इंसानों के अमर होने की कल्पना बहुत पुरानी है। हमारी पौराणिक कहानियां तो बताती हैं कि दुनिया में 7 चिरंजीवी हैं। परशुराम, बलि, विभीषण, हनुमान, महर्षि वेदव्यास, कृपाचार्य और अश्वत्थामा। अब ये हैं या नहीं, यह तो नहीं पता लेकिन एक जीव ऐसा भी है, जिसे सच में अमर कहा गया है। वह कभी मरता नहीं, बल्कि जितना टूटता है, उतना ही नया होने लगता है।
इस जीव का नाम है जेलीफिश।
जेलीफिश लार्वा के तौर पर पैदा होती है, इसका आकार सिगार की तरह होता है और पानी में यह सर्पिल सरंचना में होती है। यह किसी ठोस पदार्थ से चिपकने के फिराक में होते हैं। ये लार्वा ही पॉलिप में बदलता है। पॉलिप ही शिशु जेलीफिश होती है। पॉलिप लगातार दूसरे पॉलिप बनाते रहते हैं। धीरे-धीरे ये तेजी से फैलने लगते हैं।
क्लोन तैयार कर लेती है जेलीफिश
आसान भाषा में कहें तो जेलीफिश अगर एक ग्लास में है तो पूरे ग्लास में यह खुद के क्लोन तैयार करके भर जाएगा। कुछ पॉलिप ऐसे होते हैं, जो झाड़ियों की तरह संरचनाएं बनाते हैं। वे बड़ी संख्या में पैदा होने लगते हैं। दिलचस्प कहानी, जेलीफिश के पैदा नहीं, मरने की है, जो इसे अमर बनाती है।
क्यों अमर है जेलीफिश?
जब जेलीफिश, ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी या अमर जेलीफिश निष्क्रिय होकर मरता है तो यह टूटने लगता है। हैरान करने वाली बात ये है कि इसकी कोशिकाएं फिर नया जन्म लेने लगती हैं, कोशिकाएं पॉलिप में बदलने लगती हैं। पॉलिप ही बेबी जेलीफिश होता है। एक बार फिर इनके जीवन की प्रक्रिया शुरू होती है। इस तरह जेलीफिश अरबों साल से जिंदा हैं और धरती पर बनी हुई हैं। इनका जन्म-मरण सब रहस्य है।
पुराणो में रक्तबीज का जिक्र मिलता है। एक ऐसा राक्षस जिसका जितना खून जमीन पर टपकता, वही पैदा हो जाता। दिलचस्प बात ये है कि उस दानव को भी पुराणों के मुताबिक देवी काली ने मार दिया था लेकिन यह दानव कभी नहीं मरता। वह मिथकीय कहानियों के चरित्रों की तरह अमर है. है न हैरान कर देने वाली बात?