केंद्र सरकार ने 4 नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। पांच साल पहले ये लेबर कोड यानी श्रम संहिता संसद से पास हो चुकी हैं। शुक्रवार को सरकार ने इन चारों को नोटिफाई कर दिया है। देश में पहले 29 श्रम कानून थे, उनकी जगह अब इन 4 लेबर कोड ने ले ली है। ये हैं- वेजेस कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और ऑक्यूपेशन सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड। 


केंद्र सरकार इसे आजादी के बाद का सबसे बड़ा रिफॉर्म बता रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर पोस्ट कर कहा, 'श्रमिक भाई-बहनों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। हमारी सरकार ने चार लेबर कोड लागू कर दिए हैं। आजादी के बाद यह श्रमिकों के हित में किया गया सबसे बड़ा रिफॉर्म है। यह देश के कामगारों को सशक्त बनाने वाला है।'


उन्होंने आगे कहा, 'ये कोड श्रमिक भाई-बहनों के लिए सामाजिक सुरक्षा, समय पर वेतन और सुरक्षित कार्यस्थल की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही ये बेहतर और लाभकारी अवसरों के लिए एक सशक्त नींव भी बनाएंगे।'


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'इन सुधारों के जरिए एक ऐसा मजबूत इकोसिस्टम तैयार होगा जो भविष्य में हमारे कामगारों के अधिकारों की रक्षा करेगा और भारत की आर्थिक वृद्धि को नई शक्ति देगा। इससे नौकरियों के नए-नए अवसर तो बनेंगे ही, प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी। विकसित भारत की हमारी यात्रा को भी तेज गति मिलेगी।'

 


इन लेबर कोड के लागू होने के बाद सभी नियुक्तियों पर अब अपॉइंटमेंट लेटर देना जरूरी होगा। गिग वर्कर्स, कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स और माइग्रेंट वर्कर्स को भी PF, ESIC और इंश्योरेंस बेनिफिट्स मिलेंगे। सभी सेक्टर में न्यूयनतम वेतन और समय पर सैलरी मिलेगी। महिलाओं भी अब नाइट शिफ्ट में काम करने का मौका मिलेगा। साथ ही 40 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी कर्मचारियों को सालाना फ्री हेल्थ चेक-अप भी करवाना जरूरी होगा।

 

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इन कोड के लागू होने के बाद जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है, वह है कामकाजी घंटों को लेकर। सवाल उठ रहा है कि अब हर दिन 8 घंटे काम करना होगा या 12 घंटे? 

अब कितने घंटे काम करना होगा?

दुनियाभर में हर हफ्ते काम करने के लिए 48 घंटे तय हैं। यानी, एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर सकते। भारत में भी यही है। नए लेबर कोड में कामकाजी घंटों की सीमा 48 घंटे ही तय की गई है।


हालांकि, नए लेबर कोड में एक अहम बदलाव किया गया है। इसके तहत, अब कंपनियां एक दिन में 12 घंटे तक भी काम करवा सकती हैं। लेकिन एक हफ्ते के कामकाजी घंटों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह अभी भी 48 घंटे ही है। 


ऑक्यूपेशन सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड की धारा 25 में कहा गया है कि कर्मचारियों से हर दिन 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता है। लेकिन यह भी कहा गया है कि 12 घंटे तक काम कराया जा सकता है। इसी तरह धारा 26 में कहा गया है कि किसी भी कर्मचारी से हफ्ते में 6 दिन से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता है। लेकिन इस प्रावधान में सरकार छूट दे सकती है।

 


लिहाजा, हफ्ते के कामकाजी घंटे 48 घंटे ही तय हैं। इसलिए अगर कोई कर्मचारी हर दिन 12 घंटे काम कर रहा है तो उससे हफ्ते भर में 4 दिन ही काम कराया जा सकता है। अगर कोई कर्मचारी हर दिन 8 घंटे काम कर रहा है तो हफ्ते में 6 दिन काम लिया जा सकता है। 


इतना ही नहीं, लेबर कोड में यह भी साफ किया गया है कि अगर किसी कर्मचारी को वीकली ऑफ नहीं मिलता है तो दो महीने के भीतर उसे छुट्टी देनी होगी। 

 

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ओवर टाइम किया तो...?

नए लेबर कोड में ओवर टाइम के घंटे भी बढ़ा दिए गए हैं। हालांकि, कुछ राहत वाले प्रावधान भी किए गए हैं। पहले कोई भी कर्मचारी तीन महीने में 50 घंटे ही ओवरटाइम कर सकता है। मगर अब इसे बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है।


इसका मतलब हुआ कि अगर कोई कंपनी चाहे तो किसी कर्मचारी तीन महीने मे 125 घंटे का ओवर टाइम करवा सकती है। 


कर्मचारी को क्या मिलेगा? ओवरटाइम करने पर कर्मचारी को दोगुनी सैलरी देनी होगी। लेबर कोड के मुताबिक, ओवर टाइम के लिए कर्मचारी की सहमति जरूरी है। ओवर टाइम करने पर कर्मचारी को तय सैलरी से दोगुना देना होगा।