मणिपुर की राजधानी इम्फाल में विरोध का एक अनोखा तरीका दिखा जहां सैकड़ों इंटरनली डिस्प्लेस्ड पर्सन्स (IDPs) ने 5 नवंबर को सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद लौटा दी। इन लोगों का कहना है कि राज्य सरकार की तरफ से जो मदद मिल रही है वह बहुत कम है। आपको बता दें कि इस मदद के तौर पर सरकार हर व्यक्ति को रोजाना 84 रुपये भत्ता दे रही हैं। इसका मतलब है महीने के 2520 रुपये जिसमें व्यक्ति को अपना गुजारा करने के लिए इसी भत्ते पर ही निर्भर रहना है। 

 

अधिकारियों ने कहा कि राशन बांटने को डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) मॉडल में बदलने का केवल एक मकसद था कि विस्थापित लोगों को ज्यादा आसानी हो। हालांकि, निवासियों ने इस स्कीम को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह भत्ता बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भी काफी नहीं है।

 

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'रोजाना के मात्र 84 रुपये'

इम्फाल ईस्ट के साजिवा में प्री-फैब्रिकेटेड शेल्टर में रह रहे कुल 446 IDPs सब-डिविजनल ऑफिस (SDO) तक मार्च करके गए और सरकार की नई DBT स्कीम के तहत बांटे गए कुल 11,74,320 रुपये वापस कर दिए। इस स्कीम का मकसद एक महीने के खाने का खर्च कवर करना है और इसके तहत 30 दिनों के लिए हर व्यक्ति को रोजाना 84 रुपये दिए जाते हैं। SDO ऑफिस के बाहर एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'एक दिन में 84 रुपये एक टाइम के खाने के लिए भी काफी नहीं हैं। हम इस रकम में गुजारा नहीं कर सकते।'

 

साजिवा में एकाऊ सादुयेंगखोमन, डोलाइथाबी, लेइतानपोकपी और मैरेनपत के रहने वाले प्रदर्शनकारियों ने एक मेमोरेंडम सौंपा जिसमें 10 दिनों के भीतर अपने मूल गांवों में सुरक्षित पुनर्वास की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जवाब नहीं दिया तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे। एक प्रदर्शनकारी कोइजाम शरत मेइतेई ने कहा, 'हमारे आंदोलन के दौरान होने वाली किसी भी अनचाही घटना के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।'

 

इम्फाल वेस्ट में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए है जहां विस्थापित परिवारों ने अलग-अलग राहत शिविरों में प्रोटेस्ट करके टोकन कैश मदद के बजाय तुरंत पुनर्वास की मांग की है।

 

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'बदलाव  में मेल नहीं'

IDPs ने राशन सप्लाई से कैश ट्रांसफर में सरकार के किए गए बदलाव में समस्याओं पर भी चिंता जताई। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने पूछा, 'जब हमें चावल दिया जाता था तो हमसे 400 ग्राम के लिए 20 रुपये लिए जाते थे। अब हमें चावल के लिए सिर्फ 4-3 रुपये और ट्रांसपोर्ट के लिए 1 रुपया मिलता है। इस तरह की असमानता क्यों?'

 

मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से, मणिपुर में 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। उनमें से कई अभी भी राहत शिविरों या प्री-फैब्रिकेटेड शेल्टर में रह रहे हैं। राज्य सरकार ने पहले दिसंबर 2025 तक इनके पुनर्वास पूरा करने की योजना की घोषणा की थी लेकिन अब तक कोई आधिकारिक पुनर्वास नहीं हुआ है। शुरू में, राहत के काम में सरकारी एजेंसियों, विधायकों और लोकल संगठनों ने कॉमन किचन के जरिए मदद किया था। बाद में खराब पोषण और खाने में वैरायटी की कमी की शिकायत मिलने से डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने पहले इम्फाल ईस्ट और बाद में इम्फाल वेस्ट में किचन सिस्टम को कैश ट्रांसफर मॉडल से बदल दिया।

 

फीडबैक लेने के बाद, सरकार ने सभी जिलों में हर व्यक्ति के लिए रोजाना 84 रुपये का भत्ता तय कर दिया। हालांकि, इस फैसले से अब विस्थापित परिवारों ने फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, उनका कहना है कि यह रकम गुजारा करने के लिए बहुत कम है।