राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हरियाणा पुलिस के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में संज्ञान लिया है। भिवानी के एख वकील सीएस दहिया ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी कि मौत के कई दिन बीत जाने के बाद भी क्यों अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है।
शिकायतकर्ता ने मानवाधिकार आयोग को लिखा है कि अधिकारी की आत्महत्या के पीछे लंबे समय से चल रही संस्थागत उत्पीड़न, पेशेवर प्रताड़ना और मानसिक दबाव की वजह थी, जिसमें कुछ वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का नाम लिया गया है।
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मानवाधिकार आयोग ने जारी किया नोटिस
मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को मानवाधिकार उल्लंघन बताते हुए हरियाणा और चंडीगढ़ के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी किया है। एनएचआरसी ने इन अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर जांच कर कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) जमा करने का निर्देश दिया है।
CBI को जांच सौंपने की वकालत
शिकायतकर्ता ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए इसे सीबीआई या किसी तटस्थ एजेंसी को सौंपने की मांग की है। आयोग ने कहा है कि सभी संबंधित अधिकारियों को जांच रिपोर्ट ई-मेल और एचआरसीनेट पोर्टल के जरिए भेजनी होगी। आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि इस गंभीर मामले में त्वरित और उचित कार्रवाई की जाए।
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वाई पूरन केस पर एक नजर
हरियाणा के पुलिस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर 2025 को चंडीगढ़ में आत्महत्या की थी। उनके 9 पेज के सुसाइड नोट में डीजीपी शत्रुजीत कपूर, एसपी नरेंद्र बिजरानिया सहित 8 आईपीएस और 2 आईएएस अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव व मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगे थे।
वाई कुमार की पत्नी अमनीत पी कुमार ने इसे साजिशन हत्या बताया था। पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार पर भी रिश्वत मांगने के आरोप लगे हैं। 14 अक्टूबर को रोहतक के एएसआई संदीप लाठर ने भी आत्महत्या की, जिसने वाई पूरन कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। डीजीपी को हटा दिया गया है। केस की छानबीन जारी है।