अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान AI-171 क्रैश होने की वजह से 241 यात्रियों की मौत हो गई। 3 दशक में यह भारत का सबसे बड़ा विमान हादसा है। दुनियाभर में हर साल विमान हादसे होते हैं और उनमें सैकड़ों लोग मारे जाते हैं। विमान हादसे के बाद एविएशन एक्सपर्ट हादसे की वजह तलाशते हैं, फ्लाइट डेटा रिकॉर्ड का विश्लेषण करते हैं लेकिन हादसे रुकते नहीं हैं। फिल्मों में आपने कई बार देखा होगा कि कैसे लोग बीच हवा में विमानों से कूद जाते हैं। आखिर जब विमान में पैराशूट होता है तो हादसों से पहले लोग इसका इस्तेमाल क्यों नहीं कर पाते हैं।
पैराशूट जंपिंग या स्काईडाइविंग हमेशा एक्सपर्ट्स की निगरानी में होता है। महीनों की ट्रेनिंग दी जाती है, तभी लोग हवा से कूदते हैं और पैराशूट के सहारे जिंदा बच जाते हैं। आमतौर पर जितने भी विमान हादसे होते हैं, उनमें सवार यात्री हादसे का शिकार हो जाते हैं। विमान हादसे में जिंदा बचने वाले लोग बेहद कम हैं।
ऐसे हादसों से बचने के लिए क्या करें?
एयरोनॉटिकल एक्सपर्ट अभिषेक राय के मुताबिक बड़ी जहाजों में पैराशूट से कूदकर बचना लगभग असंभव है लेकिन अगर ऐसी स्थिति बने, केबिन क्रू की ओर से निर्देश दिए जाएं तो कुछ उपाय आपकी जिंदगी बचा सकते हैं।
- पैराशूट जंपिंग की ट्रेनिंग लें
- विमान में चढ़ने से पहले पैराशूट के बारे में हर जानकारी हासिल करें
- पैराशूट को ठीक से बांधें, कमर पर पट्टी ठीक से कसें
- विमान के इमरजेंसी गेट से बाहर निकलने की कोशिश करें
- कूदते वक्त शरीर को सीधा रखें, घुटने मोड़ लें
- जब आप धरती की सतह से 5 हजार से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचे तो रिपकार्ड खींच लें
- पैराशूट को कंट्रोल करें, स्टीयरिंग लाइन की मदद से हवा के अनुकूल राह चुनें
- जब जमीन के पास आएं तो तो अपने घुटनों को मोड़ लें
- धीरे-धीरे लैंड करने की कोशिश करें

अगर क्रैश होने लगे विमान तो क्या करें?
- इमरजेंसी एग्जिट के पास की सीट सेफ हो सकती है
- सिर नीचे कर लें, हाथों से सिर को ढंके, शरीर को आगे झुका लें
- क्रू के दिशा-निर्देशों का पालन करें
- इमरजेंसी गेट का अचानक इस्तेमाल न करें
- शांत रहें और विमानन अधिकारियों को फैसला लेने दें
- विमान का गेट खोलने की कोशिश न करें, हादसा हो सकता है
- लाइफ जैकेट या ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल करें
लाइफ जैकेट क्यों?
अगर पायलट किसी वॉटर बॉडी के पास विमान उतार रहा हो तो डूबने से आप बच सकते हैं।

क्यों कॉमर्शियल फ्लाइट में नहीं पैराशूट का इस्तेमाल कर पाते लोग?
- पहली वजह: बोइंग और दूसरे एयर बस पैराशूटिंग के लिए डिजाइन नहीं किए जाते हैं। इनके दरवाजों को हवा में खोलना आसान नहीं होता है। अगर हवा में अचानक गेट खोल दें तो विमान पर इसका खराब असर पड़ सकता है। केबिन का दबाव कम होगा और विमान हवा में लड़खड़ा सकता है।
- दूसरी वजह: आमतौर पर यात्री विमान 30 हजार से 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं। उनकी रफ्तार 800 से 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ऐसे विमान उड़ते हैं इस ऊंचाई पर अगर विमान में आग लगे, तेजी ने नीचे गिरने लगे तो भी वहां से कूदना आसान नहीं होगा।
- तीसरी वजह: इतनी ऊंचाई पर -40 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है। बिना ट्रेनिंग के, ऑक्सीजन मास्क, हाई क्वालिटी पैराशूट से कूदना जानलेवा हो सकता है। यात्री विमानों में आम आदमी सवार होते हैं। वे ट्रेनिंग लेकर आए लोग नहीं होते। अगर उन्हें विमान उड़ने से पहले प्रक्रिया भी बता दी जाए तो इमरजेंसी की स्थिति में घबराहट की वहज से वे पैराशूट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
- चौथी वजह: अगर इतनी तेज रफ्तार में अगर कोई विमान से कूदेगा, पैराशूट से कूदेगा तो भी उसका सुरक्षित लैंड कर पाना असंभव है।
- पांचवी वजह: आपात स्थिति में पैराशूट का इस्तेमाल करना और ज्यादा खतरनाक हो सकता है। हर यात्री के लिए फैराशूट नहीं रखा जा सकता। विमान पर यात्रियों के पास पहले से सामान होते हैं। सैकड़ों यात्रियों को पैराशूट पहनाकर नहीं रखा जा सकता या क्रैश होने के आखिरी कुछ सेकेंड्स में उन्हें यह सब समझाया जा सकता है।

विमान हादसों को रोकने के लिए किया क्या जाता है?
विमान हादसे, साल में गिनती के होते हैं। हवाई यात्रा, सबसे सुरक्षित यात्राओं में शुमार में होती है। विमान के नियमित रखरखाव, प्रशिक्षित पायलट और इमरजेंसी लैंडिंग की प्रक्रियाएं, विमानों को और ज्यादा सुरक्षित बनाती हैं। विमानों को अंतिम दम तक पायलट सुरक्षित उतारने की कोशिश करते हैं।
कैसे पैराशूट जंपिंग में बच जाते हैं लोग?
पैराशूट जंपिंग के लिए ट्रेनिंग ली जाती है। जो लोग इस इवेंट में हिस्सा लेते हैं उन्हें स्पेशल इंस्ट्रूमेंट दिए जाते हैं। ये विमान करीब 10 हजार से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर होते हैं। वे जंपिंग दरवाजे से कूदते हैं और पैराशूट पहनकर खोलते हैं। कुछ सेंकेड्स बाद वे पैराशूट का बटन प्रेस करते हैं फिर पैराशूट खुलता है और जमीन पर वे धीरे-धीरे उतरते हैं। ऐसा कुछ भी कॉमर्शियल फ्लाइट में नहीं होता है।