OTP यानी वन टाइम पासवर्ड, का इस्तेमाल रोजमर्रा के जीवन में बहुत किया जाता है। ये मैसेज के माध्यम से आने वाला वह पासवर्ड है, जो किसी भी डिजिटल लेन-देन या वेरिफिकेशन प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित बनाता है और इसका इस्तेमाल केवल एक बार होता है। OTP से जुड़ा एक नया नियम आने वाला है। बता दें कि 01 दिसंबर 2024 से TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) के नए ट्रेसबिलिटी नियम लागू हो रहे हैं।

 

TRAI ने इन नियमों का उद्देश्य साइबर अपराधों, खासकर फर्जी कॉल और मैसेज की रोकथाम होगा। हालांकि सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई जा रही थीं कि इन नियमों के कारण नेट बैंकिंग और आधार से जुड़े OTP में देरी हो सकती है। इन अफवाहों को TRAI ने खारिज कर दिया है।

क्या हैं TRAI के नए नियम?

TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सभी मैसेज की ट्रेसबिलिटी संभव हो सके। इसके माध्यम से जहां से भी संदेश भेजा गया है उसके स्रोत को आसानी से पता लगाया जा सके। TRAI की तरफ से टेलीकॉम कंपनियों ने 30 नवंबर 2024 तक दिया था, इससे पहले यह डेडलाइन 31 अक्टूबर थी, लेकिन कंपनियों ने अतिरिक्त समय मांगा, जिसे TRAI ने स्वीकार कर लिया। इसका मुख्य उद्देश्य फर्जी मैसेज और धोखाधड़ी को रोकना।

क्या OTP और जरूरी मैसेज पर पड़ेगा इसका असर?

TRAI ने साफ किया है कि नेट बैंकिंग और आधार से जुड़े OTP जैसे महत्वपूर्ण मेसेज आने में कोई देरी नहीं होगी। ये नए नियम, साइबर क्राइम और धोखाधड़ी से बचने के लिए और मैसेज ट्रेसबिलिटी को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए हैं। जैसे-जैसे तकनीक विकास कर रहा है कि वैसे ही साइबर अपराधी धोखाधड़ी के नए तरीके ढूंढ रहे हैं, जिसमें फर्जी मैसेज के माध्यम से गलत लिंक या बग भेजना शामिल है। यह सिस्टम टेलीकॉम कंपनियों को bulk SMS और संदिग्ध संदेशों के स्रोत का पता लगाने में मदद करता है। इससे साइबर अपराधियों को पकड़ने आसानी हो जाएगी।

कहां जरूरी है OTP?

OTP का मुख्य रूप से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, एटीएम कार्ड ट्रांजैक्शन, लोन और क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन जैसी बैंकिंग सेवा में इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ OTP की जरूरत आधार, पैन और SIM कार्ड वेरिफिकेशन में होता है।

 

इन सबके साथ OTP की आवश्यकता डिजिटल लॉकर, परपोर्ट सेवाएं, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसी सरकारी सेवाओं में होती है। साथ ही ऑनलाइन सेवाएं जैसे फॉर्म वेरिफिकेशन, लॉगिन, ऑर्डर कन्फर्मेशन और डिलीवरी वेरिफिकेशन में भी इसका इस्तेमाल जरूरी होता है।