1970 के दशक तक कोई नहीं जानता था कि मोबाइल फोन क्या होते हैं? उस दौरान फोन पर बात करने का एकमात्र तरीका लैंडलाइन या कार रेडियो हुआ करता था, यहां तक कि लैंडलाइन भी कोडलेस नहीं होते थे। हालांकि, मोबाइल फोन के आविष्कार से सबकुछ मुमकिन हो पाया जिसका सारा क्रेडिट मार्टिन कूपर को जाता हैं। बचपन से जिज्ञासु रहे मार्टिन को हर चीज सीखने की काफी तलब रहती थी। कांच की बोतल तोड़कर  मैग्नीफाइंग ग्लास तैयार करने से लेकर 9 साल की उम्र में ही फ्रीक्शन सीखने का एक अलग ही जोश मार्टिन में था। उनके अंदर ज्ञान की भूख थी, जो कभी शांत नहीं होती थी। 

 

नेवी छोड़ टेलीफोन कंपनी की थी ज्वांइन

मार्टिन ने कोरियाई युद्ध के दौरान यू.एस. नेवी डिस्ट्रॉयर में ड्यूटी की। नेवी छोड़ने के बाद मार्टिन ने अमेरिकन टेलीफोन एंड टेलीग्राफ (एटीएंडटी) के एक डिविजन बेल सिस्टम में काम किया, लेकिन यहां कुछ महीनों तक काम करने के बाद उन्होंने टेलीटाइप कॉर्पोरेशन कंपनी में बतौर टेलीटाइप राइटर ज्वाइन कर लिया। 3 महीने यहां काम करने के दौरान ही उन्हें मोटरोला से जॉब ऑफर मिल गई। 

 

जब मोटरोला ने बदल कर रख दी मार्टिन की जिंदगी

मोटरोला में आने के बाद मार्टिन की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। 1954 में उन्होंने मोटरोला ज्वाइंन किया। उस दौरान मोटरोला बेहद ही छोटी कंपनी थी और रेडियो प्रोडक्ट से संबधित चीजों पर काम करती थी। मार्टिन काम के प्रति काफी एक्टिव रहते थे। वह सुबह काम और रात में अपनी मास्टर की पढ़ाई करते थे। 1957 में मार्टिन के हाथ दो-दो सफलता लगी। पहली- उन्हें डिग्री हासिल हो गई थी और दूसरा- मार्टिन को पुश-बटन रेडियो टेलीफोन के लिए पेटेंट मिल गया था। मार्टिन को  पहले पोर्टेबल हैंड-हेल्ड पुलिस रेडियो पर काम करने का भी ऑफर मिला। इस दौरान मार्टिन ने हाई-स्पीड पेजिंग मार्केटिंग पर भी काम किया और पेजबॉय 2 पेश तैयार किया, जो अपनी तरह का पहला, उच्च क्षमता वाला, राष्ट्रव्यापी रेडियो था। मार्टिन उस टीम का भी हिस्सा थे जिसने शहर भर में उच्च क्षमता वाले पेजिंग के लिए सहायक टर्मिनल बनाए थे। बाद में मार्टिन को डिवीजन मैनेजर का पद संभालने की जिम्मेदारी दी गई।

 

तो ऐसे बना था दुनिया का पहला मोबाइल फोन

आइडिया भले AT&T का था लेकिन इसको पूरा करने का जिम्मा मार्टिन कूपर ने लिया। दरअसल, AT&T ने फोन का सिग्नल एक जियोग्राफिकल एरिया में लाने का आइडिया दिया था। यह एरिया के अलग-अलग सेल में  ट्रांसमीटर से ट्रांसमीटर तक जाता है। दिसंबर 1971 में, AT&T ने FCC (फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन) को एक प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव से मोटरोला के अस्तित्व पर खतरा बढ़ गया। दरअसल,  FCC एक सरकारी यूनिट है जो रेडियो, टेलीविजन, सैटेलाइट और केबल के जरिए अंतरराज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय कम्यूनिकेशन को नियंत्रित करता है। AT&T ने हवा से जमीन तक की सेवाएं, एक सार्वजनिक स्विच टेलीफोन सेवा यानी एक प्राइवेट 'लैंड-मोबाइल' देने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए, उन्होंने तीस मेगाहर्ट्ज़ स्पेक्ट्रम की मांग की। 

 

