दुनिया भर में मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में अत्यधिक तेजी देखी गई है। इस मांग को पूरा करने के लिए कंपनियों ने भी अपने निर्माण को बढ़ा दिया है। हालांकि, जहां एक तरफ ये हमारे जीवन को आसान बना रहे हैं, उसके उलट पर्यावरण के लिए खतरा भी बनते जा रहे हैं। बता दें कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, कैमरा, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के निर्माण में लिथियम आयन का विशेष उपयोग किया जाता है। लीथियम आयन बैटरी एडवांस ऊर्जा स्टोरेज का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह रिचार्जेबल बैटरियों का एक प्रकार है, जो लीथियम आयनों पर आधारित होती है।

 

बता दें कि ड्यूक यूनिवर्सिटी के निकोलस स्कूल ऑफ एनवायरनमेंट के शोधकर्ताओं ने उत्तरी कैरोलिना के किंग्स माउंटेन के पास मौजूद एक पुराने लीथियम खदान के जल गुणवत्ता पर प्रभाव का अध्ययन किया है। प्रोफेसर अवनर वेंगॉश के नेतृत्व में किए गए इस शोध में यह पाया गया कि खदान स्थल से जुड़े जल स्रोतों में लीथियम, रुबिडियम और सीजियम जैसे तत्वों का स्तर काफी ऊंचा है।  शोधकर्ताओं द्वारा यह अध्ययन साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और यह दिखाता है कि परित्यक्त लीथियम खदानें स्थानीय जल संसाधनों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।

शोध में क्या आया सामने?

अध्ययन में यह पाया गया कि आर्सेनिक, सीसा, तांबा और निकल जैसे सामान्य प्रदूषकों के स्टैंडर्ड अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) के मानकों से नीचे थी। हालांकि, लीथियम और कम आम धातुओं जैसे रुबिडियम और सीजियम का स्तर भूजल और सतही जल में सामान्य से अधिक पाया गया। अध्ययन के प्रमुख लेखक और ड्यूक विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र गॉर्डन विलियम्स ने कहा कि इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव पर सवाल उठते हैं।

 

शोध में पाया गया कि खदान में पाए गए खराब चीजों से एसिडिक प्रदूषण नहीं हो रहा है। यह आमतौर पर कोयला खनन जैसी गतिविधियों में देखा जाता है। इसका मतलब यह है कि इस खदान का पर्यावरण पर प्रभाव अन्य खनन की तुलना में कम है। प्रोफेसर वेंगॉश ने चेतावनी दी है कि लीथियम निकालने के लिए इस्तेमाल होने वाली रासायनिक प्रक्रियाएं क्षेत्र की जल गुणवत्ता के लिए नई समस्याएं पैदा कर सकती हैं, खासकर अगर खनन फिर से शुरू होता है।

 

शोधकर्ता अब उत्तरी कैरोलिना के उन क्षेत्रों में पानी के स्रोत की जांच करने की योजना बना रहे हैं, जहां लीथियम के भंडार हैं। वे निजी कुओं और सतही जल का अध्ययन करके यह समझने की कोशिश करेंगे कि लीथियम खनन स्थानीय जल स्रोतों को लंबे समय में कैसे प्रभावित कर सकता है।

लीथियम पर हुए प्रमुख शोध

येल यूनिवर्सिटी (2021): येल के एक अध्ययन में पाया गया कि लीथियम खनन का दीर्घकालिक प्रभाव पानी की कमी और प्रदूषण के रूप में देखा जा सकता है, खासकर सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में।

 

साइंस एडवांसेज (2022): इस पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि लीथियम ब्राइन खनन क्षेत्रीय जलवायु को प्रभावित कर सकता है।