लंदन बेस्ट AI कंपनी 'बिल्डर.AI' अब दिवालिया हो गई है। एक जमाने में इस कंपनी का मूल्य 1.5 अरब डॉलर आंका जाता था, इस कंपनी पर माइक्रोसॉफ्ट और कतर सॉवरेन वेल्थ फंड का हाथ था, अब यह कंपनी दिवालिया हो गई है। यह कंपनी एक फ्रॉड कंपनी थी। प्रोजेक्ट का दावा था कि AI पॉवर्ड इस कंपनी में App डेवलेपमेंट का काम AI के जरिए ही किया जा रहा था, मगर ऐसा नहीं था। AI की जगह, कुछ हिंदुस्तानी इंजीनियर इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थे, जिनकी मदद से ऐप डेवलेपमेंट का काम होता था। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी में 700 भारतीय इंजीनियर लगे थे, जो AI की तरह काम कर रहे थे। जिस ऐप को AI के जरिए तैयार होने का दावा किया जा रहा था, दरअसल उस ऐप को भारतीय इंजीनियर ही चला रहे थे। यह सब कुछ मैनुअली किया जा रहा था। इस स्टार्टअप ने करीब इस पहल से 444 मिलियन डॉलर कमा लिए थे। भारतीय आंकड़ों में यह रकम 3809.174 करोड़ रुपये के आसपास है। 


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AI नहीं, इंजीनियर खुद काम कर रहे हैं 

कंपनी ने 'Natasha' नाम की एक AI असिस्टेंट के जरिए काम कराने का दावा किया था लेकिन ऐप कोडिंग का सारा काम इंजीनियर खुद करते थे, AI नहीं। बिल्डिर.AI का यह स्टार्टअप ही फेक प्रोपेगेंडा पर चल रहा था। 



कैसे खुली कंपनी की पोल?

साल 2025 के मई महीने में लोन देने वाली एक कंपनी 'वियोला क्रेडिट' बिल्डर.AI के खाते से 37 मिलियन डॉलर जब्त कर लिए। लोन देने वाली कंपनी को यह पता चल गया था कि कंपनी ने 2024 की कमाई को 300 प्रतिशत ज्यादा बताया था। कंपनी के फाउंडर सचिन देव दुग्गल ने कहा था कि कंपनी ने 220 मिलियन डॉलर की बिक्री की लेकिन जब ऑडिट हुआ तो सच्चाई सामने आई। असर बिक्री सिर्फ 50 मिलियन डॉलर की ही थी। फरवरी 2025 में नए CEO मनप्रीत रतिया ने पद संभाला और उन्हें पूरी गड़बड़ी का पता चला।


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काम कर रहे थे इंजीनियर, क्रेडिट AI को

बिल्डर.AI के बारे में साल 2019 में वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट आई थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यह AI कंपनी, ज्यादातर इंजीनियरों पर निर्भर है, AI पर नहीं। कंपनी में काम करने वाले एक पुराने इंजीनयर के हवाले से यह कहा गया कि कंपनी AI नहीं, इंसानों के भरोसे है।


CEO ने ही बताई सच्चाई

नए CEO मनप्रीत रतिया ने जब पद संभाला तो पूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी। उन्होंने सचिन देव दुग्गल की जगह ली और कंपनी में हुए कांड के बारे में पूरी जानकारी दी। अमेरिकी अधिकारियों ने केस की छानबीन शुरू की और कंपनी के कस्टमर डेटा और रिकॉर्ड्स की जानकारी मांगी। 



नुकसान क्या हुआ?

बिल्डर AI को अब अमेजन को 85 मिलियन डॉलर और माइक्रोसॉफ्ट को 30 मिलियन डॉलर का बिल चुकाना होगा। कंपनी में काम कर रहे करीब 1,000 कर्मचारियों की नौकरियां चली गईं। अमेरिका में अब इस मामले की जांच शुरू हो चुकी है।



कंपनी के बंद होने से नुकसान क्या है?

इस धांधली के सामने आने के बाद एक नई चिंता सामने आई है, जिसे टेक्नोलॉजी की दुनिया में लोग 'AI वॉशिंग' का नाम दे रहे हैं। इस टर्म का मतलब है कि जब कोई कंपनी पुराने, मैन्युअल काम को AI कहकर सिर्फ इसलिए बेचती है कि उसे ज्यादा से ज्यादा निवेश मिल सके। बिल्डर AI का दिवालिया होना, अब तक का सबसे बड़ा AI घोटाला माना जा रहा है। ऐसे वक्त में जब दुनिया ChatGPT और ग्रोक AI की तरफ आगे बढ़ रही है, AI सेक्टर में बड़े निवेश हो रहे हैं, तब यह कांड, AI की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर रहा है।