सीनियर सिटीजंस को भारतीय संविधान में कई ऐसे अधिकार मिले है, जो उनके अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं। दिल्ली सहित देशभर में सीनियर सिटीजंस की सुरक्षा कई समय से चर्चा का विषय रही है। इसके लिए सरकार और प्रदेश सरकार मिलकर काम भी कर रहे हैं। आज हम आपको बताएंगे कि दिल्ली में रह रहे सीनियर सिटीजन घर बैठे कैसे अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं।
क्या है सीनियर सिटीजन सेल?
दिल्ली पुलिस द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए 20 जून 2004 को 'सीनियर सिटीजन सेल' की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य बुजुर्गों को सुरक्षित और स्वतंत्र जीवन प्रदान करना था। आगे चलकर तकनीक के विकास के साथ, दिल्ली पुलिस ने 2016 में 'सीनियर सिटीजन ऐप' लॉन्च किया। यह ऐप खासतौर पर उन बुजुर्गों के लिए बेहद उपयोगी है जो अकेले रहते हैं या अपने परिवार के साथ रहते हुए भी असुरक्षित महसूस करते हैं।
सीनियर सिटीजन ऐप के माध्यम से कोई भी बुजुर्ग खुद को रजिस्टर कर सकता है। इस ऐप में SOS बटन दिया है, जो इसे खास बनाता है। इसके तहत किसी भी प्रकार की इमरजेंसी के समय जब कोई वरिष्ठ नागरिक इस बटन को दबाता है, तो उनकी कॉल तुरंत 1291 हेल्पलाइन नंबर पर ट्रांसफर हो जाती है। इससे पुलिस के अधिकारी जैसे बीट कॉन्स्टेबल और एसएचओ को अलर्ट मिल जाता है। इसके बाद, एक इमरजेंसी रिस्पांस टीम वरिष्ठ नागरिक की मदद के लिए घटनास्थल पर भेजी जाती है।
कैसे काम करता है SOS?
SOS विपरीत परिस्थिति में आपके परेशान होने का सिग्नल है, जो आपके करीबी या पुलिस को दी जाती है। इस बटन को दबाते ही बुजुर्ग की लोकेशन और उनकी महत्वपूर्ण जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम, SHO और बीट अफसर को तुरंत मिल जाती है। इससे पुलिसकर्मी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर सहायता कर सकते हैं। इसके लिए 112 नंबर पर कॉल करने की जरूरत नहीं होती, बस एक टच के जरिए ही मदद तुरंत पहुंच जाती है।
कौन कर सकते हैं इस ऐप में रजिस्टर?
दिल्ली पुलिस द्वारा लॉन्च किए ऐप में 60 वर्ष या उससे अधिक वर्ष के वरिष्ठ नागरिक है और वह जो अकेले रहते हैं या असुरक्षा महसूस करते हैं, वे इस ऐप में आसानी से खुद को रजिस्टर करा सकते हैं। ऐप का उपयोग करना भी काफी सरल और सुविधाजनक है।
रजिस्टर करवाने के लिए सीनियर सिटीजन दिल्ली पुलिस की आधिकारिक वेबसाईट delhipolice.gov.in या seniorcitizen.delhipolice.gov.in पर जा सकते हैं। इसमें आपको अपनी व्यक्तिगत जानकारी, पता और इमर्जेंसी नंबर देना होगा। इसी के आधार पर मुसीबत के समय पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाएगी।