देश के महानगरों में ट्रैफिक जाम की समस्या बेहद आम है। वजह सड़कों पर गाड़ियों का हुजूम है। जिसकी भी थोड़ी सी कमाई बढ़ती है, गाड़ी खरीद लेता है। हर दिन लाखों गाड़ियां बिकती हैं। पेट्रोल पम्प के बाहर गाड़ियों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। लोगों को लगता है कि पेट्रोल बेचना कितना मुनाफे का धंधा है, क्यों न इसके लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया जाए लेकिन क्या यह इतना आसान होता है?
देश का एक बड़ा तबका ऐसा है जिसके पास इतने पैसे हैं कि वह पेट्रोल पम्प का लाइसेंस हासिल कर सकता है लेकिन इसकी प्रक्रिया बेहद जटिल है। एक पेट्रोल पम्प का विज्ञापन निकलता है तो कई लोग आवेदन कर बैठते हैं।
पेट्रोल पम्प मुनाफे का सौदा है, इसलिए ही कुछ राज्यों में पेट्रोल पम्प के विज्ञापनों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। मतलब वहां अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए ही विज्ञापन निकाले जाते हैं और इसी वर्ग के लोग पेट्रोल पम्प के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे जुड़ा एक सवाल, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद अनिल फिरोजिया ने किया। सांसद के सवालों का जवाब क्या है और पेट्रोल पम्प खोलने के लिए शर्तें क्या हैं, योग्यता क्या है और लागत क्या है, इसे विस्तार से समझते हैं।
सांसद के सवाल क्या थे?
संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अनिल फिरोजिया ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री से पेट्रोल पम्प को लेकर एक सवाल किया। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए लोगों के लिए पेट्रोल पम्प देने की योजना बंद कर दी है, अगर हां तो इसका ब्यौरा क्या है। सरकार ने ऐसे कोटे के तहत पेट्रोल पम्प पाने वाले लाभार्थी के किसी पेट्रोल पम्प कब्जे को लेकर संज्ञान लिया है, सरकार इसे दुरुस्त करने के लिए क्या कर रही है। सरकार ने इन सवालों का विस्तार से जवाब दिया है।
सरकार ने क्या कहा है?
पेट्रोलियम मंत्रालय ने सवाल के जवाब में कहा है कि प्रशासित मूल्य व्यवस्था (APM) को भंग करन के बाद अनुसूचित जाति और जनजाति सहित सभी श्रेणियों के लिए खुदरा बिक्री केंद्र (RO) और डीलरों का सलेक्शन तेल कंपनियां खुद ही करती हैं।
अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में एससी-एसटी उम्मीदवारों के लिए 22.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 7.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को लाभ मिलता है।
अरुणाचल में 70, मेघालय में 80, नगालैंड में 80 और मिजोरम में 90 फीसदी पब्लिश विज्ञापनों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। देश में आओ डीलरशिपों के आवंटन के लिए शर्तें www.petrolpumpdealerchyan.in उपलब्ध हैं। सरकार ने कहा कि अगर कोई किसी दूसरे के पेट्रोल पम्प पर गलत तरीके से अधिकार जमाता है, धांधली करता है तो यह डीलरशिप रद्द कर दी जाती है। सरकार इस पर सख्त है।
भारत में पेट्रोल पम्प हर कोई हासिल करना चाहता है लेकिन इसकी जटिल प्रक्रिया की वजह से लोग इसे हासिल नहीं कर पाते। फ्यूल रिटेल सेक्टर में आने के लिए ज्यादा निवेश की जरूरत होती है। कुछ कानूनी नियम और शर्तें होती हैं, जिन्हें लाइसेंस हासिल करने से पहले अभ्यर्थी को पूरा करना होता है। अब आप जानिए कि अनुसूचित जाति या जनजाति ही नहीं, सबके लिए पेट्रोल पंप हासिल करने की नियम और शर्तें क्या हैं, आइए विस्तार समझते हैं।
योग्यता क्या है?
भारत का कोई भी व्यक्ति, जिसकी आयु 21 वर्ष से ज्यादा है पेट्रोल पम्प के लाइसेंस के लिए आवेदन दे सकता है। बर्शते वह मानसिक तौर पर ठीक हो और पागल या दिवालिया न हो। उसका आपराधिक इतिहास न हो।
शैक्षणिक योग्यता क्या है?
अगर आप 10वीं किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से पास हैं तो पेट्रोल पम्प के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अनुभव कितना जरूरी है?
कम से कम 3 साल का व्यापारिक अनुभव। रिटेल आउटलेट और बिजनेस चलाने का अनुभव रहा हो तो बेहतर माना जाता है।
आर्थिक योग्यता?
पेट्रोल पम्म इस वजह से भी लोग नहीं ले पाते हैं क्योंकि इसे हासिल करने के लिए न्यूतम संपत्ति का दायरा ही बहुत ज्यादा है। अगर आपके परिवार की कुल संपत्ति 50 लाख से कम है तो आपको पेट्रोल पम्प का लाइसेंस नहीं मिलेगा। आपके पास न्यूनतम 25 लाख रुपये हैं, परिवार की संपत्ति 50 लाख रुपये से ज्यादा की है तो आप आवेदन कर सकते हैं।
कितनी जमीन चाहिए?
पेट्रोल पम्प खोलने के जमीन शहर, कस्बा या गांव की स्थिति पर निर्भर करता है। यह जमीन आपकी हो, किसी भी कानूनी विवाद से आप बचे रहें। अगर जमीन आपकी नहीं है तो इसका लीज आपके नाम पर हो। ग्रामीण क्षेत्र में 800 वर्ग मीटर सिंगल डिस्पेंसिंग यूनिट के लिए चाहिए। अगर आप दो सिंगल डिस्पेंसिंग यूनिट खोलना चाहते हैं तो जमीन 1200 वर्ग मीटर होनी चाहिए। शहरी इलाके में पेट्रोल पम्प की सिंगल यूनिट के लिए 500 वर्ग मीर और 2 यूनिट के लिए 800 वर्ग मीटर जमीन होनी चाहिए। नेशनल हाइवे पर सिंगल यूनिट के लिए 1200 वर्ग मीटर और 2 यूनिट के लिए 2000 वर्ग मीटर होना चाहिए।
खर्च कितना आता है?
20 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये आपको जमीन पर खर्च करने पड़ सकते हैं। पेट्रोल पम्प की मशीनरी को बैठाने में कम से कम 30 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक लग सकते हैं।
लाइसेंस फीस कितनी है?
लाइसेंस फीस से पहले आपको कुछ सरकारी दफ्तरों से मंजूरी लेनी पड़ती है। पेट्रोल पंप लगाने की मंजूरी, लाइसेंस और अनुमोदन का कुल खर्च 2 लाख से 5 लाख रुपये तक के बीच में लग सकता है।
कहां हासिल कर सकते हैं पेट्रोल पम्प?
पेट्रोल पम्प की डीलरशिप के लिए पेट्रोलियम कंपनियां समय-समय पर विज्ञापन देती हैं। आप पेट्रोल पम्प डीलर चयन की आधिकारिक वेबसाइट www.petrolpumpdealerchayan.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। शर्त ये है कि विज्ञापन निकला हो।
और कौन सी बातें हैं जरूरी?
पेट्रोल पम्प के लिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) नंबर जरूर होना चाहिए। पेट्रोल पम्प के नाम से आपका एक खाता होना चाहिए। सारी प्रक्रियाएं जब पूरी हो जाती हैं, तभी लाइसेंस जारी होता है। लाइसेंस जारी होने के बाद आपको तेल कंपनियां, तेल सप्लाई करती हैं।