एक प्रस्ताव से जब मार्टिन का चला दिमाग

AT&T के इस प्रस्ताव से मार्टिन को समझ में आ गया कि अगर FCC ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, तो AT&T या तो उन्हें कंट्रोल में कर लेगा या उन्हें कारोबार से बाहर कर देगा। मार्टिन को दिक्क्त AT&T के सेलुलर टेलीफोनी विजन 'कार फोन' से थी। कार फोन वे फोन थे जो कार के डैश बोर्ड से जुड़े होते थे। उनके मॉडल को बहुत ज्यादा चार्ज की जरूरत थी, जो कार की बैटरी से मिलता था, इसलिए इनको इस्तेमाल करने वाले कार तक ही सीमित रहते थे। इसके अलावा,इसकी अनुमानित लागत 3000 से 5000 डॉलर के बीच थी।

 

जब पुलिस की एक बात से मार्टिन की जली दिमाग की बत्ती

इस बीच मार्टिन को शिकागो में पुलिस अधीक्षक से हुई एक बातचीत याद आई, जिसमें पुलिस ने कार फोन को लेकर अपनी समस्या जाहिर की थी। दरअसल, कार फोन के कारण पुलिस अधिकारियों को लगातार कम्यूनिकेशन करना पड़ता था। वे अपनी कार में ही बैठ कर बात कर सकते थे जिसके कारण पेट्रोलिंग करने में दिक्कत आती थी। आम लोगों की मदद और कार फोन पर लगातार कनेक्टड रहना पुलिस अधिकारियों के लिए चुनौती साबित हो रही थी। मार्टिन ने पाया कि लोग बीच दीवारों में बंधे नहीं रह सकते और न ही अपनी कार या घरों में फंसकर रहना चाहते है। उनका मानना था कि कार फोन से बेहतर सेलुलर टेलीफोन है। तब मार्टिन ने  एटीएंडटी  को हराने का तरीका खोजना शुरू कर दिया। 

 

वायरलेस हैंड-हेल्ड सेल फोन

AT&T दावा करता था कि वे दुनिया की एकमात्र कंपनी हैं जिसके पास ऐसा करने के लिए तकनीकी क्षमता और वित्तीय संसाधन हैं। इस बीच मार्टिन ने सुझाव दिया कि मोटरोला में उनके पास ऐसी तकनीक बनाने की क्षमता है। लेकिन कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों के मामले में मोटरोला, AT&T से काफी नीचे थी। मार्टिन ने दावा किया कि वे कुछ बेहतर बना सकते हैं, कुछ ऐसा जो बिना किसी कठिनाई के AT&T के प्रस्ताव को हरा सकता है। मार्टिन ने सोचा कि वे एक वायरलेस हैंड-हेल्ड सेल फोन बनाएंगे।

 

मार्टिन ने सबसे पहले  एफसीसी को एटीएंडटी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से रोका। इसके लिए मोटरोला की कानूनी टीम ने एफसीसी को मंजूरी दिलाने के लिए एक प्रस्ताव पर काम करना शुरू कर दिया। प्रस्ताव था कि निजी कंपनियों को रेडियो फ्रीक्वेंसी पर नेटवर्क संचार संचालित करने की अनुमति दी जाए। मोबाइल फोन सेवा को मार्केट में उतारने के लिए और एटीएंडटी के प्रस्ताव को रोकने के लिए मोटरोला का यह महत्वपूर्ण कदम था।

 

नवंबर, 1972 से शुरू हुआ काम 

नवंबर, 1972 में मार्टिन ने अपने आइडिया को रियलिटी में बदलने का काम करना शुरू कर दिया। मोबाइल सेल फोन बनाने के लिए मार्टिन ने कंपनी में सभी इंजीनियर्स को फोन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने पर लगा दिया। मोटरोला के पास सेमीकंडक्टर का अपना विभाग था। इसने मार्टिन की टीम की सफलता में एक महत्वपूर्ण रोल निभाया। उन्होंने केवल 90 दिनों में सफलतापूर्वक एक प्रोटोटाइप सेल फोन बनाया। इसमें जो कमी थी वह थी बॉडी शेल। इसके लिए, मार्टिन ने मोटरोला में एक प्रतियोगिता आयोजित की।

 

