उत्तराखंड में केदारनाथ से 6 तीर्थयात्रियों को लेकर जा रहा एक हेलीकॉप्टर गौरीकुंड से रुद्रप्रयाग की राह में क्रैश हो गया है। रविवार सुबह हुए इस हादसे में 7 लोगों की मौत हुई है। रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। यह हेलीकॉप्टर आर्यन एविशन का था। सुबह 5 बजे यह हेलीकॉप्टर संपर्क से बाहर चला गया था। 5 बजे के बाद अधिकारियों को कोई सिग्नल नहीं मिला। महज 40 दिनों के भीतर यह 5वां हादसा है। उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर हादसों का इतिहास रहा है।
जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने कहा कि 7 लोग हेलीकॉप्टर में सवार थे। पायलट भी इन यात्रियों की लिस्ट में शुमार था। राहुल चौबे, चॉपर सर्विस के नोडल अधिकारी भी हैं। उन्होंने मृतकों के आंकड़ों के बारे में कुछ भी नहीं कहा है।
यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी की ओर लौट रहा था, तभी अचानक खराब मौसम हुआ और दुर्घटना हो गई। पायलट ने हेलीकॉप्टर को संभालने की हर कोशिश की लेकिन स्थितियां नहीं संभलीं। इन कोशिशों के दैरान ही हेलीकॉप्टर, दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
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चारधाम की राह, 40 दिन, 5 हेलीकॉप्टर क्रैश
ऐसा नहीं है कि विमान हादसा पहली बार हुआ है। जब से केदारनाथ यात्रा शुरू हुई है, तब से लेकर अब तक कुल 5 विमान हादसे हो चुके हैं। 7 जून को भी ऐसा ही एक हादसा हुआ था। गुप्तकाशी और गौरीकुंड हाइवे के पास बरसु इलाके में हादसा हुआ था। यह हादसा दोपहर 1 बजे हुआ था। किसी की मौत नहीं हुई थी, पायलट को कुछ चोटें आई हैं।
हादसा कब हुआ है?
उत्तराखंड सिविल एविएशन अथॉरिटी (UCADA) का कहना है कि हेलीकॉप्टर सुबह 5.20 पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। जैसे ही सूचना मिली, NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंची। रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह राजवार ने कहा है कि गौरीकुंड के जंगलों के ऊपर ही विमान खराब मौसम की वजह से लड़खड़ाया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इंस्पेक्टर जनरल (गढ़वाल रेंज) राजीव स्वरूप ने है कि जहां हादसा हुआ है, वह बहुत दूर इलाके में है।
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हादसा क्यों हुआ है?
हेलीकॉप्टर हादसे की सटीक वजह सामने नहीं आई है। अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटना के पीछे खराब मौसम जिम्मेदार है। रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने कहा है कि हादसा गौरीकुंड में खराब मौसम की वजह हुआ है। कोहरा ज्यादा था, दूर तक कुछ नजर नहीं आ रहा था। यह विमान आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड का था। गौरीकुंड और त्रिजुगीनारायण के बीच विमान जमीन पर गिरा और आग लग गई।

उत्तराखंड में ही क्यों होते हैं ऐसे हादसे?
- खराब मौसम
उत्तराखंड सिविल एविएशन अथॉरिटी (UCADA) का कहना है कि विमान, खराब मौसम की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में मौसम बार-बार बदल रहा है। - कभी बारिश, कभी धुंध
पहाड़ी इलाकों में अचानक बारिश हो रही है, बादल उमड़ रहे हैं, कुहरा और धुंध जैसी हालात बन रहे हैं, अचानक मौसम साफ हो रहा है। - हिमालयी क्षेत्रों का जोखिम
केदारनाथ बर्फीले क्षेत्रों आता है, यह हिमालय के ऊपरी हिस्से में आता है, जहां हेलीकॉप्टर चलाना जटिल है। अचानक से बदलते मौसम की वजह से पायलट रूट मिस कर देते हैं। उत्तराखंड में इन दिनों अचानक मौसम बदल रहा है। बारिश, बर्फबारी, तेज हवाओं की वजह से हेलीकॉप्टर चालना जोखिम भरा होता है। - मौसम विभाग के अलर्ट की अनदेखी
मौसम विभाग के अलर्ट के बाद भी कई बार टूर कंपनियां हेलीकॉप्टर रन कराती हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। - तकनीकी खामियां
कई हादसों में तकनीकी खामियां आती हैं, जैसे टेल रोटर टूट जाता है, थ्रस्ट नहीं बन बाता है, कलेक्टिव कंट्रोल में चूक हो जाती है। - पायलट पर ज्यादा दबाव
आम तौर पर छोटी यात्राओं के लिए उत्तराखंड में सिंगल इंजन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल होता है। ज्यादा से ज्यादा तीर्थयात्रियों को छोड़ने-पहुंचाने की होड़ होती है। पायलट पर दबाव पड़ता है और सुरक्षा नियमों की अनदेखी हो जाती है।

कौन करता है हादसे की जांच?
DGCA और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की ओर से बनाई गई समितियां ऐसे हादसों की जांच करती हैं।
12 साल में 14 से ज्यादा हादसे, 33 से ज्यादा मौतें
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर क्रैश में 33 से ज्यादा मौतें हुई हैं। अगर 12 साल में 14 से ज्यादा हादसे हुए हैं।
कब-कब हुए हैं हाल के दिनों में हादसे?
- 8 मई 2025: उत्तरकाशी के गंगनानी में हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ, 6 लोगों की मौत हुई।
चूक: मौसम विभाग ने 7 से 8 मई तक के लिए आंधी का अलर्ट जारी किया था। - 17 जून 2025: केदारनाथ में एक एयर एंबुलेंस क्रैश हो गया। हेलीकॉप्टर में सवार लोग बच गए थे।
चूक: लैंडिंग के वक्त विमान बेकाबू हो गया, हेलीकॉप्टर की टेल टूट गई थी। - 7 जून 2025: रुद्रप्रयाग में हादसा हुआ है। केस्ट्रेल एविएशन के हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग हुई थी। हेलीकॉप्टर को रोड पर उतारना पड़ा था। बाल-बाल यात्रियों की जान बची थी।
चूक: टेक ऑफ में तकनीकी खामी आई थी।