असम में मोरान और राजबोंगशी समुदाय के लोग सरकार से नाराज हैं। उनकी मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले और संविधान की छठवीं अनुसूची के तहत उनके क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। दोनों समुदाय, अपने-अपने लिए स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग, दशकों पुरानी है।  

विशाल विरोध प्रदर्शन ऑल मोरान स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU) और ऑल कोच राजबंशी स्टूडेंट्स यूनियन (AKRSU) की अगुवाई में हो रहा है। AMSU मोरान समुदाय से जुड़ा संगठन हैं, वहीं AKRSU कोच राजबंशी समुदाय का। मोरान समुदाय के नेता पुलिंद्र मोरान और महासचिव जयकांत मोरान सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर कर चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है।

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क्या कह रहे हैं प्रदर्शनकारी?

  • सरकार दशकों पुरानी मांग को अनसुना कर रही है
  • मोरान और कोच राजबंशी समुदाय को संवैधानिक सुरक्षा से वंचित रखा गया है
  • सरकार अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दे रही है
  • संस्कृति और विकास से जुड़े अधिकारों का हनन हो रहा है
  • छठी अनुसूची में रखने की मांग की अनदेखी की जा रही है


मोरान और कोच राजबंशी समुदाय चाहते क्या हैं?

  • संवैधानिक सुरक्षा दी जाए
  • छठी अनुसूची में सरकार शामिल करे
  • अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले
  • संस्कृति और पहचान को संरक्षित किया जाए
  • समुदाय को स्वशासन मिले
  • सामाजिक और आर्थिक मामलों पर नियंत्रण दिया जाए 

पुलिस पर क्या आरोप लग रहे हैं?

मोरान और कोच राजबंशी समुदाय के लोग 6 सितंबर से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। असम के धुबरी जिले में 10 सितंबर को कोलाकगंज में ऑल कोच राजबोंगशी स्टूडेंट यूनियन के आंदोलन के दौरान अर्ध सैनिक बलों ने रैली रोक दी, लाठी चार्ज किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस बल प्रयोग की वजह से कई प्रदर्शनकारी घायल हुए। विवाद बढ़ने पर गोलाकगंज और गौरीपुर थानों के इंचार्ज पुलिस अधिकारियों को निलंबित किय गया है। कई लोग इस प्रदर्शन में घायल हुए हैं। शिकायतें जिले के एसपी और दो डिप्टी एसपी के खिलाफ भी दर्ज हुईं। ऑल कोच राजबोंगशी स्टूडेंट यूनियन ने मांग की है कि जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी सजा मिले।

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असम में एक नहीं, 6 समुदाय चाहते हैं अनुसूचित जनजाति का दर्जा 

असम में कुल 6 समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा चाहते हैं। इन समुदायों में कोच राजबोंगशी, ताई-अहोम, मटक, मोरान और चाय समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा चाह रहे हैं। इन समुदायों का तर्क है कि उनकी संस्कृति रक्षा के लिए यह अनिवार्य है। यह सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए जरूरी है। 

सिर्फ जनजाति का दर्जा नहीं, अलग भाषा, अलग राज्य की मांग

प्रदर्शनकारी अलग स्वायत्त राज्य की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि अलग कामतापुर राज्य दिया जाए। पूर्वोत्तर के कुछ जिलों और उनसे लगने वाले असम के कुछ जिलों को मिलाकर इस राज्य की परिकल्पना की गई है। यहां कोच भाषा बोली जाती है। राजबोंगशी समुदाय कोच भाषा बोलता है। अलग राज्य की मांग करने वाली प्रमुख पार्टियों में कामतापुर पीपुल्स पार्टी सबसे प्रमुख है। अलग राज्य की यह मांग नई नहीं है। 

केपीपी, ग्रेटर कूच बिहार पीपुल्स एसोसिएशन जैसे कई राजनीतिक दल, उत्तर बंगाल के जिलों और असम के कुछ समीपवर्ती इलाकों को मिलाकर अलग राज्य गठित करने की मांग कर रहे हैं। राजबोंगशी और मोरान समुदाय यहां सबसे प्रभावशाली समुदाय है। साल 1969 में यह मांग उठाई गई है। प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि कामतापुरी भाषा को मान्यता दी जाए और इसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। 

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एक नजर दोनों समुदायों पर 

  • कोच राजबोंगशी: पश्चिम बंगाल, असम से लेकर त्रिपुरा तक, इस समुदाय की जड़ें फैली हैं। असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान में भी इस समुदाय के लोग रहते हैं। यह समुदाय खुद को ब्रह्मपुत्र घाटी का मूल निवासी मानता है। समुदाय की भाषा राजबोंगशी या कोच है। यह समुदाय कृषि पर निर्भर है। कोच राजबोंगशी खुद को हिंदू समाज से ही जोड़ते हैं। इन्हें राज्य में OBC का दर्जा दिया गया है, ये खुद के लिए अनुसूचित जाति का दर्जा मांग रहे हैं। 

    असम में मोरान और कोच राजबोंगशी समुदाय की महिलाएं। (Photo Credit: PTI)
  • मोरान समुदाय: यह समुदाय अरुणाचल प्रदेश और असम के आदिवासी समाज है। मोरान,अपनी जड़ें तिब्बत-बर्मन मूल से जोड़कर देखते हैं। यह खुद को कछारी परिवार का हिस्सा मानते हैं। पूर्वी असम के सिबसागर, जोरहाट, धेमाजी तथा डिब्रूगढ़ जिलों में इनकी संख्या ज्यादा है। इनकी भाषा असमिया है। मोरानी भाषा भी समुदाय के लोग बोलते हैं। यह भी कृषक समुदाय है, अपनी भाषा के लिए संरक्षण चाहता है। अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहा है। 

कब तक जारी रहेगा प्रदर्शन?

प्रर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां हैं, जिनमें 'AKRSU जिंदाबाद, नो ST नो रेस्ट, वी वॉन्ट एसटी और वी वांट कामतापुर स्टे की मांग की गई है।'

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सरकार का रुख क्या है?

असम सरकार सरकार पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग मंत्री जयंता मल्ला बरुआ को धुबरी को प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत के लिए भेज रही है। अभी तक प्रदर्शनकारियों के साथ संतोषजनक बातचीत नहीं हो पाई है।