भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पीएसएलवी-सी60 के पोएम-4 मिशन को माइक्रोग्रैविटी में लोबिया (काउपी) बीजों को अंकुरित करने में सफलता प्राप्त कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह स्टडी 'कंपैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज' (CROPS) के माध्यम से किया गया, जो अंतरिक्ष में पौधों की बढ़त को समझने में मदद करता है।

 

CROPS पेलोड, जिसे माइक्रोग्रैविटी में बीजों के अंकुरण और पौधों के जीवित रहने पर स्टडी करने के लिए विकसित किया गया था। इसे इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा तैयार किया गया था। इस शोध में आठ लोबिया के बीजों को एक नियंत्रित और बंद बॉक्स में रखा गया था, जहां तापमान का विशेष ध्यान रखा गया। यह अध्ययन अंतरिक्ष में किए जाने वाले कृषि की संभावना को मजबूत करता है।

एडवांस तकनीक के साथ की गई ये स्टडी

इस प्रणाली में एडवांस निगरानी तकनीकी उपकरण लगाए गए हैं, जैसे अच्छे गुणवत्ता वाले कैमरे, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड मापने वाले सेंसर, ह्यूमिडिटी डिटेक्टर, तापमान मॉनिटर करने वाला उपकरण और मिट्टी में नमी का विश्लेषण करने वाले उपकरण। इन सबके जरिए पौधों की वृद्धि को लगातार ट्रैक किया गया।

 

इसरो और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पोएम-4 मिशन में कुल 24 उन्नत पेलोड शामिल थे। चार दिनों के भीतर लोबिया बीजों का सफलतापूर्वक अंकुरण हुआ और अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही इसमें पत्तियां भी आ सकती हैं। यह सफलता अंतरिक्ष में सतत कृषि पद्धतियां विकसित करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

 

यह प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करता है, विशेषकर लंबी अवधि के मिशनों और अन्य ग्रहों पर मानव बस्तियों की स्थापना के लिए। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण जैसे कठिन परिस्थितियों में पौधों की वृद्धि ने अंतरिक्ष कृषि के विकास में एक नई दिशा दी है, जो अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर मानव निवास स्थापित करने के लिए आवश्यक है।