इसमें ऐसे विभाग भी शामिल थे जो उनके नियंत्रण में नहीं थे। प्रतियोगिता में सेल फोन के बॉडी के लिए एक डिज़ाइन बनाना था। उन्होंने पांच प्रतिभागियों को चुना और दिसंबर तक की समय सीमा तय की, जिससे प्रतिभागियों को इसे बनाने के लिए कुछ महीने मिल गए। प्रतियोगिता के अंत में, मार्टिन ने वह फ़ोन चुना जो देखने में भले ही आकर्षक न हो, लेकिन इस्तेमाल करने में सबसे आसान था। मोटरोला के कर्मचारियों ने रूडी क्रोलॉप (मोटोरोला में एक इंजीनियर) के बनाए गए डिजाइन के लिए इसे 'जूता फोन' नाम दिया। शुरुआती डिजाइन सिर्फ कुछ इंच लंबा था, लेकिन जब इंजीनियरों ने सभी भागों को जोड़ना शुरू किया, तो आकार तीन गुना बड़ा हो गया।

 

25 मिनट का देता था टॉक टाइम

प्रोटोटाइप सेल फोन का नाम मोटोरोला डायना टी.ए.सी. (डायनेमिक अडेप्टिव टोटल एरिया कवरेज) रखा गया। इसका वजन 2.5 पाउंड था और यह 9 इंच लंबा, 5 इंच गहरा और 1.75 इंच चौड़ा था। यह भारी था और इसमें 'रबर डक' एंटीना था। यह हर रिचार्ज पर सिर्फ़ 25 मिनट का टॉक टाइम देता था। चार्जिंग का समय दस घंटे था। फोन बुनियादी काम जैसे डायल करना, बात करना और सुनने वाले काम करता था। 

 

एक इंटरव्यू में मार्टिन कूपर ने बताया कि जब फोन को पकड़ा तो वह काफी भारी था। कोई व्यक्ति 25 मिनट तक ही फोन अपने कान के पास रख सकता है क्योंकि वो उतनी ही देर चार्ज होता था। मार्टिन ने न्यूयॉर्क में एक बेस स्टेशन स्थापित किया। FCC के लिए वाशिंगटन में कुछ शुरुआती टेस्टिंग के बाद, मार्टिन कूपर और मोटोरोला ने फ़ोन को लोगों को दिखाने के लिए न्यूयॉर्क ले गए। वहां, उन्होंने सिर्फ़ उन लोगों को फ़ोन दिखाया जो इसमें दिलचस्पी रखते थे। धीरे-धीरे मार्टिन ने मीडिया की दिलचस्पी जगाई। मार्टिन ने न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और अपने इस आविष्कार को पूरी दुनिया को दिखाने का फैसला किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाते समय मार्टिन के दिमाग में एक आइडिया आया। 

 

और फिर आया वो दिन जब बदल गई मार्टिन की जिंदगी

 

मार्टिन चाहते थे कि उनके कॉम्पटीटर,  AT&T भी इस आइडिया को सामने से देखे। AT&T दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक थी और मोटरोला जैसी छोटी कंपनी ने उन्हें हरा दिया था। फिर आया 3 अप्रैल, 1973 का दिन, मैनहट्टन हिल्टन के पास एक सड़क पर चलते हुए, 44 वर्षीय मार्टिन ने DYNA Tac  मोबाइल फोन उठाया और 'ऑफ हुक' बटन दबाया। उन्होंने बेल लैब्स का नंबर डायल किया। जैसे ही उन्होंने ढाई पाउंड का फ़ोन अपने कान से लगाया, बेस स्टेशन लैंडलाइन से जुड़ गया। उनके दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थी। उनके मन में थोड़ी शंकाएं भी थीं, हालांकि उन्होंने इस आविष्कार का कई बार टेस्ट किया था। लेकिन उनके पास केवल एक मौका था खुद को साबित करने का, क्योंकि उनके आस-पास के कुछ लोगों में एक पत्रकार भी थे। 

 

मार्टिन को दूसरी तरफ से रिंगिग की आवाज आ रही थी। मार्टिन की दिल की धड़कनें तेज थी। कॉल के दौरान मार्टिन के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान दिखाई दी। जोएल एंगेल ने फोन उठाया। उस समय जोएल एंगेल बेल लैब्स सेलुलर प्रोग्राम डिवीजनल मैनेजर थे। जोएल ने फोन पर हाय बोला। फिर शांत लहजे में मार्टिन ने कहा ‘हाय, जोएल। मैं मार्टी कूपर। मैं तुम्हें एक सेल फोन से कॉल कर रहा हूं - एक असली सेल फोन से।‘ मार्टिन के आसपास के लोग उन्हें हैरानी से देख रहे थे, लेकिन वह बहुत खुश थे कि उनका ये आइडिया आखिरकार सफल रहा।