इंडियन एयरफोर्स की पूर्व विंग कमांडर और कांग्रेस नेता अनुमा आचार्य ने बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के ऊपर एक गंभीर आरोप लगाते हुए कुछ सवाल पूछे हैं। उन्होंने जेफ्री एप्सटीन की एक ईमेल का हवाला देते हुए कहा कि इसमें 'गर्ल्स' शब्द का प्रयोग किया गया है तो आखिर 'गर्ल्स' के शब्द के साथ उनका क्या लेना-देना है। उन्होंने इस मामले में बीजेपी नेता हरदीप पुरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण देने की भी मांग की है।
अनुमा आचार्य ने एक्स पर एक ट्वीट के जरिए आरोप लगाते हुए कहा कि यह सवाल सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा, बीजेपी की 'बेटी बचाओ' मुहिम और राष्ट्रीय नेतृत्व की विश्वसनीयता का है। उन्होंने कहा, 'हाल ही में सामने आई 19 सितंबर 2014 की ईमेल, जो जेफ्री एप्सटीन की बताई जा रही है, ने कई गंभीर और वैध सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पत्राचार में एप्सटीन ने वैश्विक नेताओं, व्यापारियों, संस्थानों के प्रमुखों और विभिन्न देशों के अधिकारियों के नाम लिखते हुए 'गर्ल्स?' शब्द का इस्तेमाल किया है।'
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हरदीप पुरी का जिक्र
उन्होंने लिखा, ‘इन नामों में भारत से 'हरदीप पुरी' का जिक्र है, जो उस समय बीजेपी के नेता थे और आज भी केंद्र सरकार में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हैं। यह वह दौर था जब बीजेपी जोर-शोर से महिलाओं के सशक्तीकरण, महिलाओं की गरिमा और बेटी बचाओ अभियान की बात कर रही थी। एक दोषसिद्ध यौन अपराधी की ईमेल में बीजेपी के नेता का नाम उभरना, खासकर जहां 'गर्ल्स?' शब्द का प्रयोग हो रहा हो, स्वाभाविक रूप से स्पष्टता की मांग करता है।’
कांग्रेस नेता अनुमा सवाल पूछते हुए लिखती हैं, ‘एक भारतीय जनप्रतिनिधि का नाम उस ईमेल में क्यों है जहां एप्सटीन 'गर्ल्स' की उपलब्धता का जिक्र कर रहे लगते हैं? जब बीजेपी महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा पर जोर देती है, तो नागरिकों को उम्मीद है कि पार्टी स्पष्ट करे कि उसके एक सदस्य का नाम ऐसी पत्राचार में कैसे और क्यों आया।
बीजेपी से मांगा स्पष्टीकरण
आगे उन्होंने लिखा, ‘क्या बीजेपी साफतौर पर बताएगी, या जनता को ऐसे मामलों में अटकलें लगाने के लिए छोड़ दिया जाएगा जो वैश्विक विवादों से जुड़े हों? अगर बीजेपी महिलाओं के अधिकारों पर बात करना चाहती है तो इस मामले में पारदर्शिता जनता का विश्वास मजबूत करेगी।’
हरदीप पुरी से सवाल करते हुए उन्होंने लिखा, ‘इस ईमेल के सार्वजनिक होने के मद्देनजर, भारत की महिलाएं पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप पुरी से जानना चाहती हैं कि इस पत्राचार के बारे में तथ्यात्मक स्थिति क्या है। स्पष्ट व्याख्या भ्रम या अटकलों को रोकने में मदद करेगी।’
पीएम मोदी से भी किया सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सवाल करते हुए उन्होंने लिखा, ‘हम भारत के प्रधानमंत्री से भी विनम्र अपील करते हैं कि जो भी जानकारी उचित और उपलब्ध हो, साझा करें, ताकि देश की महिलाओं को आश्वासन मिले कि हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व महिलाओं को उच्चतम सम्मान देता है और उन्हें किसी वस्तु की तरह नहीं देखता।’
बीजेपी की महिला नेताओं से भी सवाल करते हुए उन्होंने लिखा, ‘उसी पारदर्शिता की भावना से, हम बीजेपी की महिला नेताओं, जिसमें स्मृति निर्मला सीतारमण और सभी सम्मानित महिला सांसद शामिल हैं, से विनम्र अनुरोध करते हैं कि इस मुद्दे पर स्पष्टता मांगें। यह स्पष्टता भारत की महिलाओं को आश्वस्त करेगा कि राष्ट्रीय नेताओं के नाम वैश्विक यौन विवादों से जुड़े व्यक्तियों से अनजाने में भी जुड़े न हों। यह आरोप लगाने का कार्य नहीं है। यह सच्चाई की ईमानदार अपील है , ताकि जनता का विश्वास, महिलाओं की गरिमा और भारत की महिलाओं का आत्मविश्वास कायम रहे।’
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क्या है मामला?
