छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस महकमे में अपनी 'हिंसक गतिविधियों' के लिए जाना जाता था। पुलिस का कहना है कि इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) लगाने में माहिर 36 वर्षीय महेश कोरसा पिछले हफ्ते एक मुठभेड़ में मारे गए 3 माओवादियों में से एक था। पुलिस के मुताबिक उसने कई मुठभेड़ों में भूमिका निभाई थी, जिसके कारण कई सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।
अधिकारियों के अनुसार, कोरसा कई हिंसक वारदातों में शामिल था लेकिन जो काफी चर्चित घटना थी वह थी 2017 में 25, 2020 में 17 और 2021 में 22 सुरक्षाकर्मियों की हत्या।
सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने कहा, 'वह पहले भी कई बार भाग निकला था, लेकिन हमें उसकी मौजूदगी (इलाके में) के बारे में सूचना मिली, जिसके बाद जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) के जवानों की एक संयुक्त टीम 8 जनवरी को वहां पहुंची। एक दिन बाद, पालीगुडा और गुंडराज गुडेम गांवों के बीच पहाड़ी जंगलों में हुई मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया।'
पिछले साल लगाई थी IED
कोरसा प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र शाखा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) में डिप्टी प्लाटून कमांडर था। इससे पहले, वह पीएलजीए की बटालियन 1 का हिस्सा था, जिसे इसकी सबसे खतरनाक बटालियनों में से एक माना जाता है।
पुलिस ने कहा कि कम से कम तीन मौकों पर जब सुरक्षाकर्मियों ने माओवादियों को घेर लिया और उनमें से कई को मार गिराया, तो कोरसा भागने में सफल रहा।
पुलिस ने बताया कि पिछले साल जून में उसने सुकमा के तिमापुरम इलाके में दो पुलिस कैंपों के बीच में एक आईईडी लगाई थी। आईईडी के विस्फोट की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि एक ट्रक बीच से फट गया जिसमें दो कोबरा जवान मारे गए।
पुलिस पर किया था धारदार हथियार से हमला
पुलिस के अनुसार, नवंबर में जगरगुंडा की उस घटना का हिस्सा था जिसमें एक वीकली मार्केट में दो पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियारों से हमला किया था और उनसे एक एके-47 और एक सेल्फ-लोडिंग राइफल (एसएलआर) लूट ली थी।
पुलिस ने बताया कि वह सीआरपीएफ के एक सब-इंस्पेक्टर पर हमले में भी शामिल था, जिसकी जगरगुंडा में बेदरे कैंप के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
बीजापुर जिले के रहने वाले कोरसा ने 2010 में नक्सलियों को ज्वाइन किया। पुलिस के अनुसार, मार्च 2017 में उसे आईईडी लगाने की एक महीने की ट्रेनिंग मिली।
8 सालों से था सक्रिय
पुलिस ने कहा कि तब से लगभग आठ वर्षों से, वह बस्तर क्षेत्र में आईईडी लगा रहा था और उसने अन्य माओवादी कैडरों को भी इस बनाने की तकनीक सिखाई। जिसमें उनकी पत्नी हेमला भी शामिल हैं, जो प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी संगठन में 'डॉक्टर' के रूप में काम करती हैं।
उप महानिरीक्षक कमलोचन कश्यप ने कहा, 'उनका नाम हाल के वर्षों में विशेष रूप से जगरगुंडा में हिंसक गतिविधियों का पर्याय बन गया था। वह एक दशक से अधिक समय से सक्रिय है।'
एसपी चव्हाण ने कहा, 'पिछले साल 28 दिसंबर को कोरसा ने पोलमपल्ली में 40 किलोग्राम का आईईडी लगाया था, जिससे बड़ा नुकसान हो सकता था, लेकिन हमारी सेना बम का पता लगाने और उसे निष्क्रिय करने में कामयाब रही।'
मारे थे 7 STF के जवान
सुकमा पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कोरसा का नाम सबसे पहले 2015 में चिंतागुफा पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में सामने आया था, जिसमें पिडमेल जंगल में सात एसटीएफ जवान मारे गए थे और 10 घायल हुए थे।
रिकॉर्ड में 2017 में बुर्कापाल में रोड ओपनिंग पार्टी में शामिल 25 सीआरपीएफ जवानों की हत्या और सात के घायल होने वाली मुठभेड़ में भी
उसकी संलिप्तता की बात कही गई है। 2020 में, फिर से बुर्कापाल में, वह एक मुठभेड़ में शामिल था जिसमें 17 जवान मारे गए और 15 घायल हो गए।
2021 में, वह सुकमा के टेकलगुडेम में एक मुठभेड़ का हिस्सा था, जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे और 2023 में एक और मुठभेड़ हुई थी, जिसमें सिंगराम रोड पर तीन जवान मारे गए थे।