला या तिरुपति में जो भी भक्त अपने दान करेगा उसकी सभी मन्नतें पूरी होगी। दरअसल, अपने बाल भगवान को देना अपने अहंकार को छोड़ने का प्रतीक माना जाता है।
हर साल लाखों श्रद्धालु तिरुमाला आकर सिर मुंडवाते हैं। मंदिर प्रशासन (TTD) ने इसके लिए विशेष रूप से 'केश कट्टा मंडपम' बनाए हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा केश दान स्थल भी माना जाता है।
यह भी पढ़ें: 'आंखें निकाल लेंगे,' वक्फ पर TMC सासंद की धमकी, BJP ने TMC को घेरा
केश दान के बाद क्या होता है?
केश दान के बाद बालों को साफ-सुथरे बक्सों में रखा जाता है। फिर उन्हें धूप में सुखाया जाता ताकि सभी गंदगी निकल जाए। बालों की लंबाई, मोटाई, रंग और गुणवत्ता के अनुसार सभी को अलग किया जाता है। महिलाएं जो लंबे बिना केमिकल वाले बाल दान करती हैं वो सबसे कीमती माने जाते हैं। इसके बाद तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) हर साल इन बालों की बड़ी नीलामी करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन बालों की भागी मांग होती है, जैसे- विग, हेयर एक्सटेंशन। इसको खरीदने वाले देशों में चीन, अमेरिका, यूरोप और ब्राजील है। बालों की बिक्री से TTD को हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये की कमाई होती है। ये पैसे मंदिर की सेवा, भक्तों की सुविधाएं ,शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं में उपयोग किए जाते हैं। TTD को बालों से होने वाली सालाना 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई होती है।
बाल से मंदिर को कितनी होती है कमाई
TTD को भक्तों से प्राप्त दान किए गए बालों की निलामी से हर साल लगभग 120 से 150 करोड़ की कमाई होती है। यह नीलामी हर साल आयोजित की जाती है। नीलामी से पहले बालों को कई केटगरी में रखा जाता है। दान किए गए बालों को उनकी लंबाई और गुणवत्ता के आधार पर अलग-अलग केटेगरी में रखा जाता है, जैसे:
हाई क्वालिटी वाले बाल: लगभग 22,494 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकते हैं।
कम क्वालिटी वाले बाल: लगभग 17,223 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकते हैं।
उससे भी कम क्वालिटी वाले बाल: लगभग 2,833 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकते हैं।
सफेद बाल: लगभग 5,462 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकते हैं।
यह भी पढे़ं: राम के नारे पर फंसे राज्यपाल RN रवि, इस्तीफा मांगने लगे लोग, समझिए वजह
अंतरराष्ट्रीय मांग
भारतीय बालों की उच्च गुणवत्ता और प्राकृतिक बनावट के कारण, इनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में विग्स, हेयर एक्सटेंशन्स और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के लिए भारी मांग है।
2022 से 2024 तक हर साल कितनी हुई कमाई? 2025 का अनुमान कितना?
नवंबर 2022 में, TTD ने बालों की ई-नीलामी की, जिससे लगभग 47.92 करोड़ रुपये की कमाई हुई। TTD न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार कुल 21,100 किलो बाल नीलाम किए गए। 2023 में, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने बालों की बिक्री से 126 करोड़ रुपये की कमाई की थी। 2024 में, टीटीडी ने बालों के ई-नीलामी की बिक्री से अच्छी खासी रकम प्राप्त हासिल की थी। टीटीडी को 2025-26 वित्तीय वर्ष में बालों की नीलामी से 176.5 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है, जो इसके कुल 5,258.68 करोड़ रुपये के बजट का हिस्सा है। यह राजस्व स्रोत मंदिर की कुल आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें कुल बजट में दर्शनम टिकट, प्रसादम और अन्य स्रोतों से होने वाली आय भी शामिल है।