डेली न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 'जेफ्री एप्सटीन ने पूर्व वकील कैथी रूमलर को ईमेल में पैलेंटिर के चेयरमैन पीटर थील, पूर्व सीआईए डायरेक्टर और रूस में राजदूत विलियम बर्न्स, पूर्व ब्रिटेन प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन, पूर्व नॉर्वेजियन प्रधानमंत्री थॉर्बजॉर्न जगलैंड, पूर्व मंगोलियाई राष्ट्रपति त्साखियागीन एल्बेगदोर्ज सहित कई लोगों का नाम लिखा जिसमें 'गर्ल्स' शब्द का भी प्रयोग किया गया था। रूमलर ओबामा के दोनों राष्ट्रपति कार्यकालों में डिप्टी काउंसिल के रूप में सेवा कर चुकी थीं।'
यह ईमेल एप्सटीन के उस नेटवर्क को उजागर करती है जो दुनिया भर के प्रभावशाली लोगों तक फैला हुआ था। अनुमा आचार्य की मांग है कि बीजेपी इसे राजनीतिक हमले की बजाय महिलाओं की गरिमा का मुद्दा माने। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ हरदीप पुरी तक सीमित नहीं, बल्कि बीजेपी की पूरी महिलाओं पर नीति की परीक्षा है। अगर पार्टी चुप रही, तो 'बेटी बचाओ' जैसे अभियान खोखले लगेंगे।
जेफ्री एप्सटीन का विवाद
जेफ्री एप्सटीन एक अमेरिकी फाइनेंशियर और दोषसिद्ध यौन अपराधी थे, जिनका जन्म 20 जनवरी 1953 को न्यूयॉर्क में हुआ था। उन्होंने 1970 के दशक में फाइनेंस की दुनिया में कदम रखा और जल्द ही अरबों डॉलर कमा लिए, लेकिन उनकी असली बदनामी 2000 के दशक में शुरू हुई, जब उन पर नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने के आरोप लगे।
2008 में एप्सटीन को फ्लोरिडा में एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया। उन्हें इस मामले में 13 महीने की सजा मिली, जिसमें ज्यादातर समय वर्क रिलीज पर गुजरा। इस पर भी काफी विवाद हुआ क्योंकि कई पीड़िताओं ने आरोप लगाया कि एप्सटीन का नेटवर्क बहुत बड़ा था।
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एप्सटीन के पास प्राइवेट आइलैंड 'लिटिल सेंट जेफ' था, जिसे 'पीडोफाइल आइलैंड' कहा जाता था। यहां वे प्रभावशाली लोगों को आमंत्रित करते थे। एप्सटीन पर आरोप था कि वे लड़कियों को ट्रैफिक करते थे और ब्लैकमेलिंग के लिए वीडियो बनाते थे।
2019 में उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया, लेकिन जेल में रहते हुए 10 अगस्त को उनकी मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर इस आत्महत्या करार दिया गया, लेकिन कुछ लोग इसे साजिश का हिस्सा मानते हैं, क्योंकि उनके पास काफी पावरफुल लोगों के राज थे। एप्सटीन के दस्तावेज़ों में सैकड़ों नाम हैं, जो अब कोर्ट में खुल रहे हैं। यह ईमेल उसी का हिस्सा लगती है, जो दिखाती है कि एप्सटीन कैसे 'सर्विसेज' ऑफर करते थे।
