बिहार की सीमावर्ती विधानसभा सीटों में से एक हरलाखी विधानसभा का अपना ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक महत्व है। यह मधुबनी जिले की एक महत्वपूर्ण सीट है और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटी हुई है। यहां कई गांव भारत-नेपाल सीमा के इतने करीब हैं कि लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नेपाल भी आते-जाते हैं। सीमाई स्थिति के कारण सुरक्षा, तस्करी और नागरिक सुविधाओं की कमी हमेशा से इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे रहे हैं।
हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में जलजमाव, सड़कों की बदहाल स्थिति, सीमाई गांवों तक पहुंच की समस्या और उच्च शिक्षा का अभाव लंबे समय से स्थानीय चुनावी मुद्दे रहे हैं। इसके अलावा, मधुबनी जिला मिथिला संस्कृति का केंद्र माना जाता है, इसलिए यहां की सांस्कृतिक पहचान भी राजनीतिक चर्चाओं में शामिल रहती है।
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2008 के परिसीमन के बाद हरलाखी को एक स्वतंत्र विधानसभा सीट का दर्जा मिला। इससे पहले यह क्षेत्र झंझारपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। इस क्षेत्र में यादव, ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वोटर्स की अच्छी-खासी संख्या है। 2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार, हरलाखी में कुल 2,90,847 पंजीकृत मतदाता थे, जिसमें अनुसूचित जातियों (SC) के मतदाता 36,676 (12.61%) और मुस्लिम मतदाता 41,300 (14.20%) थे। यादव और ब्राह्मण मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, जहां अधिकतर बूथ गांवों में ही स्थित हैं। शिक्षा, रोज़गार और पलायन जैसे मुद्दे यहां के चुनावी विमर्श में हमेशा हावी रहते हैं।
मौजूदा समीकरण
इस समय हरलाखी विधानसभा सीट जनता दल (यूनाइटेड)(JDU) के कब्जे में है और यहां के विधायक हैं सुधांशु शेखर। वे 2016 में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे और 2020 के आम विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी। वर्तमान में बिहार में JDU और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की गठबंधन सरकार है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2025 के चुनाव में भी सुधांशु शेखर को एनडीए की ओर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस इस सीट को लगातार चुनौती देने वाली सीट मानते हैं और यहां अच्छा प्रभाव रखने का दावा करते हैं। 2020 में भाकपा (CPI) के राम नरेश पांडेय को महागठबंधन का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने दूसरे स्थान पर रहते हुए कड़ी टक्कर दी थी। ऐसे में आगामी चुनाव में राजद एक प्रभावशाली यादव या मुस्लिम चेहरे को उतार सकती है।
2020 में क्या हुआ था?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हरलाखी सीट से JDU ने सुधांशु शेखर को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने लगभग 60,393 वोट पाकर चुनाव जीत लिया। दूसरे स्थान पर भाकपा (CPI) के उम्मीदवार राम नरेश पांडे रहे, जिन्हें 42,800 वोट प्राप्त हुए। इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में नहीं थे, जबकि अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच कुल लगभग 20,000 वोटों का बंटवारा हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि मुख्य मुकाबला जेडीयू और वामपंथी दल के बीच रहा।
JDU को इस क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं जैसे उज्ज्वला योजना, शौचालय निर्माण, ग्रामीण सड़क परियोजनाओं और किसान योजनाओं का लाभ मिला। वहीं, भाकपा और महागठबंधन ने बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा एवं तस्करी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया, लेकिन परिणाम सुधांशु शेखर के पक्ष में रहा।
विधायक का परिचय
हरलाखी विधानसभा सीट के वर्तमान विधायक हैं सुधांशु शेखर, जो जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी से हैं। वे पहली बार 2016 में हुए उपचुनाव में चुनावी मैदान में उतरे, जब उनके पिता बसंत कुशवाहा की मृत्यु के बाद वे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के टिकट पर मैदान में उतरे और जीत हासिल की । मई 2019 में उन्होंने RLSP छोड़कर जेडी (यू) ज्वाइन कर ली।
सुधांशु शेखर ने फिर 2020 में जेडी (यू) से चुनाव लड़ा और लगभग 18,000 वोटों से जीतकर दूसरी बार विधायक बने। उन्होंने दरभंगा के सीएम कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। पेशे से खेतिहर पृष्ठभूमि के हैं।
निजी हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹77.8 लाख है, जिसमें कृषि, MLA वेतन और कृषि-व्यवसाय मुख्य आय का स्रोत रहे हैं। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामले नहीं दर्ज हैं।
सुधांशु शेखर को स्थानीय रूप से एक जमीनी नेता माना जाता है। वे नियमित रूप से गांवों का दौरा करते हैं, जनता की समस्याएं सुनते हैं और स्थानीय स्तर पर संपर्क बनाए रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, फरवरी 2025 में बिटुहर और मधुबनी टोल में महादलित समुदाय के लोगों की भूमि संबंधी समस्याओं पर उन्होंने सक्रियता दिखाई और समाधान का आश्वासन दिया।
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विधानसभा का इतिहास
हरलाखी विधानसभा क्षेत्र की वर्तमान संरचना 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। इसके बाद से इस सीट पर अब तक तीन बार आम चुनाव और एक उपचुनाव हो चुका है:
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2010: शालीग्राम यादव (JDU)
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2015: बसंत कुमार (RLSP)
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2016: सुधांशु शेखर (RLSP) — उपचुनाव में पिता बसंत कुमार के निधन के बाद
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2020: सुधांशु शेखर (JDU)
यह सीट किसी एक पार्टी के लिए परंपरागत नहीं रही है। 2010 में JDU, 2015 में RLSP और 2020 में JDU के उम्मीदवार विजयी रहे, जबकि बीच में उपचुनाव भी हुआ। यही वजह है कि हरलाखी में हर चुनाव एक नया समीकरण लेकर आता है और मुकाबला बेहद रोचक और बहुपक्षीय हो जाता है।
