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1980 से 1990 तक: जब 10 साल में बिहार को मिले 8 मुख्यमंत्री

बिहार को 1980 से 1990 तक 10 साल में आठ सीएम मिले। सबसे अधिक बार कांग्रेस ने छह बार सीएम बदले। 1990 में लालू यादव के सीएम बनने के बाद कांग्रेस कभी अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाई।

Bihar Election 2025.

बिहार चुनाव। ( AI Generated Photo)

आजादी के बाद से अब तक बिहार में 17बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। प्रदेश को सबसे अधिक 18 सीएम कांग्रेसी बने। नीतीश कुमार पांच बार के मुख्यमंत्री हैं। तीन बार राबड़ी देवी और दो बार लालू प्रसाद यादव सीएम रह चुके हैं। जगन्नाथ मिश्रा को तीन और कर्पूरी ठाकुर दो बार मौका मिला। भोला पासवान शास्त्री भी तीन बार सीएम रहे। बिहार में अब तक आठ बार राष्ट्रपति शासन लगा। पिछली बार साल 2005 में राष्ट्रपति शासन लगा था। आज बात 1980 से 1990 के बीच उस दौर की जब बिहार में कपड़ों की तरह मुख्यमंत्रियों को बदला गया। 

 

कर्पूरी ठाकुर की जगह 21 अप्रैल 1979 को रामसुंदर दास को मुख्यमंत्री बनाया गया। 17 फरवरी 1980 को रामसुंदर दास की सरकार गिर गई और बिहार में पांचवीं बार राष्ट्रपति शासन लगा। 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक लगभग चार महीने राष्ट्रपति शासन लगा रहा। 

 

1980 विधानसभा: इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसने कुल 311 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और 169 सीटों पर जीत दर्ज की। 30 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को अपनी जमानत गंवानी पड़ी। 184 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस(यू) सिर्फ 14 सीटों पर जीत मिली थी। सबसे अधिक 42 सीटों पर जनता पार्टी (एससी) ने जीत हासिल की। उसने 254 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 246 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। 21 को जीतने में सफलता मिली।

 

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1980 से 1985 तक: कांग्रेस ने दो नेताओं को बनाया सीएम

कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद जगन्नाथ मिश्रा ने 8 जून को ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 14 अगस्त 1983 तक वह इस पद में रहे। उनके बाद चंद्रशेखर सिंह को कांग्रेस ने सीएम की कुर्सी सौंपी। 14 अगस्त 1983 को शपथ लेने वाले चंद्रशेखर सिंह 12 मार्च 1985 तक मुख्यमंत्री रहे। 

 

1985 विधानसभा चुनाव: इस चुनाव में कांग्रेस को पिछले चुनाव की तुलना में और अधिक प्रचंड जीत मिली। 323 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाली कांग्रेस को 196 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी के प्रत्याशी सिर्फ 16 सीटों पर जीते। 1980 चुनाव की तुलना में भाजपा को 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 12, जनता पार्टी को 13 और लोकदल को 46 सीटों पर कामयाबी मिली थी। 1985 से 1990 तक बिहार को 5 साल में चार मुख्यमंत्री मिले। वहीं 10 सालों में बदले गए सभी छह सीएम कांग्रेस से थे। 

 

पांच साल में बिहार को मिले पांच मुख्यमंत्री

1985 विधानसभा में मिली प्रचंड जीत के बाद कांग्रेस के बिंदेश्वरी दुबे ने 12 मार्च 1985 को पहली बार मुख्यमंत्री की शपथ ली। 13 फरवरी 1988 को कांग्रेस ने उन्हे हटा दिया और भागवत झा आजाद ने अगले दिन यानी 14 फरवरी 1988 को सीएम पद की शपथ ली। वह सिर्फ एक साल तक ही पद पर रहे। 10 मार्च 1989 को उनको भी हटा दिया गया। 11 मार्च 1989 को सत्येंद्र नारायण सिन्हा को कांग्रेस ने अपना सीएम बनाया। लगभग नौ महीने बाद 6 दिसंबर 1989 को उनकी भी विदाई हो गई। इसी दिन जगन्नाथ मिश्रा को कांग्रेस ने तीसरी बार सीएम बनाया। वह सिर्फ तीन महीने ही पद पर बने रहे। 10 मार्च 1990 तक मिश्रा बिहार के सीएम रहे। 

 

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1990 के बाद से कांग्रेस नहीं बना पाई अपना मुख्यमंत्री

1990 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 10 मार्च 1990 को लालू प्रसाद यादव ने पहली बार सीएम पद की शपथ ली। लालू की शपथ अनोखी थी। दरअसल, आजादी के बाद सभी 25 मुख्यमंत्रियों ने राजभवन में शपथ ली थी। मगर लालू प्रसाद ने परंपरा के इतर जाकर पटना के गांधी मैदान में शपथ ग्रहण किया था। बिहार में लालू और बाद में नीतीश के सियासी उदय के बाद कभी 10 साल में छह मुख्यमंत्री बदलने वाली कांग्रेस आज तक बिहार में अपना कोई मुख्यमंत्री नहीं बना पाई। आखिरी बार 1990 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर जगन्नाथ मिश्रा ने बिहार की सेवा की थी। 

 

 

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