बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशन क्राइम्स ट्रिब्युनल ने स्टूडेंट प्रोटेस्ट से हिंसात्मक तरीके से दबाने का दोषी माना है। उन्हें ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा सुनाई है। अपने खिलाफ मौत की सजा को शेख हसीना ने राजनीति से प्रेरित बताया है और कहा है कि यह गैरकानूनी है। उन्होंने कहा है कि यह फैसला पक्षपाती है और अन्यायपूर्ण है। शेख हसीना ने कहा है कि यह ट्रिब्युनल, मोहम्मद यूनुस के इशारे पर काम कर रही है। 

शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेशी आवामी लीग ने भी फैसले की आलोचना की है। बांग्लदेश आवामी लीग के प्रवक्ता जहांगीर कबीर ने कहा, 'यह फैसला अवैध और अलोकतांत्रिक है। अवैध और अलोकतांत्रिक कब्जे वाली फासीवादी यूनुस सरकार के निर्देशों पर काम करने वाली कंगारू कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। मुकदमे नकली हैं, जिन्हें मनमाने ढंग से लादा गया है।  

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शेख हसीना, अपदस्थ प्रधानमंत्री, बांग्लादेश:-
मेरे खिलाफ एक अलोकतांत्रिक सरकार की ओर से स्थापित ट्रिब्युनल ने सजा सुनाई है। इसकी अध्यक्षता वह शख्स कर रहा है, जिसे बांग्लादेश के लोगों ने नहीं चुना है। वे पक्षपाती हैं और राजनीति से प्रेरित हैं। वे बांग्लदेश आवामी लीग को अवैध ठहराना चाहते हैं। बांग्लादेश की चुनी गई सरकार की प्रधानमंत्री को हटाने के लिए यह उनकी हत्यारी सोच को दर्शा रही है। 

'अलोकतांत्रिक सरकार की बनाई अदालत ने अन्यायपूर्ण फैसला सुनाया'

शेख हसीना ने कहा, 'यह अदालत अंतरिम सरकार ने बनाई है, इसे लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और अवामी लीग को बदनाम करने के लिए बनाया गया है। मुझ पर लगे आरोप झूठे हैं, मैंने किसी नेता या प्रदर्शनकारी की हत्या का आदेश नहीं दिया है। केवल अवामी लीग के सदस्यों को निशाना बनाया गया है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने जो हत्याएं कराई हैं, उनका जिक्र तक नहीं किया गया है।'

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'राजनीतिक आतंक फैला रही यूनुस सरकार, चुनाव भी टाल रही'

शेख हसीना ने कहा, 'यह मामला अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) में लाया जाए जहां निष्पक्ष सुनवाई हो सके। अंतरिम सरकार ने चुनाव भी टाल दिए और राजनीतिक आतंक फैलाया। जुलाई और अगस्त 2024 के बीच भड़की हिंसा पर दुख है लेकिन सरकार ने सुरक्षाबलों को कोई अलोकतांत्रिक आदेश नहीं दिया था।'

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'मोहम्मद यूनुस सरकार झूठे मुकदमों में आवामी लीग को फंसा रही है'

शेख हसीना ने कहा, 'मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार असंवैधानिक है, अल्पसंख्यक और महिलाओं पर अत्याचार करती है। अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को सरकार, जानबूझकर निशाना बनाती है, विरोध प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से कुचलती है, झूठे मुकदमों में फंसाती है।'