उत्तराखंड के काशीपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला के साथ उसके पति द्वारा सिर्फ इस वजह से हिंसा की गई क्योंकि उसने एक बच्ची को जन्म दिया। पीड़िता के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि महिला को दहेज और बेटी पैदा होने के कारण प्रताड़ित किया गया। खबरों के मुताबिक, काशीपुर निवासी हरजिंदर कौर पर उसके पति ने घर में स्क्रूड्राइवर से हमला किया, जिससे महिला को सिर, गर्दन और कान में गंभीर चोटें आईं। परिजनों का आरोप है कि ससुराल पक्ष 5 लाख रुपये और सोने की मांग कर रहा था, और बच्ची के जन्म के बाद स्थिति और बिगड़ गई।

 

इस दर्दनाक घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें महिला ज़मीन पर गिरी हुई दिखाई दे रही है और आरोपी उसे बालों से खींच रहा है। कमरे में मौजूद लोग उसे रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह सभी को स्क्रूड्राइवर से धमका रहा है। महिला के कपड़ों पर खून के धब्बे देखे जा सकते हैं और वह बार-बार मदद के लिए चिल्ला रही है।पीड़िता की मां ने बताया कि आरोपी ने महिला को अपने घर बुलाकर मारपीट की। वह अपने छोटे भाई के साथ वहाँ गई थी। परिवार की मांग है कि आरोपी को कड़ी सजा दी जाए। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

 

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जान से मारने की धमकी का भी आरोप
महिला ने आरोप लगाया है कि उसके ससुराल वाले उसे और उसकी बेटी को खत्म करना चाहते थे ताकि उन्हें तलाक के बाद गुज़ारा भत्ता न देना पड़े। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जाँच कर रही है।

 

क्या हैं महिला अधिकार

भारत में महिलाओं को काफी सुरक्षा प्राप्त है जिसमें दहेज मांगे जाने से लेकर घरेलू हिंसा तक शामिल है। कानून के मुताबिक दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के तहत शादी के समय या बाद में दहेज मांगना या देना कानूनी अपराध है। अगर कोई दहेज मांगता है या उसकी वजह से महिला को परेशान करता है, तो उसे जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

 

इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत अगर पति या ससुराल के लोग महिला को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हैं, खासकर दहेज को लेकर, तो इस धारा के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। यह एक गंभीर अपराध है, जिसमें गिरफ्तारी के साथ साथ सजा का प्रावधान है।

 

घरेलू हिंसा के तहत भी सुरक्षा

वहीं महिला के साथ घरेलू हिंसा किए जाने पर घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत कानून महिलाओं को उनके घर में होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा से सुरक्षा देता है। इसमें शारीरिक रूप से मारपीट, मानसिक प्रताड़ना, आर्थिक शोषण, और गाली-गलौज जैसी चीजें शामिल हैं। महिला कोर्ट में जाकर अपने लिए सुरक्षा, रहने की जगह, गुज़ारा भत्ता और ससुराल से अलग रहने का आदेश मांग सकती है।

 

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इसके अलावा बेटी को लेकर भेदभाव भी कानूनन अपराध है। भारत में बेटे और बेटी के बीच फर्क करना, या बेटी होने पर महिला को ताने देना या पीटना, कानूनन अपराध है। ऐसे मामलों में भी महिला को पूरा अधिकार है कि वह FIR दर्ज करवाए और आरोपी को सजा दिलवाए।