देश के एक दर्जन राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जारी है। मतदाता सूची से अपात्र लोगों को बाहर करने और पात्र लोगों को शामिल करने का यह अभियान अब पश्चिम बंगाल तक पहुंच गया है। पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों की समस्या काफी पुरानी है और अब इससे थोड़ी-बहुत राहत देखने को मिल रही है। अब सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि हाल के दिनों में बांग्लादेश लौटने वाले अवैध बांग्लादेशियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने निश्चित संख्या तो नहीं बताई लेकिन इतना जरूरी कहा है कि यह संख्या हर दिन सैकड़ों में है। SIR का मकसद भी यही बताया जाता है कि मतदाता सूची से उन लोगों को बाहर करना है, जो अवैध रूप से देश में रह रहे हैं या गलत तरीके से मतदाता बने हुए हैं।

 

BSF एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हाल के हफ्तों में दक्षिण बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पार करने का प्रयास करने वाले अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ी है और इसे SIR से जोड़कर देखा जा रहा है। बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, उत्तर 24 परगना और मालदा जिलों में बिना बाड़ वाले इलाकों से घर लौटने की कोशिश कर रहे बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशी प्रवासियों की संख्या में पिछले दो वर्षों की तुलना में बड़ी वृद्धि देखी गई है।

BSF पर पुलिस पर बढ़ा दबाव

 

बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूजी एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा, 'पहले ऐसी घटनाएं बमुश्किल दोहरे अंक में पहुंचती थीं। अब यह आंकड़ा हर दिन लगातार तीन अंकों में पहुंच रहा है।’ उन्होंने कहा कि कुछ रिपोर्टों में प्रतिदिन लगभग 500 की संख्या बताई गई है जबकि वास्तविक संख्या थोड़ी कम है लेकिन पर्याप्त है- 100, 150 या इससे अधिक। आप बता सकते हैं कि यह संख्या तीन अंकों में है।’ बांग्लादेशी प्रवासियों के लौटने की संख्या में अचानक हुई वृद्धि से बीएसएफ और राज्य पुलिस पर दबाव बढ़ गया है, जिन्हें सीमा के दोनों ओर पकड़े गए प्रत्येक व्यक्ति का बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन, पूछताछ और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच करनी होती है।

 

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अधिकारी ने कहा, ‘जब कोई व्यक्ति अवैध रूप से सीमा पार करते हुए पकड़ा जाता है तो हम यह नहीं मान सकते कि वह घर लौट रहा दिहाड़ी मजदूर है। हो सकता है कि वह यहां कोई अपराध करने के बाद भागने की कोशिश कर रहा हो या फिर वह कोई कट्टरपंथी या आतंकवाद से जुड़ा तत्व हो सकते है जो भागने की कोशिश कर रहा हो।’ बीएसएफ के एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘अगर कोई आपराधिक पहलू सामने आता है तो उन्हें अनिवार्य रूप से राज्य पुलिस को सौंप दिया जाता है लेकिन यदि वह बिना किसी कागजात के यहां रहने वाले लोग हैं और अब वापस लौटना चाहते हैं तो हम उचित प्रक्रिया का पालन करते हैं और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) से संपर्क करते हैं। अगर बीजीबी स्वीकार कर लेता है, तो उन्हें औपचारिक रूप से वापस भेज दिया जाता है; अगर नहीं तो एक अलग प्रक्रिया शुरू की जाती है।’ अधिकारियों ने बताया कि वापस सीमा पार करने का प्रयास करने वाले लगभग सभी लोगों के पास वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज नहीं हैं।

SIR और पुलिस वेरिफिकेशन का असर

 

एक और अधिकारी ने कहा, ‘सिर्फ़ वे लोग ही अवैध रूप से घुसपैठ की कोशिश करते हैं जिनके पास दस्तावेज नहीं होते। कई लोग तो रोज़ी-रोटी के लिए सालों पहले आए थे, तय समय से ज़्यादा समय तक रुके रहे और अब उन्हें SIR या पुलिस वेरिफिकेशन अभियान के दौरान पकड़े जाने का डर सता रहा है।’ उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या ने चुनौतियां पैदा कर दी हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘कोई भी एजेंसी हज़ारों लोगों को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रख सकती। सत्यापन के बाद अगर उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, तो बीजीबी के साथ समन्वय करना और उनकी वापसी की सुविधा प्रदान करना ही एकमात्र व्यावहारिक विकल्प है।’

 

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मीडिया रिपोर्टों में बांग्लादेशी प्रवासियों के लौटने के ज़्यादा अनुमानों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि स्थानीय स्तर के आकलन अक्सर अनौपचारिक आंकड़ों से लिए जाते हैं जो बढ़ा-चढ़ाकर बताए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘संख्या बहुत ज्यादा है लेकिन 500 जितनी भी नहीं। लेकिन हां, अब यह संख्या तीन अंकों में है।’ बीएसएफ अधिकारी के अनुसार, यह बढ़ोतरी कई राज्यों में एसआईआर के साथ ही शुरू हो गई। उन्होंने कहा, ‘एसआईआर और पुलिस सत्यापन अभियानों ने लंबे समय से बिना दस्तावेज़ों के रह रहे प्रवासियों को चिंतित कर दिया है। कई लोग जो वर्षों से यहां रह रहे हैं, अब और भी बड़ी संख्या में लौटने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि सीमा पार करने वाले लोगों की संख्या में इतनी वृद्धि देखी जा रही है।’